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नई दिल्ली: भारत में आज के रावण का एक रूप गरीबी और भुखमरी भी है. 2021 के Global Hunger Index के मुताबिक भारत भुखमरी के मामले में दुनिया के 116 देशों में 101 नंबर पर है, पिछले वर्ष भारत इसमें 94वे नंबर पर था. इस इंडेक्स का दावा है कि इस मामले में भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश भी भारत से अच्छी स्थिति में हैं.
इस इंडेक्स में नेपाल और बांग्लादेश 76वें नंबर पर हैं जबकि पाकिस्तान की रैंक 92 है. भारत की स्थिति सिर्फ 15 देशों से अच्छी है और इनमें अफगानिस्तान, नाइजीरिया, कांगो, सोमालिया और यमन जैसे देश शामिल हैं. लेकिन भारत सरकार ने इस ग्लोबल हंगर इंडेक्स का पुरजोर खंडन किया है और कहा है कि इसे तैयार करने के लिए जो गणना की गई वो ठीक नहीं है.
सरकार का कहना है कि भुखमरी का पता लगाने के लिए वेट और हाइट जैसे आंकड़ों की जरूरत पड़ती है. लेकिन ये इंडेक्स Gallup नाम की एक संस्था के उन आंकड़ों के आधार पर जारी किया गया है जो जनसंख्या से जुड़े हैं और इसे तैयार करने के लिए जरूरी वैज्ञानिक पद्धति को नहीं अपनाया गया.
ग्लोबल हंगर इंडेक्स में कहा गया है कि भुखमरी के मामले में भारत की स्थिति बहुत चिंताजनक है और Covid 19 के बाद से हालात ज्यादा बिगड़े हैं. लेकिन एक सच ये भी है कि लॉकडाउन के दौरान प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत भारत के 80 करोड़ लोगों को हर महीने पांच किलो मुफ्त अनाज दिया गया और ये योजना अब भी चल रही है.
इस योजना पर अब तक 2 लाख 27 हजार करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं जो भारत के रक्षा बजट का 64 प्रतिशत है. इसके अलावा लॉकडाउन के दौरान देश की 20 करोड़ महिलाओं को तीन महीने तक हर महीने 500-500 रुपये की आर्थिक सहायता भी दी गई .
संयुक्त राष्ट्र की ही एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 10 वर्षों में भारत के 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आए हैं और अब 1990 के मुकाबले भारत में गरीबों की संख्या आधी हो चुकी है. लेकिन पश्चिमी देशों की गैर सरकारी संस्थाओं को ये सब दिखाई नहीं देता और ये जब भी भारत के मामले कोई रिपोर्ट तैयार करते हैं तो उसमें भारत की स्थिति को अक्सर खराब दिखाया जाता है.
हम ये नहीं कह रहे कि भारत के सभी लोगों को अब भरपेट भोजन मिल रहा है. लेकिन जितनी खराब स्थिति इन इंटरनेशनल रिपोर्ट्स में दिखाई जाती है, भारत उससे कहीं बेहतर स्थिति में है. एक समय था जब भारत के लोग इस तरह की रिपोर्ट्स को स्वीकार कर लेते थे, तब ये पश्चिमी देश किसी प्रोफेसर की तरह भारत को लेक्चर देते थे और भारत चुपचाप इनकी बातों को स्वीकार कर लेता था. लेकिन ये नया भारत है और अब भारत इन्हें अच्छी तरह से जवाब देना सीख गया है.