Maharashtra Politics: 'स्पीकर फेल रहे तो हम तय करेंगे', शिंदे के विधायकों की अयोग्यता पर CJI की सख्त टिप्पणी
Advertisement
trendingNow11914125

Maharashtra Politics: 'स्पीकर फेल रहे तो हम तय करेंगे', शिंदे के विधायकों की अयोग्यता पर CJI की सख्त टिप्पणी

Maharashtra Politics: महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को सुप्रीम कोर्ट ने नसीहत देते हुए कहा है कि अगले विधानसभा चुनावों से पहले विधायकों की अयोग्यता के मामले का निपटारा करें. वरना कोर्ट कड़ा आदेश देने को बाध्य होगा. सीजेआई ने नाराजगी जताते हुए कहा कि वो जल्द से जल्द इस मामले का निपटारा चाहते हैं.

Maharashtra Politics: 'स्पीकर फेल रहे तो हम तय करेंगे', शिंदे के विधायकों की अयोग्यता पर CJI की सख्त टिप्पणी

Supreme Court: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके वफादार शिवसेना विधायकों के खिलाफ अयोग्यता संबंधी याचिकाओं पर निर्णय करने में हो रही देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को महाराष्ट्र के विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को आड़े हाथ लेते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि इस मुद्दे पर कब तक निर्णय किया जाएगा, इसके बारे में वह उसे मंगलवार तक अवगत कराएं. सीजेआई न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड के साथ जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्र की बेंच ने कहा कि (अयोग्य ठहराये जाने की) कार्यवाही महज दिखावा नहीं होनी चाहिए और स्पीकर भी शीर्ष अदालत के आदेश को विफल नहीं कर सकते हैं. बेंच ने ये भी कहा कि यदि वह संतुष्ट नहीं हुई, तो वह ‘बाध्यकारी आदेश’ सुनाएगी.

अगले विधानसभा चुनाव से पहले हो निपटारा

कोर्ट ने कहा, ‘किसी को तो (विधानसभा) अध्यक्ष को यह सलाह देनी होगी. वह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को विफल नहीं कर सकते हैं. वह किस तरह की समय सीमा को बता रहे हैं...... यह (अयोग्यता संबंधी कार्रवाई) त्वरित प्रक्रिया है. पिछली बार, हमें लगा था कि सद्बुद्धि आएगी और हमने उनसे एक समय सीमा निर्धारित करने के लिए कहा था.’ अदालत ने ये भी कहा कि समय सीमा निर्धारित करने के पीछे का विचार अयोग्यता कार्यवाही पर सुनवाई में ‘अनिश्चित काल के लिए विलंब’ करना नहीं था. नाराज दिख रहे प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला अगले विधानसभा चुनाव से पहले लेना होगा, अन्यथा पूरी प्रक्रिया निरर्थक हो जाएगी.

प्रदेश में अगला विधानसभा चुनाव सितंबर-अक्टूबर 2024 में होने की उम्मीद है. इसने कहा कि शीर्ष अदालत यह नहीं बताएगी कि अध्यक्ष को किन आवेदनों पर निर्णय करना चाहिए. पीठ ने कहा, ‘लेकिन उनकी (अध्यक्ष) ओर से ऐसी धारणा बनायी जानी चाहिए कि वह मामले को गंभीरता से ले रहे हैं. जून के बाद से, मामले में क्या हुआ है ...कुछ नहीं . कोई कार्रवाई नहीं. जब मामला इस अदालत के समक्ष आने वाला होता है, वहां कुछ सुनवाई होती है.’

सीजेआई की सख्त टिप्पणी

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘उन्हें निश्चित तौर पर रोजाना आधार पर सुनवाई करनी चाहिये और यह पूरी की जानी चाहिये. वह यह नहीं कह सकते हैं कि मैं सप्ताह में दो बार इसकी सुनवाई करूंगा, नहीं तो, नवंबर के बाद मैं इसका निर्णय करुंगा कि कब फैसला सुनाना है.’ बेंच ने कहा, ‘स्पीकर सदन के अध्यक्ष के तौर पर काम करने के दौरान एक चुनाव न्यायाधिकरण है और वह इस न्यायालय के अधिकार क्षेत्र के अधीन है.’

अदालत ने अपने पहले के आदेश का पालन न होने पर चिंता जताते हुये कहा कि जून के बाद से इस मामले में कोई भी प्रगति नहीं हुई है तथा सरकार के शीर्ष कानून अधिकारी को ‘स्पीकर को सलाह’ देने के लिए कहा है. बेंच ने कहा, ‘उन्हें सहायता की आवश्यकता है, जो स्वाभाविक है. अदालत ने कहा कि निश्चित रूप से ऐसी धारणा बनानी चाहिए कि वह मामले को गंभीरता से ले रहे हैं. पीठ ने कहा, ‘जून के बाद इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है. क्या हुआ इस मामले में . कुछ नहीं . यह एक तमाशा नहीं बन सकता है. (अध्यक्ष के सामने) मामले की सुनवाई होनी चाहिये.’

