बॉर्डर पर सेना के जवानों के लिए धूल भरी आंधियां कर रही है 'कोढ़ में खाज का काम', इस तरह से कर रहे हैं गर्मी से बचाव
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बॉर्डर पर सेना के जवानों के लिए धूल भरी आंधियां कर रही है 'कोढ़ में खाज का काम', इस तरह से कर रहे हैं गर्मी से बचाव

Rajasthan News: बॉर्डर पर सेना के जवानों के लिए धूल भरी आंधियां  'कोढ़ में खाज का काम' कर रही है. जानिए किस तरह गर्मी से इन दिनों बॉर्डर पर जवान जंग रहे हैं.

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Heat in Rajasthan: दोपहर में सूर्य का तापमान शिखर पर...तपती रेत और चलती गर्म हवाएं भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तैनात जवानों के लिए किसी दुश्मन से कम नहीं हैं. इस दुश्मन से निपटने के लिए जवान  नीबू पानी, साफा, आंखों पर काला चश्मा और छाछ का सहारा लेते नजर आ रहे हैं. 

शहरी क्षेत्र का तापमान जहां 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है वहीं भारत-पाकिस्तान के लगती पश्चिमी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर परिस्थितियां और भी विपरीत हैं. कहना गलत नहीं होगा कि इन दिनों आसमान से आग बरस रही है. रेत आग का दरिया बनी हुई है. गत दिनों तो सोशल मीडिया पर सीमा सुरक्षा बल की एक सीमा चौकी पर रेत में पापड़ सेकने का वीडियो भी वायरल हुआ. आने वाले दिन और मुश्किल भरे है,जब नौतपा शुरु होने की आशंका जताई जा रही है.

नीबू पानी, साफा,काला चश्मा और छाछ है हथियार

जवानों के गर्मी एवं लू से जंग लड़ने के लिए नीबू पानी, साफा,काला चश्मा और छाछ हथियार हैं. इसके अलावा गर्मी के सीजन में जिस तरह गर्मी बढ़ रही है, जवानों को उसी मौसम में अभयस्त होने के लिए आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए जाते हैं और अन्य व्यवस्थाएं भी जाती हैं. जवानों को गर्मी से बचाव करने के लिए पेट्रोलिंग के समय अपने शरीर को पूरी तरह ढक कर रखने, साफे से चेहरे और सर को पूरी तरह ढकने के साथ चश्मा पहनने की हिदायत दी जाती है. वहीं मचानों पर पानी की व्यवस्था करवाई गई है.

 जवान अपने साथ पानी की बोतल एवं नीबू पानी रखते हैं.इसके अलावा रिर्जव जवानों के द्वारा सीमा चौकी से नीबू पानी भी जवानों तक पहुंचाया जाता है. गर्मी से बचाव के लिए जवान अपने साथ नमक एवं चीनी भी रखते हैं. वहीं पोस्ट पर कूल रूम बनाए गए हैं. प्रत्येक पोस्ट पर बनाए गए कूल रूम में एसी लगे हैं, यदि किसी जवान को हीट स्ट्रोक या लू लग जाती है तो उसे कूल रूम में लाकर ट्रेंड नर्सिंग एसिस्टेंट की तरफ से फर्स्ट एड दिया जाता है. जिसके बाद आवयश्कता पड़ने पर नजदीकी अस्पताल ले जाया जाता हैं. प्रतिदिन 6-6 घंटों की शिफ्ट में जवानों की तरफ से पेट्रोलिंग की जाती है, रात्रि में पेट्रोलिंग में जवानों की संख्या अपेक्षाकृत अधिक होती है.

डाइट में होता है बदलाव

गर्मी के मौसम में जवानों की डाइट भी बदल जाती है. डाइट में लू से लड़ने के लिए लिक्विड पेय पदार्थ, ओआरएस, इलैक्ट्रिक पाउडर के साथ-साथ दूध दही की मात्रा बढ़ा दी जाती है. इसके अलावा हरी सब्जियां खाने में सम्मिलित की जाती हैं. वहीं सभी जवानों को हीट स्ट्रोक से निपटने के लिए सीपीआर सहित अन्य की विशेष ट्रेनिंग दी जाती हैं.

खुर्रा जांच में भी आती है परेशानी

गर्मी के मौसम में जहां लू और गर्मी जवानों को परेशान करती है वहीं धूल भरी आंधिया कोढ़ में खाज का काम करती है. जहां जवानों को पेट्रोलिंग में परेशानी होती हैं वहीं जवानों की तरफ से प्रतिदिन सुबह की जाने वाली खुर्रा जांच में भी परेशानी होती है. जवानों की तरफ से प्रतिदिन सुबह तारबंदी के साथ-साथ पैरों के निशान को जांचा जाता है,आंधी तथा गर्मी के मौसम में या उच्चाधिकारियों के निर्देशन में दिन में दो बार भी जांच की जाती हैं. घुसपैठ या अन्य किसी संदिग्ध परिस्थितियों को रोकने के लिए सीमा सुरक्षा बल के जवान विपरीत परिस्थितियों में सीमा पर डटे हुए हैं.

और मुश्किल होगी यह जंग,जब गर्मी के तीखे तेवर और ज्यादा करेंगें परेशान

मई के दूसरे पखवाड़े में गर्मी ने अपने तीखे तेवरों से लोगों का हाल-बेहाल कर दिया है. सुबह से शुरू होकर रात तक चलने वाले लू के थपेड़े लोगों का सुकून छीन रहे हैं. सड़कें तप रही हैं और लोग छाया और हवा की तलाश कर रहे हैं लेकिन अभी राहत की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है. जानकारों के अनुसार 25 मई से नौतपा शुरू होगा, जिससे लू का असर और बढ़ेगा. यह कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले दिन जवानों के लिए और अधिक मुश्किल वाले होंगें लेकिन उनका हौंसला ऐसा है कि किसी भी परिस्थिति को निपटने के लिए जवान पूरी तरह तैनात रहते है,हर सीजन की तरह इस सीजन भी जवान यह जंग जीत जाएंगें.

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