ब्लास्ट के कारण सूतर के निकट इन गांवों की जमीन बंजर हो गई है. खेती न होने के कारण किसान आर्थिक तौर पर परेशान हैं. कोई मजदूरी करने को मजबूर है तो कोई छोटे-छोटे काम करके अपनी रोजी-रोटी चला रहा है.
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सूरत : गुजरात के सूरत के दो तहसील के 8 गांव रोजाना भूकंप के झटके खाने को मजबूर हैं. कभी रात को सोते हुए, तो कभी आंख खुलते ही कब धरती कांप जाएगी, इसका किसी को भी नहीं पता है. इन भूकंप के झटकों ने पूरी आबादी को जदोजहद में डाल दिया है. हालात ये हैं कि लोग रातों को सोने से डरते हैं. कब भूकंप के झटके उन्हें परेशान करेंगे इस बात कोई ठिकाना नहीं है.
प्राकृतिक नहीं है भूकंप के झटके
यह भूकंप के झटके कुदरती नहीं है बल्कि मानव सर्जित हैं. डायमंड सिटी सूरत यूं तो कपड़ा और डायमंड नगरी के तौर पर पहचानी जाती है, लेकिन इससे कुछ ही दूरी पर बारडोली और मांडवी तहसील की. दो तहसील के आठ गांव के स्थानीय रोजना भूकंप के झटके खाने को मजबूर हैं. बारडोली और मांडवी तहसील के बीच से तापी नदी गुजरती है और यही तापी के पट में दिन में दो बार क्वोरी में वेगन ब्लास्ट किया जाता है. यह ब्लास्ट इतना तेज होता हे जैसे भूकंप आया हो. मांडवी के खंजरोली ,पिपरिया, क्मलापोर जैसे गांवों में घर की दीवार में नुकसान, किसान खेती नहीं कर सकता और डस्ट की वजह से स्वास्थ्य को नुकसान हो रहा है.
बच्चों में खौफ का माहौल
तापी नदी पर वेगन ब्लास्ट के कारण स्कूल जाने वाले बच्चों में खौफ का माहौल है. बच्चे स्कूल जाने से डर रहे हैं. स्कूल जाने के दौरान बच्चों को इस बात का डर सताता रहता है कि कब इन ब्लास्ट के कारण धरती हिलेगी और सब कुछ तबाह हो जाएगा.
घरों, मंदिरों की दीवार पर पड़ जाती हैं दरारें
तकरीबन 20 सालों से हो रहे इस ब्लास्ट के कारण स्थानीय घरों, मंदिर, स्कूलों और तमाम इमारतों की दीवारों पर दरारें पड़ जाती हैं. दीवारों पर दरारों की हालात इतनी भयावह है कि कोई भी देखकर डर जाएगा.
डस्ट बना स्वास्थ्य के लिए खतरा
वेगन ब्लास्ट के कारण जितनी तेजी से धरती कांपती है, उतनी ही तेजी से धूल और मिट्टी हवा में उड़ती है. लगातार धूल और मिट्टी हवा में उड़ने के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ रहा है. धूल भरी हवा में सांस लेने के लिए लोग मजबूर हैं, जिसके कारण उन्हें कई सारी सांस संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
खेती की जमीनें हुईं बंजर
ब्लास्ट के कारण सूतर के निकट इन गांवों की जमीन बंजर हो गई है. खेती न होने के कारण किसान आर्थिक तौर पर परेशान हैं. कोई मजदूरी करने को मजबूर है तो कोई छोटे-छोटे काम करके अपनी रोजी-रोटी चला रहा है.
कई श्रद्धालुओं को भी लग चुकी है चोट
तापी नदी के किनारे वाघेस्वर महादेव मंदिर है और यह रोजना हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. मंदिर में दर्शन से पहले तापी नदी में स्नान करने और तापी किनारे गोमाता और बाघ के पंजे का दर्शन करने जाते हैं. अगर तब क्वोरी में ब्लास्ट होता है तो कई बार श्रद्धालुओं को चोट भी लग जाती है. स्थानीय लोग सालों से ये ब्लास्ट बंद करवाने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है.