अनूपगढ़: यूरिया के लिए लगाने पड़ रहे कई चक्कर, घंटों लाइनों में खड़े रहते हैं किसान
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अनूपगढ़: यूरिया के लिए लगाने पड़ रहे कई चक्कर, घंटों लाइनों में खड़े रहते हैं किसान

किसानों को हर रोज यूरिया खाद लेने के लिए लंबी कतार में लगना पड़ता है, जिससे उसके खेत का कार्य भी प्रभावित होता है. नई मंडी घड़साना की सोसायटी भवन में सुबह से ही कृषि विभाग की ओर से यूरिया खाद के लिए सुव्यवस्थित तरीके से वितरित करने के लिए टोकन का वितरण किया जा रहा है.

अनूपगढ़: यूरिया के लिए लगाने पड़ रहे कई चक्कर, घंटों लाइनों में खड़े रहते हैं किसान

Anupgarh: किसान का जीवन चक्र खेत में फसल उगाने से लेकर मंडी में पहुंचाने तक होता है. पुरानी फसल का बेचान कर नई फसल की तैयारियों में जुटे घड़साना क्षेत्र के किसानों को इन दिनों यूरिया एवं डीएपी के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. 

जहां एक ओर फसल का बेचान शुरू हो गया, वहीं दूसरी ओर घंटों लाइनों में खड़े होकर यूरिया और डीएपी के लिए टोकन लेना पड़ रहा है और फिर घंटों लाइन में लगकर दो थैले यूरिया मिलती है. 

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श्रीगंगानगर के नई मंडी घड़साना की धान मंडी में एक बार फिर किसान यूरिया और डीएपी की खाद लेने के लिए लंबी कतार में लगे. पुलिस प्रशासन की देखरेख में यूरिया के टोकनों का वितरण किया जा रहा है. इन दिनों किसान को खेत में यूरिया और डीएपी खाद की बहुत जरूरत है लेकिन पर्याप्त मात्रा में डीएपी और यूरिया खाद नहीं मिलने के कारण किसानों को बहुत अधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है. 

किसानों को हर रोज यूरिया खाद लेने के लिए लंबी कतार में लगना पड़ता है, जिससे उसके खेत का कार्य भी प्रभावित होता है. नई मंडी घड़साना की सोसायटी भवन में सुबह से ही कृषि विभाग की ओर से यूरिया खाद के लिए सुव्यवस्थित तरीके से वितरित करने के लिए टोकन का वितरण किया जा रहा है.

क्या बोले कृषि विभाग के सहायक निदेशक 
कृषि विभाग के सहायक निदेशक रामनिवास चौधरी ने जानकारी देते हुए बताया कि आज नई मंडी घड़साना में यूरिया के 2700 थैले उपलब्ध हुए हैं. यूरिया का सही तरीके से वितरण करने के लिए किसान को टोकन दिए जा रहे हैं. किसान को एक टोकन पर यूरिया खाद के दो-दो थैले उपलब्ध करवाए जा रहे हैं.

डीएपी के जगह एनपीके का प्रयोग करने की दी सलाह
कृषि विभाग के सहायक निदेशक रामनिवास चौधरी ने किसानों को डीएपी के स्थान पर एनपीके का प्रयोग करने की सलाह दी है. सहायक निदेशक रामनिवास चौधरी ने बताया कि एनपीके डीएपी की अपेक्षा अधिक लाभदायक है. इसलिए किसानों को डीएपी के स्थान पर एनपीके खाद का प्रयोग करना चाहिए. एनपीके खाद बाजार में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है.

Reporter- Kuldeep Goyal

 

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