सॉलिसिटर जनरल ने अध्यक्ष के सामने आने वाली कठिनाइयों का जिक्र किया और कहा कि एक के बाद एक दस्तावेज उन पर थोपे जाते हैं और पार्टियां छात्रों की तरह उनके पास आती हैं पीठ ने कहा, ‘हम उनके पक्ष में छूट देने को तैयार हैं. लेकिन, जो प्रक्रिया निर्धारित की गई है, उससे यह धारणा अवश्य बननी बहिए कि मुद्दों के समाधान के लिये गंभीर प्रयास किये जा रहे हैं.’ प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि अदालत यह सुनिश्चित करने के लिए ‘पक्षों को रोक कर रखेगी’ कि कोई और दस्तावेज दाखिल न किया जाए.

 '6 महीने बीत चुके हैं’

उन्होंने ठाकरे गुट के अधिवक्ता से कहा कि हर बार जब वे कुछ नया दाखिल करते हैं, तो वे सुनवाई स्थगित करने के लिए स्पीकर को कुछ हथियार देते हैं. पीठ ने कहा, ‘हमने 14 जुलाई को इस मामले में नोटिस जारी किया था. इसके बाद, हमने 18 सितंबर को एक आदेश पारित किया. हमें यह उम्मीद थी कि अध्यक्ष सुनवाई पूरी करने के लिए एक उचित समय सीमा निर्धारित करेंगे. अब, हमें लगता है कि अध्यक्ष ने इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया है. अब हम यह कहने के लिए बाध्य हैं कि उन्हें दो महीने की अवधि के भीतर निर्णय लेना होगा, क्योंकि आप इससे अवगत हैं कि 6 महीने बीत चुके हैं.’

पीठ ने कहा कि उसने समय सीमा इसलिए तय नहीं की क्योंकि अदालत इस तथ्य का सम्मान करती है कि विधानसभा अध्यक्ष विधायिका का हिस्सा हैं. लेकिन ये जरूरी है सभी पक्ष जिम्मेदारी निभाएं. प्रधान न्याधीश ने कहा, ‘मैं बहुत स्पष्ट हूं कि हम सरकार की हर शाखा के प्रति सम्मान दिखाते हैं .लेकिन इस अदालत का आदेश वहां चलना चाहिए, जहां हम पाते हैं कि कोई निर्णय संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है या संविधान के अनुसार निर्णय नहीं लिया गया है.’

अदालत की गरिमा बनाए रखने को लेकर चिंतित हूं: CJI

विधानसभा अध्यक्ष की ओर से न्यायालय के पहले के आदेशों का पालन नहीं किए जाने का जिक्र करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘मैं अपनी अदालत की गरिमा बनाए रखने को लेकर चिंतित हूं.’

शीर्ष अदालत शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट और राकांपा (NCP) के शरद पवार खेमे द्वारा दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कुछ विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही पर शीघ्र निर्णय लेने के लिए अध्यक्ष को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था. ठाकरे गुट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कार्यवाही में देरी का जिक्र किया और आरोप लगाया कि अब पार्टी को यह दिखाने के लिए सबूत पेश करना होगा कि वह एक पीड़ित पक्ष है और एक ’तमाशा’ चल रहा है. उन्होंने कहा कि याचिका पर नोटिस 14 जुलाई को जारी किया गया था और आज तक कुछ भी प्रभावी नहीं किया गया है.

इससे पहले 18 सितंबर को, बेंच ने स्पीकर को शिंदे और उनके प्रति निष्ठा रखने वाले शिवसेना विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर फैसले के लिए समय सीमा बताने का निर्देश दिया था, जिन्होंने जून 2022 में नई सरकार बनाने के लिए बीजेपी के साथ गठबंधन किया था. अदालत ने सॉलिसिटर जनरल से शिंदे गुट के विधायकों सहित 56 विधायकों की अयोग्यता की याचिकाओं पर फैसला करने के लिए स्पीकर द्वारा तय की जाने वाली समय सीमा से पीठ को अवगत कराने को कहा था.

गौरतलब है कि ठाकरे गुट ने जुलाई में शीर्ष अदालत का रुख किया था और राज्य विधानसभा अध्यक्ष को अयोग्यता याचिकाओं पर समयबद्ध तरीके से शीघ्र फैसला करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था. बाद में, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार गुट द्वारा एक अलग याचिका दायर की गई, जिसमें विधानसभा अध्यक्ष को उप मुख्यमंत्री अजित पवार और उनके प्रति वफादार पार्टी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर शीघ्र निर्णय करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था.

(इनपुट: न्यूज़ एजेंसी पीटीआई भाषा)

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news