Pandit Bhajan Sopori Died: चला गया संतूर का सरताज, पंडित भजन सोपोरी का 74 साल की उम्र में निधन
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Pandit Bhajan Sopori Died: चला गया संतूर का सरताज, पंडित भजन सोपोरी का 74 साल की उम्र में निधन

Pandit Bhajan Sopori Died: साल 1948 में कश्मीर के सोपोर में जन्मे पंडित भजन सोपोरी भारतीय शास्त्रीय संगीत के सूफियाना घराने से थे. उन्होंने महज 5 साल की उम्र में साल 1953 में  अपनी पहली परफॉर्मेंस दी थी. अपने कई दशकों को करियर में उन्होंने अमेरिका, इंग्लैंड, इजिप्ट, जर्मनी समेत कई देशों में परफॉर्म किया.  

संतूर के सरताज पंडित भजन सोपोरी का निधन

Pandit Bhajan Sopori Died: संतूर वादक पंडित भजन सोपोरी का गुरुग्राम के अस्पताल में निधन हो गया है. वह 74 साल के थे. पद्मश्री से नवाजे जा चुके पंडित भजन सोपोरी को 'संतूर का संत' कहा जाता था. गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली. उनका अंतिम संस्कार शुक्रवार को होगा. साल 1948 में कश्मीर के सोपोर में जन्मे पंडित भजन सोपोरी भारतीय शास्त्रीय संगीत के सूफियाना घराने से थे. उन्होंने महज 5 साल की उम्र में साल 1953 में  अपनी पहली परफॉर्मेंस दी थी. अपने कई दशकों को करियर में उन्होंने अमेरिका, इंग्लैंड, इजिप्ट, जर्मनी समेत कई देशों में परफॉर्म किया.  

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दादा-पिता से मिली थी विरासत

उन्होंने वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी से पश्चिमी शास्त्रीय संगीत सीखा था. हिंदुस्तानी संगीत की विरासत उन्हें अपने दादा एससी सोपोरी और पिता शंभू नाथ से मिली ती. इतना ही नहीं पंडित भजन सोपोरी ने वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में संगीत भी सिखाया है. 

सोपोरी को भारतीय शास्त्रीय संगीत में उनके योगदान के लिए 1992 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और 2004 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था. पिछले महीने, महान संगीतकार और संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा का हृदय गति रुकने से निधन हो गया था. वह पिछले छह महीने से किडनी संबंधी बीमारियों से पीड़ित थे और उनका डायलिसिस भी चल रहा था.

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सभी भाषाओं में तैयार किया था म्यूजिक

पंडित भजन सोपोरी इकलौते ऐसे शास्त्रीय संगीतकार हैं, जिन्होंने अरबी, फारसी, संस्कृत के अलावा देश की लगभग सभी भाषाओं में चार हजार से ज्यादा गानों के लिए म्यूजिक तैयार किया है. उन्होंने तीन रागों की रचना की है. इनमें राग निर्मल, राग पटवंती और राग लालेश्वरी शामिल है. पंडित सोपोरी ने देश की अखंडता और एकता के लिए कई गानों की फिर से धुनें तैयार की हैं. इनमें हम होंगे कामयाब, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, सरफरोशी की तमन्ना अहम हैं. साल 2011 में उन्हें एमएन माथुर सम्मान और 2016 में जम्मू-कश्मीर राज्य आजीवन उपलब्धि पुरस्कार दिया गया था.

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