किसान आंदोलन (Farmers Protest) के नाम पर लाल किले में दंगाइयों ने किस तरह का उपद्रव किया उससे पूरा देश शर्मिंदा है. पुलिस कर्मी देश के झंडे और किसानों के नाम पर शांत रहे. जवानों पर लाठियां बरसाई गईं, पथराव हुआ. वो किसी बड़ी साजिश की ओर इशारा करता है.
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नई दिल्ली: किसान आंदोलन और ट्रैक्टर रैली (Tractor Rally) के नाम पर लाल किले (Red Fort) में जो कुछ हुआ उसकी तस्वीरें देखकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे. लाल किले के अंदर उपद्रवी जिस वक्त घुसे थे उस वक्त वहां क्या मंजर था. इसी दौरान लाल किले से आई एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट आपको फ्रेम बाइ फ्रेम समझाने की कोशिश करते हैं. तब आप जान पाएंगे कि किसान मार्च के नाम पर दिल्ली (Delhi) में जो कुछ हुआ वो बहुत बड़ी साजिश हो सकती है. लाल किले के अंदर जो कुछ भी हुआ है वो सिर्फ हिंसा की निंदा करने से या किसान नेताओं के माफी मांग लेने भर से भुलाया या नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
किसान आंदोलन (Farmers Protest) के नाम पर लाल किले में दंगाइयों ने किस तरह का उपद्रव किया उससे पूरा देश शर्मिंदा है. तस्वीरों और वीडियो ने सब कुछ एकदाम साफ बयां कर दिया. हथियारों से लैस पुलिस कर्मी देश के झंडे और किसानों के नाम पर शांत रहे. दंगाइयों की लाठियां पुलिस पर बरसती रहीं. पुलिस कर्मी लाल किले की दीवार से नहर में गिरते रहे. लाल किले की दीवार से लटके पुलिस वाले खाई में गिरते जा रहे थे. कुछ खुद कूदने की कोशिश कर रहे थे. मंजर ऐसा खौफनाक और दंगाइयों के शोर के आगे पुलिसवालों को खुद को संभाल पाना मुश्किल हो रहा था. इस बीच एक वीडियो सामने आया जिसके 40 सेकेंड में बड़ा खौफनाक मंजर देखने को मिला. इस वीडियो में एक एक करके 21 पुलिस वाले करीब 20 से 25 फीट गहरी उस खाई में गिर गए जो लाल किले की चारदीवारी के बाहर बनी है.
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इतना पढ़ने के बाद क्या आपने सोंचा कि ऐसा क्यों हुआ होगा? आखिर ये पुलिसवाले क्यों गिर रहे थे. तो सस्पेंस खत्म करते हुए आपको बताते हैं कि ऐसा इसलिए हुआ जो वीडियो के दूसरे हिस्से को ध्यान से देखने पर समझ आया. खाई वाला सीन इसलिए भी वायरल हुआ क्योंकि वहां मौजूद दंगाइयों के हाथ में लाठियां थी और वो सुरक्षाकर्मियों पर ताबड़तोड़ लाठी भांज रहे थे. इस बीच एक पुलिसवाले ने रेलिंग पार करके बचने की कोशिश की लेकिन वहां मौजूद एक सफेद स्वेटर वाले दंगाई ने उस पर इतनी जोर से लाठी मारी कि वो पीछे गिर पड़ा. इस बीच कुछ पुलिस वालों ने रैम्प के रास्ते किले के अंदर भागने की कोशिश कर रहे थे और दंगाई उन पर ताबड़तोड़ लाठियां बरसा रहे थे.
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देश की आजादी के सात दशक बाद ये पहला मौका था जब लाल किले में हुई इन वारदातों ने पूरे देश का सर झुका दिया. लाठी डंडों से पुलिस वालों को घेर कर मारा गाया. दौड़ा दौड़ा कर पीटने के बाद भी जब हैवानों का मन नहीं भरा तो आंदोलन की आड़ लेकर आए तथाकथित किसानों ने पुलिस पर पथराव किया. दंगाइयों ने गेट तोड़ने की कोशिश की. गेट तोड़ने के लिए ये उपद्रवी दो दो ट्रैक्टर लाए थे. इस बीच गेट खुला तो दंगाईयों की भीड़ अंदर की ओर दौड़ पड़ी.
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लाल किले पर तैनात सुरक्षाबल के जवानों ने इस बीच बड़े संयम से काम लिया. हाथों में हथियार होते हुए भी वो इन दंगाइयों से सिर्फ इसलिए पिटते रहे क्योंकि इनमें से कुछ हाथों ने तिरंगा थाम रखा था. कुछ खुद को किसान कह कर वहां दाखिल हुए थे. अगर सुरक्षाबल के जवानों ने सब्र से काम नहीं लिया होता और दंगाइयों का मुकाबला दंगाई की तरह किया होता तो लाल किले में क्या हो जाता इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकता है.
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