Chittorgarh: काले सोने पर खिलने लगे सफेद धवल से फूल, अफीम की फसल को सुरक्षित करने में जुटा किसान
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Chittorgarh: काले सोने पर खिलने लगे सफेद धवल से फूल, अफीम की फसल को सुरक्षित करने में जुटा किसान

किसान अफीम की खड़ी फसल से डोडो के चोरी होने की आशंका को ध्यान में रखते हुए अपने खेतों के चारों तरफ पर्याप्त प्रकाश बिखेरने वाली लाइटें भी लगाते हैं, जिससे कि रात को अफीम की फसल की चौकसी करने में आसानी रहे. 

किसान हर तरह के जतन कर अफीम की फसल को बचाने में लगा हुआ है.

Chittorgarh: मेवाड़ में काले सोने के रूप में पहचान रखने वाली अफीम की बड़ी ही संवेदनशील फसल को किसान अपने बच्चे की तरह पाल पोस कर बड़ा करता है. इन दिनों मौसम में बदलाव होने के कारण किसान हर तरह के जतन कर अफीम की फसल को बचाने में लगा हुआ है. 

विदित है कि इस बार लाइसेंस धारी किसानों द्वारा अपने खेतों में अफीम की बुवाई करने के बाद दो बार मावठ (Mawath) की बारिश हो जाने से अफीम की फसल को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. जिले में कुछ स्थानों पर अफीम की फसल मावठ की बारिश के कारण बुरी तरह प्रभावित हुई है तो कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां अफीम की फसल में फूल आने लगे हैं. 

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आने वाले कुछ दिनों में काला सोना कहीं जाने वाली अफीम की इस फसल पर नयनाभिराम नजारा प्रस्तुत करने वाले सफेद फूल जड़ कर उस स्थान पर अफीम का उत्पादन करने वाला फल जिसे आम भाषा में डोडा कहा जाता है, निकल आएगा. अफीम के पौधे पर फल निकलने से इस पौधे पर वजन बढ़ने लगेगा, ऐसे में गीली जमीन और हवा के कारण पौधों के जमीन पर लेटने की आशंका बनी रहेगी. 

इसी आशंका को ध्यान में रखते हुए अफीम किसानों द्वारा इन दिनों अलग-अलग क्षेत्रों में भिन्न भिन्न प्रकार के जुगाड़ एवं जतन कर अफीम की फसल को जमीन पर गिरने से बचाने के उपाय किए जा रहे हैं. 

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विगत दो वर्षों अफीम फसल पर मौसम बदलने के साथ चलने वाली तेज हवाओं से पौधे धराशायी होने से बचाने के लिए किसानों ने देशी तकनीक का सहारा लिया है, जिसमें खेत पर बनी क्यारियों में कुछ दूरी पर बांस, लकड़ी या लोहे के मजबूत खूंटे गाड़ कर उनके ऊपर रस्सी बांध दी जाती है. जब पौधा बड़ा होता है तो उस रस्सी के सहारे पौधे को बांध दिया जाता है ताकी पौधे को कोई नुकसान नहीं हो. 

इसी प्रकार जंगली जानवरों, तोतों और पक्षियों से बचाव हेतु प्लास्टिक की जाली लगा कर पूरे खेत को ढक रहे हैं तो दूसरी और किसान वर्ग शीतलहर से फसल को बचाने के लिए कपड़े की कनात लगा रहे हैं. कई लोग अफीम की फसल के चारों तरफ मक्का की बुवाई कर मक्का के पौधे खड़े कर अफीम सुरक्षित रखते हैं ताकि कठिन परिश्रम से तैयार अफीम की फसल को हर प्रकार के नुकसान से बचा सके.

पौधों से डोडे चोरी करने वाले गिरोह सक्रिय 
इसके अलावा किसान अफीम की खड़ी फसल से डोडो के चोरी होने की आशंका को ध्यान में रखते हुए अपने खेतों के चारों तरफ पर्याप्त प्रकाश बिखेरने वाली लाइटें भी लगाते हैं, जिससे कि रात को अफीम की फसल की चौकसी करने में आसानी रहे. अफीम की फसल जब परिपक्व हो जाती है तो अफीम के पौधों से डोडे चोरी करने वाले गिरोह सक्रिय हो जाते हैं. ऐसे में किसानों को दिन में अफीम लुगाई करने के बाद रात भर रखवाली एवं चौकसी करनी पड़ती है. किसानों द्वारा एक अनुमान के अनुसार खेत में खड़ी फसल के प्रत्येक डोडे का मूल्य 200 से ₹300 माना जाता है. 

चौकन्ने रहते हैं किसान
इतना ही नहीं, किसान जब खेत से अफीम की लुआई कर निकाली गई अफीम को अपने घर पर एक वक्त करता है तो घर पर अफीम की रखवाली के लिए भी चौबीस घंटे किसी न किसी सदस्य को तैनात रखता है. इस प्रकार अफीम की बुवाई से लेकर उत्पादन प्राप्त करने और उसे वापस निर्धारित मात्रा में नारकोटिक्स विभाग को तोलने तक पूरी तरह सावधान एवं चौकस रहता है.

Reporter- Deepak Vyas

 

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