Sikar News: मिठास के लिए मशहूर शेखावटी प्याज को उगाने वाले किसान क्यों है परेशान, जानें गायक कैलाश खेर ने क्या कहा
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Sikar News: मिठास के लिए मशहूर शेखावटी प्याज को उगाने वाले किसान क्यों है परेशान, जानें गायक कैलाश खेर ने क्या कहा

सीकर इन दिनों प्याज की आवक काफी बड़ी मात्रा में मंडी पहुंच रही है पर मंडी पहुंचे हुए किसानों के चेहरे उतरे हुए साफ देखे जा सकते हैं. वजह है कि प्याज लागत से कम मूल्य में मंडी में प्याज बिक रहे हैं. मौसम बरसात और ओलावृष्टि से किसानों के अरमान पर पानी फेर दिया था.

Sikar News: मिठास के लिए मशहूर शेखावटी प्याज को उगाने वाले किसान क्यों है परेशान, जानें गायक कैलाश खेर ने क्या कहा

Sikar News: जहां एक तरफ सरकारें किसानों की आय दुगनी होने का दावा कर रही तो वहीं दूसरी राजस्थान के किसान लागत को भी तरस रहे हैं. सीकर इन दिनों प्याज की आवक काफी बड़ी मात्रा में मंडी पहुंच रही है पर मंडी पहुंचे हुए किसानों के चेहरे उतरे हुए साफ देखे जा सकते हैं. वजह है कि प्याज लागत से कम मूल्य में मंडी में प्याज बिक रहे हैं.

नासिक के बाद सीकर प्याज उत्पादन दूसरे पायदान पर

नासिक के बाद शेखावाटी का सीकर देश में प्याज उत्पादन के लिए दूसरे पायदान पर आता है. शेखावाटी के प्याज अपने मिठास के लिए भी मशहूर है. होटलों में सलाद में शेखावाटी के प्याज की अच्छी डिमांड रहती है और उसका कारण इसका मिठास है बावजूद इसके किसानों को प्याज की खेती की लागत भी नसीब नहीं होती है. पहले मौसम बरसात और ओलावृष्टि से किसानों के अरमान पर पानी फेर दिया था.

 किसानों को मजबूरी में प्याज बेचने की वजह

रही सही कसर मंडी में मिलने वाले भावों ने पूरी कर दी. किसानों को मजबूरी में प्याज बेचने के पीछे यह भी कारण है की ज्यादा दिन तक यह टिक नहीं सकता क्योंकि नमी लगते ही प्याज खराब होने का अंदेशा है. प्याज भंडारण की सरकारी स्तर पर कोई व्यवस्था नहीं है इसलिए किसान भी इसे जल्दी ही बेचने में रहते हैं ताकि प्याज खराब नहीं हो. वहीं व्यापारी भी इस कारण को जानते है और इसी कारण प्याज मंडी में लाते ही किसान उसे बेचकर जाने में ही अपनी भलाई समझता है. व्यापारी इसे भाव तय कर खरीद लेता है, जबकि सरकार की और से अगर समर्थन मूल्य निर्धारित कर दे या भंडारण की व्यवस्था करवा तो किसानो को राहत मिल सकती है.

मंडी में बात करे तो मंडी में प्याज बेचने आए किसानों ने बताया कि प्याज की लागत कम से कम सात से आठ किलो तक आ रही है परंतु मंडी में प्याज 3 से 5 किलो तक भाव मिल रहे हैं दो से ढाई रुपए का प्रति किलो में नुकसान उठाना पड़ रहा है. ऊपर से मौसम की मार झेल चुकी प्याज की पहली फसलें खेती में ही नष्ट हो चुकी थी. उसका नुकसान भी किसान झेल चुके हैं अब जैसे ही नई फसल लेकर मंडी पर किसान पहुंच रहे हैं तो उन्हें लागत से कम भाव मिल रहे हैं. इससे किसान काफी निराश और मायूस नजर आ रहे.

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किसानों का कहना है कि सरकार को किसानों को लागत दिलाने के समर्थन मूल्य से प्याज खरीदने चाहिए. किसान इस बात को लेकर परेशान है पूरी मेहनत और लगन से प्याज की खेती करते है लेकिन जब किसान इसे बेचने मंडी में आता है तो उसकी लागत भी वसूल नहीं हो रही. फिल्हाल मंडी में तीन से पांच रुपेय किसानों को प्रति किलो के भाव नसीब हो रहे हैं.

जबकि व्यापारी इसे खुदरा व्यापारियों को आठ से दस रुपए में बेच रहे है। वही उपभोक्ता को यही प्याज 15 से बीस रुपए किलो में मिल रहा है. सीकर कृषि उपज मंडी के व्यापारी ने भाव नहीं मिले कारण यह बताया कि मौसम की मार के वजह से इन दोनों प्याज सही क्वालिटी के नहीं आ रहे हैं. इनके छिलके भी करीब-करीब उतर चुके हैं जिसकी वजह से यह ट्रकों में रास्ते में ही गले लगने हैं.

कैलाश खेर ने जिस शेखावाटी प्याज के कसीदे गढ़े

मौसम की मार से क्वालिटी के प्याज नहीं आने के कारण आगे भाव नहीं मिल पा रहे हैं. इस वजह से किसानों को लागत के नीचे भाव मिल रहे हैं. इससे किसानों की हालत काफी खराब नजर आ रही है हैं. हम आपको बता दें कि कि यहां के शेखावटी के प्रसिद्ध मीठे प्याज को लेकर पिछले दिनों जिले में आये देश विख्यात गायक कैलाश खेर ने जिस शेखावाटी प्याज के कसीदे गढ़े'' भरे मंच से कहा ओहो बहुत ही गजब का स्वाद ''हम क्या बोले ऐसा संतुलित री स्वाद ना तीखा ना मीठा जैसे बीच का प्रेम जैसा जैसे ईश्वर का प्रेम (लाड) होता है वैसा यहां (शेखावटी) का प्याज का स्वाद लगा. अब यह देखना होगा कि किसान अपनी प्याज की फसल की तारीफ पर गर्व करेगा या लागत नहीं मिलने के कारण मायूस होगा.

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