कोरोना: UP में भी लागू होगी होम आइसोलेशन की व्‍यवस्‍था
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कोरोना: UP में भी लागू होगी होम आइसोलेशन की व्‍यवस्‍था

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को निर्देश दिया कि जिन इलाकों में कोरोना वायरस संक्रमण है, वहां निगरानी टीमें पुन: एक बार जाकर ऐसे लोगों की पहचान करेंगी, जिनमें लक्षण हैं.

कोरोना: UP में भी लागू होगी होम आइसोलेशन की व्‍यवस्‍था

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को निर्देश दिया कि जिन इलाकों में कोरोना वायरस संक्रमण है, वहां निगरानी टीमें पुन: एक बार जाकर ऐसे लोगों की पहचान करेंगी, जिनमें लक्षण हैं. अपर मुख्य सचिव (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य) अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि मुख्यमंत्री ने सोमवार को निर्देश दिया कि जिन इलाकों में संक्रमण है, निगरानी टीमें वहां घर-घर जाकर एक बार पुन: ऐसे लोगों की पहचान करेंगी, जिनमें लक्षण हैं. प्रसाद ने कहा कि ऐसे लोगों की पहचान करके एंटीजन जांच कराई जाएगी और संक्रमित निकलने पर उचित उपचार कराया जाएगा.

होम आइसोलेशन
उन्होंने कहा कि ऐसी जानकारी मिली है कि बहुत से लोग जानते बूझते हुए भी बीमारी को छिपा रहे हैं. ऐसे में विचार किया गया कि क्या कुछ शर्तों के साथ होम आइसोलेशन (घर पर पृथक रहने की व्यवस्था) को लागू कराया जा सकता है. इस बारे में अभी फैसला नहीं किया गया है, जैसे ही अंतिम निर्णय होगा, बताया जाएगा.

उन्होंने बताया कि सरकार की ओर से चिकित्सा की त्रिस्तरीय व्यवस्था एल—1, एल—2 और एल—3 अस्पतालों की पहले से है, जिनमें एक लाख 51 हजार से अधिक बिस्तरों की व्यवस्था है.

अपर मुख्य सचिव ने बताया कि 'सेमी पेड फेसिलिटी' की भी व्यवस्था की गई है. कई शहरों में होटलों को इसके लिए अनुबंधित किया गया है. 'डबल आकुपेंसी' (दो लोगों के रहने के लिए) का 2000 रुपये प्रतिदिन खर्च आएगा यानी एक व्यक्ति को एक दिन का 1000 रुपये देना होगा. अगर दस दिन वहां रहे तो रहने और खाने का दस हजार रुपये तथा 2000 रुपये प्रतीकात्मक चिकित्सा व्यय देना होगा.

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प्रसाद ने बताया कि मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में कुल 47, 381 कोविड हेल्प डेस्क बन गए हैं. यहां इन्फ्रारेड थर्मामीटर और पल्स आक्सीमीटर से लगातार लोगों की स्क्रीनिंग की जा रही है. प्रारंभिक स्क्रीनिंग इससे आसान हो जाती है. सरकारी और निजी अस्पतालों में हेल्प डेस्क से लक्षण वाले व्यक्तियों की पहचान की जा रही है और उनकी जांच की जा रही है.

उन्होंने कहा कि अनलॉक की अवधि में लोगों का संपर्क स्वाभाविक रूप से बढ़ा है. जब ऐसा है तो बहुत जरूरी है कि हम ये ना भूलें कि गतिविधियां तो प्रारंभ हो गई हैं लेकिन संक्रमण अभी समाप्त नहीं हुआ है. जब तक कोई वैक्सीन या कारगर दवाई नहीं आती है, तब तक हमें बचाव करना है और बचाव के तरीकों का उपयोग करना है.

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