Nathdwara News: राजसमंद जिले की नाथद्वारा विधानसभा में स्थित मोलेला गांव के निवासी पद्मश्री मोहनलाल कुम्हार के अचानक निधन से शिल्पकारों में शोक की लहर छा गई है. मोहनलाल कुम्हार ने मृण शिल्प को विश्व स्तर पर स्थापित कर एक अलग ही पहचान दिलाई थी.
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Nathdwara News: राजसमंद जिले की नाथद्वारा विधानसभा में स्थित मोलेला गांव के निवासी पद्मश्री मोहनलाल कुम्हार के निधन से परिजनों और उनके हजारों शिल्पकार शिष्यों में शोक की लहर छा गई है. आपको बता दें कि मोलेला टेराकोटा यानी मृण शिल्प को विश्व स्तर पर स्थापित करने वाले शिल्पकार मोहनलाल कुम्हार ने एक अलग ही पहचान बनाई थी. इतना ही नहीं देश-विदेश में शिल्प कला के रूप में स्थापित करने में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई.
बचपन से ही माटी से था लगाव
शिल्प कला के रूप में मोहनलाल कुम्हार को देश और विदेश की कई कला संस्थानों ने सम्मानित किया जा चुका था. ऐसे में मृण शिल्प कला में उनके योगदान को सदैव याद किया जाएगा. बता दें कि मोहनलाल कुम्हार ने बचपन में पिता चतुर्भुज से जिन कोमल हाथों से माटी को आकार देने का हुनर विरासत में पाया था.
मोलेला गांव दशकों से मृणशिल्प कला को अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और हुनर के दम पर जिंदा रखे हुए हैं. यहां के दर्जनों कलाकारों की अगुवाई करने वाले मोहनलाल कुम्हार को 2012 में पद्मश्री सम्मान मिलने से कलाकार परिवार खुशी से भर उठे थे. एक ग्रामीण कलाकार को ऐसा सम्मान मिलने की सूचना पर उस वक्त जिले भर में हर्ष की लहर दौड़ गई थी.
टेराकोटा आर्ट का गढ़ मोलेला गांव
उल्लेखनीय है कि ऐतिहासिक रणस्थली हल्दीघाटी से लगभग 5 किलोमीटर दूर बसे इस गांव में कई कुम्हार परिवार परंपरागत ढंग से टेराकोटा आर्ट को सहेजे हुए हैं. इनमें से मोहनलाल कुम्हार का परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी इसे आगे बढ़ा रहा है. हाल ही में राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष व नाथद्वारा से विधायक डॉ सीपी जोशी ने शिल्प कला को आगे बढ़ाने के लिए करोड़ों रुपए की राशि स्वीकृत करवाई है. इस राशि को स्वीकृत करवाने के लिए मोहनलाल कुम्हार ने डॉ. जोशी से मांग की थी.
कौन है मोहनलाल चतुर्भुज कुम्हार
मोहनलाल चतुर्भुज कुम्हार राजस्थान के प्रसिद्ध शिल्प कारीगर हैं. उन्होंने टेराकोटा मूर्तिकला में अपने कौशल के लिए 2003 में शिल्प गुरु पुरस्कार सम्मानित हुए थे. उनका जन्म 1939 में राजस्थान में राजसमंद जिले के नाथद्वारा में हुआ था. 23वें सूरजकुंड शिल्प मेले में मोहन लाल चतुर्भुज को टेराकोटा आर्ट में उनके अद्भुत काम के लिए कलामणि पुरस्सकार से सम्मानित किया गया था. उन्होंने स्पेन, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे विभिन्न देशों में इस पारंपरिक कला को बढ़ावा देने में भाग लिया था. भारत सरकार ने उन्हें 2012 में पद्म श्री के नागरिक सम्मान से सम्मानित किया.
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