Lok Sabha Election: ऊंचाहार से विधायक मनोज पांडेय, गौरीगंज के विधायक राकेश सिंह, गोसाईगंज से विधायक अभय सिंह, जलालपुर से विधायक राकेश पांडेय, कालपी से विधायक विनोद चतुर्वेदी, चायल से विधायक पूजा पाल, बिसौली से विधायक आशुतोष मौर्य और रसड़ा से बसपा विधायक उमाशंकर सिंह ने एनडीए के लिए वोट किया. जबकि सपा की अमेठी से विधायक महाराजी देवी गैर हाजिर रहीं.
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SP Vs BJP: यूपी में राज्यसभा की 10 सीटों पर चुनाव जारी हैं. लेकिन सबसे ज्यादा जो सिरदर्द बढ़ा वो समाजवादी पार्टी के हिस्से आया. उसके 8 विधायकों ने एनडीए के पक्ष में वोट डाल दिया, जिसके बाद सियासी हलचल बढ़ गई. अब जानते हैं कि वो सपा के 8 विधायक कौन हैं.
इन विधायकों ने की क्रॉस वोटिंग
ऊंचाहार से विधायक मनोज पांडेय, गौरीगंज के विधायक राकेश सिंह, गोसाईगंज से विधायक अभय सिंह, जलालपुर से विधायक राकेश पांडेय, कालपी से विधायक विनोद चतुर्वेदी, चायल से विधायक पूजा पाल, बिसौली से विधायक आशुतोष मौर्य और रसड़ा से बसपा विधायक उमाशंकर सिंह ने एनडीए के लिए वोट किया. जबकि सपा की अमेठी से विधायक महाराजी देवी गैर हाजिर रहीं.
समीकरण क्या हैं?
राज्यसभा चुनाव के लिए यूपी से 11 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे. इन 11 में बीजेपी के 8 और सपा के 3 थे. 7 सीट पर बीजेपी की जीत तय मानी जा रही थी और 2 पर सपा की. असली लड़ाई थी आठवीं सीट के लिए, जिस पर बीजेपी ने संजय सेठ को उतारकर खलबली मचा दी. संजय सेठ के सामने थे सपा के आलोक रंजन.
उत्तर प्रदेश में एनडीए के पास 288 विधायक हैं. उनके गठबंधन की पार्टी सुभासपा का एक विधायक जेल में है. इस तरह से संख्या 287 है. मंगलवार को वोटिंग के दौरान बीजेपी ने 7 उम्मीदवारों के लिए 37-37 वोट अलॉट कर दिए. 259 वोट हुए. बचे 28 वोट. जबकि बीजेपी को चाहिए थे 37 वोट.
यूपी की आठवीं सीट के लिए 9 विधायकों के वोट कम पड़ रहे थे. बीजेपी ने इसके लिए सपा के 8 विधायकों से संपर्क किया और सपा के इन 8 विधायकों ने बीजेपी के लिए वोट कर दिया. सपा के पास विधायकों की कुल संख्या 108 है. दो जेल में हैं और आठ बीजेपी के साथ हैं. यानी उसके पास संख्या बची 98. दो वोट कांग्रेस के पास हैं. उनको भी मिला दिया जाए तो संख्या बैठती है 100.
क्रॉस वोटिंग के साथ बीजेपी का क्या है प्लान?
बीजेपी ने उन विधायकों को साथ लाने का प्रयास किया है, जिनके जरिए 2019 में हारी हुई सीटों पर समीकरण अपने पक्ष में लाया जा सके. बीजेपी का खास फोकस अमेठी और रायबरेली लोकसभा सीट पर रहा है. अमेठी से सपा के दो विधायक बीजेपी के पक्ष में गए. रायबरेली से एक. यानी 2024 के चुनाव में अमेठी-रायबरेली में गांधी परिवार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. इससे अमेठी में स्मृति का किला और मजबूत हो गया है. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में अंबेडकरनगर में बीजेपी हारी थी. उस हारी सीट से दो सपा विधायकों को भी बीजेपी अपने पक्ष में ले गई.
हाल ही में बीएसपी सांसद बीजेपी में शामिल हुए हैं. इसके अलावा कौशांबी से सपा के एक विधायक ने क्रॉस वोट किया. पूजा पाल ने भी क्रॉस वोट किया है. साल 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी कौशांबी की सारी सीटें हार गई थी. कौशांबी के समीकरण को बेहतर करने के लिए राजा भैया को भी बीजेपी साथ लेकर आई है. कौशांबी जिले में तीन विधानसभा और लोकसभा में पांच विधानसभा सीटें हैं, जिनमें प्रतापगढ़ की कुंडा और बाबागंज विधानसभा हैं. इन दोनों सीटों पर राजा भैया के विधायक हैं.