Sikar News: एथेलेटिक्स ट्रेनिंग कैंप में फिमेल प्लेयर्स ने इस हाल में गुजारी रात, बोलीं- टॉयलेट की खिड़कियां टूटी, दरवाजे भी बंद नहीं...
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Sikar News: एथेलेटिक्स ट्रेनिंग कैंप में फिमेल प्लेयर्स ने इस हाल में गुजारी रात, बोलीं- टॉयलेट की खिड़कियां टूटी, दरवाजे भी बंद नहीं...

Sikar News: नीमकाथाना जिला स्तरीय स्कूली गेम्स के तहत आयोजित 17 और 19 वर्षीय बायज-गर्ल्स एथलेटिक्स प्रतियोगिता की विजेता बालिका खिलाड़ियों को रात को ठहरने के लिए 2 कमरे दिए लेकिन दोनों कमरे बदहाल मिले उन कमरों को अंदर से बंद करने के लिए लॉक तक नहीं मिले.

Sikar News: एथेलेटिक्स ट्रेनिंग कैंप में फिमेल प्लेयर्स ने इस हाल में गुजारी रात, बोलीं- टॉयलेट की खिड़कियां टूटी, दरवाजे भी बंद नहीं...

Sikar News: नीमकाथाना जिला स्तरीय स्कूली गेम्स के तहत आयोजित 17 और 19 वर्षीय बायज-गर्ल्स एथलेटिक्स प्रतियोगिता की विजेता बालिका खिलाड़ियों को रात को ठहरने के लिए 2 कमरे दिए लेकिन दोनों कमरे बदहाल मिले उन कमरों को अंदर से बंद करने के लिए लॉक तक नही मिले. वहीं शौचालय के गेट भी खराब मिले.

गर्ल्स एथलेटिक्स खिलाड़ियों को मिले बदहाल कमरे

जानकारी के अनुसार जिलास्तरीय प्रतियोगिता और ट्रेनिंग का संयोजक गजानंद मोदी सी.सै. स्कूल है. इसी स्कूल में ट्रेनिंग कैंप चल रहा है. स्टेट टीम में खेलनेवाली बालिकाओं ने बताया कि जब ट्रेनिग के लिए पहले दिन शनिवार को स्कूल आए तो शारीरिक शिक्षकों ने कहा कि आज रात को सभी घर जाओ, यहां रुकने की व्यवस्था नही हैं.

बालिकाओं ने कहा करीब 40 से 50 किलोमीटर तक रात को घर कैसे जाएंगी, इसलिए कुछ बालिकाएं तो नीमकाथाना में रिश्तेदारों के पास रूकी तो किसी को धर्मशाला में रुकना पड़ा. महरौली से आई छात्रा खिलाड़ी मोना यादव और अन्य खिलाड़ियों ने बताया कि स्टेट टीम की ट्रेनिंग के लिए गजानंद सीनियर सेकंडरी स्कूल में 3 दिन की ट्रेनिंग चल रही है.

कमरों के अंदर की कुंडी भी नहीं

शनिवार को जब विद्यालय में आए और ट्रेनिंग शुरू की. उसके बाद शारीरिक शिक्षकों ने कहा कि रात को रुकने की कोई व्यवस्था नहीं है सभी बालिकाएं अपने-अपने घर चली जाएं. बालिकाओं ने कहा कि इस समय घर जाने में करीब दो से ढाई घंटे लगते हैं और 50 से 60 किलोमीटर की दूरी पर घर है, लेकिन सभी बालिकाएं स्कूल से चली गई.

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रविवार को बालिकाएं ट्रेनिंग के लिए आई तो उनसे कहा गया कि रात को रुकने के लिए स्कूल में व्यवस्था कर ली गई है. जब बालिकाओं ने उन दोनो कमरों में जाकर देखा तो कमरों की हालत बदतर थी. बालिका अश्मिता ने बताया कि कमरों के अंदर की कुंडी भी नहीं थी. दोनों कमरों की खिड़कियां टूटी हुई थी. गर्ल्स के शौचायल तक बदहाल हालात में पड़े हुए थे. बालिकाओं ने बताया कि इन जर्जर कमरों में रात को कैसे रुक सकते हैं.

गर्ल्स के शौचायल तक बदहाल

खेल प्रभारी मीरा खर्रा ने बताया कि प्रतियोगिता संयोजक और फिजिकल टीचर्स को व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी सौंपी गई हैं. यह उनका काम है. बेटियों की सुरक्षा में कोताही नहीं बरती जाएगी. व्यवस्थाओं में जो भी कमी मिली, उन्हें दूर कर दिया गया है. कई छात्र-छात्राओं का आनलाइन डाक्यूमेंटेशन नहीं हो पा रहा था. इसलिए उन्हें भेजा गया था.

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