राष्ट्रीयता, भारतीयता और एकता हिंदी का मूल स्वर : राजनाथ
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राष्ट्रीयता, भारतीयता और एकता हिंदी का मूल स्वर : राजनाथ

हिंदी दिवस पर लोगों को शुभकामनाएं देते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रीयता, भारतीयता और एकता हिंदी का मूल स्वर है और राजभाषा हिंदी सरकार एवं संपूर्ण देश की आम जनता के बीच में संवाद की भाषा होकर अपनी सार्थक भूमिका निभा रही है। उन्होंने कार्यालय के कार्यो में हिन्दी के अधिक से अधिक उपयोग की अपील की।

राष्ट्रीयता, भारतीयता और एकता हिंदी का मूल स्वर : राजनाथ

नई दिल्ली : हिंदी दिवस पर लोगों को शुभकामनाएं देते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रीयता, भारतीयता और एकता हिंदी का मूल स्वर है और राजभाषा हिंदी सरकार एवं संपूर्ण देश की आम जनता के बीच में संवाद की भाषा होकर अपनी सार्थक भूमिका निभा रही है। उन्होंने कार्यालय के कार्यो में हिन्दी के अधिक से अधिक उपयोग की अपील की।

हिन्दी दिवस पर अपने संदेश में गृह मंत्री ने कहा, ‘भाषा किसी भी राष्ट्र की सामाजिक और सांस्कृतिक धरोहर की संवाहक होती है और साथ ही संपूर्ण राष्ट्र की एकता और अखंडता की महत्वपूर्ण कड़ी भी होती है। स्व-भाषा के बिना स्वराज का बोध कदापि नहीं हो सकता।’ उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रीयता, भारतीयता और एकता हिंदी का मूल स्वर है और राजभाषा हिंदी सरकार एवं संपूर्ण देश की आम जनता के बीच में संवाद की भाषा होकर अपनी सार्थक भूमिका निभा रही है।’ 

उन्होंने कहा कि हिंदी को राष्ट्रीय स्वाभिमान का अंग एवं प्रेरणा स्रोत के रूप में सर्वाधिक उपयुक्त समझते हुए भारतीय संविधान सभा द्वारा 14 सितंबर, 1949 को हिंदी को भारत-संघ की राजभाषा के रूप में अंगीकार किया गया। इसी अनुक्रम में 26 जनवरी, 1950 में लागू भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 (1) के अनुसार यह व्यवस्था की गई कि संघ सरकार की राजभाषा हिंदी होगी एवं इसकी लिपि देवनागरी होगी।

राजनाथ ने कहा कि विश्व में सर्वप्रथम सभ्यता एवं संस्कृति का उद्गम भारत भूमि पर ही हुआ। जिस भारत भूमि में योग, सांख्य-दर्शन, दशमलव-प्रणाली, ज्योतिष-विज्ञान, ग्रह-नक्षत्रों की दूरी और काल की गणना जैसे ज्ञान से परिपूर्ण विषयों पर उत्कृष्ट साहित्य का सृजन हुआ हो, उस देश की भाषाओं की जड़ें कितनी गहरी, समुन्नत, समृद्ध और वैज्ञानिक हो सकती हैं, इसका अनुमान लगाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि भारतीय भाषाओं की इन्हीं विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए संविधान के अनुच्छेद 351 के अनुसार संघ सरकार को यह दायित्व सौंपा गया कि वह हिंदी भाषा का प्रसार और उसका विकास करे ताकि हिंदी भारत की सामाजिक-संस्कृति के सभी तत्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम बन सके।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज की उदारीकृत अर्थव्यवस्था के युग में देश को अशिक्षा, बेरोजगारी और गरीबी से उबारने के लिए आम जनता को सूचना प्रौद्योगिकी, पर्यावरण-संरक्षण, कृषि, अभियांत्रिकी, स्वास्थ्य सेवाओं जैसे अनेक क्षेत्रों में राजभाषा हिंदी के माध्यम से शिक्षित करने की नितांत आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार के सभी कार्यालयों के कामकाज में सरल एवं सहज हिंदी का प्रयोग किया जाए ताकि यह सभी के लिए बोधगम्य हो तथा इसका प्रयोग बहु-आयामी हो सके। यह याद रखना आवश्यक है कि संघ की राजभाषा नीति का मुख्य उद्देश्य मूल रूप से राजकीय-कार्य हिंदी में करना है।

राजनाथ ने कहा कि कार्यालय कार्य हिंदी में किए जाने से ही राजभाषा हिंदी का प्रयोग बढ़ेगा तथा राजभाषा नीति का सही मायनों में कार्यान्वयन संभव होगा। इस दिशा में अपेक्षित परिणाम प्राप्त करने के लिए दो महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि मैं विशेष रूप से केंद्र सरकार में कार्यरत सभी वरिष्ठ अधिकारियों से आग्रह करता हूं कि वे स्वयं अपना रोज़मर्रा का सरकारी कामकाज हिंदी में करें ताकि अन्य सभी कार्मिकों को भी ऐसा करने की प्रेरणा मिले।

उन्होंने कहा कि सरकारी कामकाज में हिंदी के प्रयोग को बढ़ाने के लिए वे केंद्र सरकार के सभी प्रशिक्षण संस्थानों के प्रमुखों से अनुरोध करते हैं कि वे राजभाषा विभाग द्वारा क, ख और ग क्षेत्रों के लिए निर्धारित लक्ष्यों के अनुरूप अपने प्रशिक्षण कार्यक्रम हिंदी माध्यम में ही आयोजित करें। इस प्रयोजनार्थ व्यावहारिक कार्य-योजना बनाकर गंभीर प्रयास करने की आवश्यकता है।

गृह मंत्री ने कहा कि वे यह भी अपील करते हैं कि राजभाषा विभाग को भेजी जाने वाली हिंदी की तिमाही प्रगति रिपोटरे एवं अन्य अपेक्षित रिपोटरे में वास्तविक और तथ्यपरक आंकड़े एवं सूचनाएं ही दी जाएं। संघ की राजभाषा नीति का आधार सद्भावना, प्रेरणा और प्रोत्साहन है किंतु संबंधित अनुदेशों का अनुपालन उसी प्रकार दृढ़तापूर्वक किया जाना चाहिए जिस प्रकार अन्य सरकारी अनुदेशों का अनुपालन किया जाता है।

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