बजरी माफियाओं ने बनास नदी का ''सीना'' किया छलनी, जिला परिषद सदस्य को मिली धमकी, जानें वजह
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बजरी माफियाओं ने बनास नदी का ''सीना'' किया छलनी, जिला परिषद सदस्य को मिली धमकी, जानें वजह

राजसमंद के नाथद्वारा से रेलमगरा तक बनास नदी में बजरी माफिया द्वारा नियमों को दरकिनार कर खुलेआम बजरी का खनन किया जा रहा है. बनास नदी से लीज नियमों के विरुद्ध 20-20 फीट गहरे गडढे कर बजरी खनन कर दिया, जिससे बनास नदी का सीना छलनी हो चुका है.

खुलेआम बजरी का खनन.

Rajsamand News: जिले में नियमों और कानून की धज्जियां उड़ाने वाले इतने बेखौफ है कि अब वह जान से मारने की धमकियां दे रहे हैं. पुलिस प्रशासन द्वारा कार्रवाई के नाम पर सिर्फ इतिश्री के चलते इनके हौसले सातवें आसमान पर है. बता दें कि इस बार इन माफियाओं ने राजसमंद जिला परिषद के सदस्य को धमकी दे डाली है. जबकि जिला परिषद सदस्य लेहरूलाल अहीर दिव्यांग है. बता दें कि यह पूरा मामला बनास नदी से जुड़ा है. 

खुलेआम बजरी का खनन 

राजसमंद के नाथद्वारा से रेलमगरा तक बनास नदी में बजरी माफिया द्वारा नियमों को दरकिनार कर खुलेआम बजरी का खनन किया जा रहा है. बनास नदी से लीज नियमों के विरुद्ध 20-20 फीट गहरे गडढे कर बजरी खनन कर दिया, जिससे बनास नदी का सीना छलनी हो चुका है. लोगों की शिकायत पर जिला परिषद सदस्य लेहरूलाल अहीर मौके पर पहुंचे तो खनन माफिया के गुर्गों ने जिला परिषद सदस्य लेहरूलाल अहीर को जान से मारने की धमकी दे डाली. इसके बाद मौके से अहीर ने पुलिस के साथ खनिज अभियंता को शिकायत की, लेकिन खान महकमे का कोई दल उस दौरान मौके पर नहीं पहुंचा. हालांकि थोड़ी देर बाद पुलिस और खान विभाग की टीम पहुंची, तब तक खनन माफिया जेसीबी, ट्रेक्टर व अन्य संसाधन लेकर फरार हो चुके थे.

खनन माफिया की फौज देखकर घबराए जिला परिषद सदस्य

बाद में खनन माफिया के कार्यकर्ताओं की फौज देखकर घबराए जिला परिषद सदस्य लेहरूलाल अहीर सीधे रेलमगरा पुलिस थाने पहुंचे जहां अवैध बजरी खनन करने की शिकायत के साथ ही उन्हें जान से मारने की धमकी देने की रिपोर्ट दी, तो वहीं इस दौरान थानाप्रभारी ने प्रकरण की निष्पक्ष जांच करने का आश्वासन दिया. इधर, जिला परिषद सदस्य लेहरूलाल अहीर ने चेतावनी दी है कि यदि बजरी माफिया पर कार्रवाई नहीं हुई तो वे जिला कलेक्ट्री के द्वार पर भूख हड़ताल पर बैठ जाएंगे और फिर भी कार्रवाई नहीं हुई तो पद से इस्तीफा दे देंगे, मगर बजरी खनन, परिवहन को रोककर ही रहेंगे.

रेलमगरा तहसील क्षेत्र बजरी खनन प्रतिबंध है

आपको बता दें कि रेलमगरा तहसील क्षेत्र में तो बजरी खनन पर कोर्ट का प्रतिबंध है. इसकी निगरानी के लिए खान एवं भू विज्ञान विभाग द्वारा सुरक्षा गार्ड भी तैनात कर रखें है, मगर सुरक्षा गार्ड की मिलीभगत के चलते खनन माफिया अपनी दबंगई के दम पर बेरोकटोक बजरी ले जा रहे हैं. वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि बनास नदी में राइफल के साथ तैनात सुरक्षा गार्ड, जो जिला परिषद सदस्य लेहरूलाल अहीर के उनके पास पहुंचने पर बनास नदी में आगे से आगे बढ़ते चले जा रहे हैं.

जानकारी के अनुसार बनास नदी में बजरी खनन की लीज जरूर है, मगर वह भी रेलमगरा तहसील क्षेत्र में नहीं है और राजसमंद व नाथद्वारा तहसील क्षेत्र में भी लीज नियमों के तहत श्मशान घाट, कुएं से 100 मीटर की परिधि में खनन करना नहीं किया जा सकता. साथ ही सघन पौधरोपण करना जरूरी है, तो 10 फीट तक बजरी का खनन किया जा सकता है, मगर खनन माफिया द्वारा जेसीबी से खोदकर खुलेआम बजरी निकाली जा रही है. 

जिला प्रशासन पर आंखे मूंदने का आरोप 

इस पर जिला परिषद सदस्य लेहरूलाल अहीर ने अहीर जिला प्रशासन पर आंखे मूंदने का आरोप जड़ा है और कहा है कि इसी वजह से खनन माफिया के हौंसले बुलंद हो रहे हैं. इस कारण सरकार को लाखों रुपए के राजस्व की चपत लग रही है.  जिला परिषद सदस्य अहीर का कहना है कि बनास नदी में बजरी खनन के बाद परिवहन में सभी वाहन ओवरलोड चल रहे हैं. मगर न तो पुलिस कार्रवाई कर रही है और न ही परिवहन विभाग गंभीर है. इस कारण क्षेत्र की सडक़ें टूट रही है, जिसका खमियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है. 

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वहीं इस पूरे मामले में विभाग का कहना है कि शिकायत मिलते ही एक्शन लिया गया और कार्रवाई की गई, आगे भी कार्रवाई जारी है. इस मामले पर राजसमंद भाजपा जिलाध्यक्ष मानसिंह बारहठ ने सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि ऐसा लग रहा है कि राजसमंद जिले में बजरी माफियाओं को किसी का भी खौफ नहीं है. उन्होंने कहा कि इस अवैध खनन को लेकर जनता में जबरदस्त आक्रोश है. अवैध खननकर्ताओं के हौसले इतने बुलंद है कि बजरी खनन के लिए 20 फीट से ज्यादा भी बड़े बड़े गड्ढे कर रखे हैं और यह गड्ढे इतने बड़े हैं कि कोई भी पशु या व्यक्ति वहां पर जाता है और उनमें गिर जाता है तो बाहर नहीं निकल पाता.  इन गड्ढों में पानी पीने के लिए पशु जाते हैं तो उनकी इसमें फंसकर मौत हो जाती है, गड्ढे इतने बड़े हैं कि इनमें बड़ी बड़ी मशीनें अंदर जाती हैं तो वह भी दिखाई नहीं देती है.

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