Farmers को उकसाने में जुटी Shivsena, Modi सरकार पर लगाया किसानों को खूनी-दंगाई साबित करने का आरोप
Advertisement
trendingNow1814604

Farmers को उकसाने में जुटी Shivsena, Modi सरकार पर लगाया किसानों को खूनी-दंगाई साबित करने का आरोप

दिल्ली के बॉर्डर (Delhi's Border) पर जमे किसानों के आंदोलन (Farmers Protest) को बदनाम करने का हरसंभव प्रयास मोदी सरकार (Modi Government) ने किया. किसानों को खालिस्तानी (Khalistan's Protesters) साबित करने की कोशिश की.

महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे (फाइल फोटो) | फोटो साभार: PTI

मुंबई: केंद्र की मोदी सरकार एक तरफ जहां कृषि को लेकर बनाए गए नए कानूनों पर किसानों की गलतफहमियों को दूर करने में लगी है तो वहीं दूसरी तरफ शिवसेना अपने मुखपत्र सामना के जरिए किसानो के मुद्दे को रोजाना हवा दे रही है. इसमें कहा गया कि किसान आंदोलन जल्द खत्म होने वाला नहीं है.

शिवसेना (Shivsena) के मुखपत्र सामना (Saamana) में लिखा है कि इस देश का किसान हमलावर और दंगाई नहीं हो सकता. वह अन्नदाता है. आपदाओं और विपदाओं से दो-दो हाथ करते हुए किसान वर्षों से संघर्षरत हैं. हमारे लाखों किसान बंधुओं ने आत्महत्या कर ली लेकिन कभी हाथों में हथियार उठाने का विचार नहीं किया.

कठिनाइयों का पहाड़ और कर्ज के तनाव से परेशान होकर उन्होंने फांसी लगा ली, जहर पी लिया लेकिन उन्होंने कभी किसी की जान नहीं ली. किसान चाहें तो सत्ताधीशों को पल में झुका दें लेकिन किसानों ने अब भी संयम बनाए रखा है. आंदोलन कर रहे किसानों (Farmers Protest) की सीधी मांग है कि किसानों के लिए घातक केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों (Agriculture Laws) को रद्द करो.

ये भी पढ़ें- बर्फ से बनाई गईं सबसे बड़ी और खूबसूरत मूर्तियां, देखिए अद्भुत PHOTOS

सामना में आगे लिखा है कि कम से कम आधारभूत कीमत मतलब समर्थन मूल्य को लेकर कॉन्ट्रेक्ट खेती के माध्यम से कृषि भूमि को बड़े उद्योग समूहों का ग्रास बनाने वाले और किसानों को गुलामी की ओर धकेलने वाले कानून को रद्द किए बिना राजधानी दिल्ली के द्वार पर शुरू हुआ आंदोलन नहीं थमेगा. आंदोलनकारी किसान अगर ऐसी चेतावनी दे रहे हैं, तो इसमें गलत क्या है?

ऐसे आंदोलन करके ही कभी एक समय का विरोधी दल आज सत्ता के फल का रसास्वादन कर रहा है, इसे वैसे भुलाया जा सकता है? लेकिन सत्ता की कुर्सी मिलने के बाद आंदोलनकारी किसानों को खूनी और दंगाई साबित करना लोकतंत्र की किस व्याख्या के अंतर्गत आता है?

ये भी पढ़ें- पहले 5 लोगों ने किया गैंगरेप, फरियाद लेकर थाने पहुंची तो दारोगा ने भी की दरिंदगी

दिल्ली की देहरी पर जमे किसानों के आंदोलन को बदनाम करने का हरसंभव प्रयास सरकार ने किया. किसानों को खालिस्तानी साबित करने की कोशिश की, किसानों के आंदोलन के पीछे चीन और पाकिस्तान का हाथ होने की बात कही गई, आंदोलन में फूट डालने का प्रयास किया गया. लेकिन बिना किसी राजनीतिक पार्टी के सहयोग और बिना किसी बड़े चेहरों के किसान आंदोलन पूरी जिद के साथ चल रहा है.

सर्वशक्तिमान मोदी सरकार को हिलाकर देशभर में क्रांति का बिगुल बजाने का काम किसानों ने किया है. अंतरराष्ट्रीय किसान दिवस बुधवार को मनाया गया. उसी दिन हरियाणा की बीजेपी सरकार ने किसानों को खूनी बताया. हत्या के प्रयास और दंगे के झूठे अपराध के मामले दर्ज करके किसानों के इस संघर्ष को दबाया नहीं जा सकता. हरियाणा और केंद्र के सत्ताधीश इस बात को ध्यान में रखें.

LIVE TV

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news