AIDS Shocking Study: बंदरों पर किए गए एक अध्ययन के अनुसार पाचन तंत्र को ठीक रखने और इसमें सुधार से एचआईवी के एड्स में बदलने की गति धीमी हो सकती है. ‘जेसीआई इनसाइट्स’ नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि जब रोग की प्रगति और विभिन्न रोगों को नियंत्रित करने का प्रयास किया जाता है तो केवल प्रणालीगत प्रतिरक्षा का सक्रिय होना और सूजन से निपटना प्रभावी नहीं होता.
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AIDS Shocking Study: बंदरों पर किए गए एक अध्ययन के अनुसार पाचन तंत्र को ठीक रखने और इसमें सुधार से एचआईवी के एड्स में बदलने की गति धीमी हो सकती है. ‘जेसीआई इनसाइट्स’ नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि जब रोग की प्रगति और विभिन्न रोगों को नियंत्रित करने का प्रयास किया जाता है तो केवल प्रणालीगत प्रतिरक्षा का सक्रिय होना और सूजन से निपटना प्रभावी नहीं होता. ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस टाइप 1 (एचआईवी-1) एड्स होने का एक मजबूत संकेतक होता है.
बंदरों के एचआईवी के रूप में जाने जाने वाले सिमियन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (एसआईवी) पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि उपचार के जरिए किसी रोग के मूल कारण पर गौर करते हुए पाचन तंत्र को ठीक करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.
अमेरिका में पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और अध्ययन के मुख्य लेखक क्रिस्टियन अपेटरेई ने कहा, “प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय बनाने और सूजन को ध्यान में रखकर अब तक किए गए प्रत्येक अध्ययन के परिणाम बहुत ही अल्पकालिक रहे हैं.”
अपेटरेई ने कहा, “गहन -चिंतन के बाद, हमें लगता है कि वे परिणाम हमें कुछ बहुत महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं. आंतों की परत को नुकसान पहुंचाने वाले वायरस से उत्पन्न सूजन सक्रिय प्रतिरक्षा से अलग एक तंत्र द्वारा संचालित होती है. हम यह साबित कर चुके हैं.”
वायरस की विभिन्न प्रतियां बनाने के लिए 'सहायक टी कोशिकाओं' नामक प्रतिरक्षा कोशिकाओं का नष्ट होना एचआईवी संक्रमण की पहचान है. वैज्ञानिकों ने ऐसे उपचारों पर ध्यान केंद्रित किया है जो इस प्रतिकृति प्रक्रिया को रोकते हैं. हालांकि, वायरस का प्रसार रुकने से केवल प्रतिरक्षा प्रणाली के सक्रिय होने और सूजन पर 'लगाम' लगी, लेकिन ये संक्रमण से पहले जैसे नहीं हो पाए.
दशकों से, वैज्ञानिक यह भी जानते हैं कि वायरस सबसे पहले पाचन तंत्र को निशाना बनाता है. संक्रमण होने के कुछ हफ्तों के अंदर वायरस आंतों में ज्यादातर प्रतिरक्षा कोशिकाओं को खत्म कर देता है. ये कोशिकाएं वायरसों और हमलावर रोगजनकों से पाचन तंत्र की रक्षा करती हैं. जब ये कोशिकाएं खत्म हो जाती हैं, तो आंतों की परत क्षतिग्रस्त हो जाती है, और आंत के कण रक्त में मिल जाते हैं. जिन लोगों में एचआईवी तेजी से फैलता है, उनका पाचन तंत्र कम स्वस्थ होता है और इसमें अधिक घाव होते हैं.
पहले यह माना जाता था कि प्रतिरक्षा की सक्रियता और एचआईवी प्रतिकृति को रोकना रोग की प्रगति को नियंत्रित करने की कुंजी है, और पाचन का स्वस्थ होना दूसरी बात है. लेकिन अफ्रीकी बंदरों पर किए गए हालिया अध्ययन में यह बात सामने आई है कि पाचन तंत्र को ठीक रखने और इसमें सुधार से एचआईवी के एड्स में बदलने की गति धीमी हो सकती है.
(एजेंसी इनपुट के साथ)