महाराष्ट्रः आदिवासियों ने पुलिस और वन्य कर्मियों पर किया हमला, 3 की हालत गंभीर
Advertisement
trendingNow1491713

महाराष्ट्रः आदिवासियों ने पुलिस और वन्य कर्मियों पर किया हमला, 3 की हालत गंभीर

दरअसल टाईगर रिजर्व बनने के बाद घने जंगल में बसे 8 से 10 आदिवासी गांवों का पुनर्वास किया गया था. लेकिन ये आदिवासी वापस जंगलों में लौट आए.

महाराष्ट्रः आदिवासियों ने पुलिस और वन्य कर्मियों पर किया हमला, 3 की हालत गंभीर

अकोला /अमरावतीः महाराष्ट्र के फिसरे जंगल में लौटे आदिवासियों को खदेडने गई पुलिस टीम पर आदिवासियों ने अचानक हमला कर दिया, इस हमले में कई पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. असीया आदिवासियों ने पुलिस पर भाला और कुल्हाडी से हमला किया. असीया से आदिवासियोंने वन्यकर्मी और पुलिसवालों पर हमला किया. जिसमे 15 लोग घायल हो गए. 3 घायलों की हालत गंभीर है. इस दौरान 15 गाडियों में तोडफोड की गई है. अब इस इलाके में धारा 144 लगाई गई है.

अमरावती के टायगर रिजर्व में यह आदिवासी मूल ठिकानों पर वापस लौट आए थे. दरअसल टाईगर रिजर्व बनने के बाद घने जंगल में बसे 8 से 10 आदिवासी गांवों का पुनर्वास किया गया था. 2002 से यह पुनर्वास किया जा रहा है. नॉमिनेटेड टायगर रिजर्व में रहना जानलेवा है और वन्यजीव कानून के तहत भी उसे गैरकानूनी माना जा रहा है. अकोला जिले के खोपट इलाके में इन आदिवासियों का पुनर्वास किया गया. यह इलाका शहर के पास है. जिससे आदिवासियों की पूरी जीवनशैली ही बदल गई. आदिवासियों के पास न तो जमीन थी न ही कमाने का और कोई जरिया. ऐसे में उन्होंने कुछ साल तो निकाल लिए लेकिन शहरों की चकाचौंध, महंगाई और जीवनशैली उन्हें रास नहीं आई. 

fallback

पिछले दिनों से आदिवासियों का फिसरे जंगलों की तरफ जाना हो रहा है. जिसे खदेड़ने के लिए जब मंगलवार को अमरावती के वन्यकर्मी चले गए तो उन्होंने वन्यकर्मी और पुलिस पर हमला कर दिया. आदिवासी वापस नहीं आना चाहते. उनका कहना है की शहर उनके लिए नहीं है. जंगल में सभी चीजें आसानी से मिलती है. शहर में हर चीज के लिए पैसा लगता है. वहां की जीवनशैली ही उन्हें पसंद नहीं है. बच्चे पढ़ने लगे तो अपनी संस्कृती और भाषा भी भूलने लगे है. आदिवासियों का कहना है कि सरकार रोजगार देने के लिए कुछ भी नहीं करती, ऐसे में शहर में क्यों रहें?  

वहीं पुलिस और वन्य कर्मियों का कहना है की मेलघाट घना जंगल है. टायगर रिजर्व होने के बाद यहां पर घने जंगल में आदिवासियों के लिए व्यवस्था करना उनके लिए जानलेवा हो सकता है. सिर्फ बाघ ही नहीं बल्कि अन्य जंगली प्राणी यहां पर आते है. उनके लिए पुनर्वास की योजना के तहत जगह दी गई थी. लेकिन अब उन्हे वह पसंद नहीं है. 

जंगल में के जो गांव खाली हो गए थे उसी गांव के अपने घर में जाकर उन्होनें अपना फिर से डेरा डाल दिया. अब वह जंगल में गैरकानूनी हो गए है. जिन्हें खदेड़ने के लिए गए वन विभाग के कर्मियों पर उन्होनें जानलेवा हमला किया है. आदिवासी पूरे परिवार के साथ हमला कर रहें है.

(राजेश सोनोने और जयेश जगड की रिपोर्ट)

Trending news