सिख समुदाय के एक प्रशंसक कदम के बाद, श्रीनगर -बारामूला राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे स्थित, गुरुद्वारा दमदमा साहिब, जो 1947 में स्थापित हुई थी, अब 4 रास्ता बनाए के लिए तोड़ा जाएगा.
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श्रीनगर: सिख समुदाय के एक प्रशंसक कदम के बाद, श्रीनगर -बारामूला राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे स्थित, गुरुद्वारा दमदमा साहिब, जो 1947 में स्थापित हुई थी, अब 4 रास्ता बनाए के लिए तोड़ा जाएगा. श्री गुरुद्वारा प्रबंधन कमिटी और जिला प्रशासन के बीच हुए समझौते के बाद तोड़कर दूसरी जगह इसका निर्माण किया जा रहा है. दमदम साहिब गुरुद्वारे के नाम से जाने वाले इस प्राचीन गुरुदुवारे का अपना एक इतिहास है. कहा जाता है कि गुरुद्वारे ने पाकिस्तान से आए प्रवासी परिवारों की सेवा की और न केवल सिखों बल्कि सभी धर्मों के लोगों को रोकने का स्थान बना रहा. गुरुदुवारे में लंगरों और सामाजिक सेवा में भी नाम कमाया है. बाढ़ और भूकंप पीड़ितों को भी आश्रय दिया.
इलाके में रेहने वाले जीएस सोढ़ी कहते हैं, "जब 1947 में जब कबाली वार हुई थी, उस वक्त जो सिख समुदाय जो जुल्म होता था, कत्ल किया जा रहा था, तब सिख लोग भागकर श्रीनगर की और आ रहे थे, वो सब लोग आकर यहां इस जगह पर जमा हु. यहां जमा होकर उन्होंने लड़ा फिर भारतीय सेना ने उनको पीछे खदेड़ा है, मगर हमने सरकार को रोका क्योंकि लोगों के हित को हम कभी नहीं रोकेंगे."
2004 में, सरकार ने श्रीनगर से बारामूला तक एक 4 लेन राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण शुरू किया. राजमार्ग सरकार को कई इमारतों को तोडना पड़ा जो राजमार्ग बाने में बाधा डाल रहे थे. 2013 में सड़क पूरी हो गई थी. लेकिन उच्च न्यायालय में मुकदमेबाजी के कारण, चार अड़चने बनी रहीं. इनमें गुरुद्वारा साहब, एक बिजली लाइन, एक पेट्रोल पम्प और वाटर सप्लाई लाइन शामिल थी. जो ज़मीन गुरुद्वारे के निर्माण के लिए प्रस्तावित की गई थी, इस पर ज़मीन मालिक ने आपत्ति जताई और 2014 में स्टे प्राप्त कर लिया. तब से, भूमि मालिक, गुरुद्वारा समिति, जिला कमिश्नर मुकदमेबाजी में उलझे रहे लेकिन अब दशकों बाद गुरुद्वारा प्रबंधन कमिटी और जिला कमिश्नर, श्रीनगर, के बीच सफल वार्ता के बाद गुरुद्वारे को हटाया जाएगा और राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण का रास्ता खुल गया. सिख समुदाय के लोगों का कहना हैं कि पहले रास्ता फिर सबकुछ हम नहीं चाहते आम लोगों की मुश्किलें बानी रहे.
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गुरुद्वारा प्रबंधन कमिटी के अध्यक्ष संतपाल कहते हैं "इस पर काफी देर से सरकार और हमारे बीच बातचीत चल रही थी लेकिन अब खुदा का शुक्र है अब बात बनी है. गुरुद्वारा एक धर्म के लिए नहीं. यह हर किसी के लिए मगर गुरुद्वारा को लेकर झगड़ा सड़क को लेकर था. सड़क भी ज़रूरी है. पहले सड़क फिर सब कुछ आता है. अब सरकार और हमारे बीच समझौता हुआ, हमें ज़मीन मिल रही है." यह ख़ुशी की बात है कि रास्ता भी बन रहा हैं. लोग तकलीफ में थे और गुरुद्वारा भी बनेगा, हम कामियाब हुवे और समझौता हुवा. सड़क होना बोहत ज़रूरी था जब रास्ता होगा तब कोई कही जा सकता है."
पिछले एक सप्ताह के दौरान बैठकों की एक श्रृंखला के बाद और मुद्दे को हल करने के लिए विभिन विकल्पों को परख कर, दोनों पक्ष एक समझौते पर पहुंचे. इसमें सिख समुदाय ने जिला कमिश्नर के प्रस्ताव को माना जिसमें गुरूद्वारे के पास में ही गुरूद्वारे के लिए ज़मीन प्रबंध और गुरुद्वारे का पुनर्निर्माण शामिल था. गुरुद्वारा अब एक अस्थायी स्थान पर फिलहाल शिफ्ट होगा, तब तक जब तक कि एक नया गुरुद्वारा स्थापित नहीं हो जाता.