कोर्ट ने सेामवार को राज्य शासन के उस आदेश को निरस्त कर दिया है जिसमें कहा गया था कि निजी स्कूल लॉकडाउन के दौरान फीस की वसूली स्थगित रखेंगे और शिक्षकों को वेतन देना सुनिश्चित करेंगे.
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बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट (High Court) ने लॉकडाउन के दौरान अभिभावकों से वसूली जानें वाली स्कूल फीस पर बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने सेामवार को राज्य शासन के उस आदेश को निरस्त कर दिया है जिसमें कहा गया था कि निजी स्कूल लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान फीस (School Fees) की वसूली स्थगित रखेंगे और शिक्षकों को वेतन देना सुनिश्चित करेंगे.
अधिवक्ता अशीष श्रीवास्तव ने मंगलवार को इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की एकल पीठ ने स्कूल फीस से जुड़े राज्य शासन के आदेश को निरस्त कर दिया है, लेकिन साथ ही स्कूलों और अभिभावकों दोनों को राहत पहुंचाते हुए लॉकडाउन की अवधि में सिर्फ ट्यूशन फीस लेने का आदेश दिया है.
श्रीवास्तव ने बताया कि अदालत ने निजी स्कूल संचालकों की ट्यूशन फीस लेने की मांग को स्वीकार करते हुए निर्देश दिया है कि इसके अलावा अन्य किसी तरह की फीस अभिभावकों से नहीं ली जाएगी और ना ही किसी कर्मचारी को नौकरी से हटाया जाएगा. अदालत के आदेश के अनुसार सभी ऑनलाइन कक्षाएं चलती रहेंगी और इस वर्ष स्कूल फीस में वृद्धि नहीं होगी.
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अधिवक्ता ने बताया बिलासपुर के 22 निजी स्कूलों की संस्था ‘बिलासपुर प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन सोसायटी’ ने अदालत में राज्य शासन के 22 अप्रैल 2020 के आदेश को भी चुनौती दी थी जिसमें लोक शिक्षण संचालनालय ने कहा था, ‘‘निजी स्कूल लॉकडाउन की अवधि के दौरान स्कूल फीस स्थगित रखेंगे और सभी शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन देना सुनिश्चित करेंगे. आदेश में अभिभावकों से बार-बार फीस नहीं मांगने को भी कहा गया था.
सोसायटी ने अपनी याचिका में कहा था कि उन्हें शासन की ओर से कोई वित्तीय सहायता नहीं मिलती है और उन्हें स्कूल के प्रबंधन और कर्मचारियों, शिक्षकों का वेतन देने के लिए फीस का ही सहारा है, इसलिए उन्हें कम से कम इस अवधि में ट्यूशन फीस लेने की इजाजत दी जाए.
अधिवक्ता ने बताया कि अदालत ने न्यायमूर्ति पी. सैम कोशी की एकल पीठ ने 9 जुलाई को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था. सोमवार को फैसला सुनाते हुए पीठ ने फीस नहीं लेने संबंधी राज्य शासन के आदेश को निरस्त कर दिया और स्कूलों को सिर्फ ट्यूशन फीस लेने की अनुमति दे दी.
श्रीवास्तव ने बताया कि अदालत ने निजी स्कूल संचालकों को निर्देशित किया है कि जो अभिभावक फीस देने में सक्षम नहीं हैं वह उचित दस्तावेजों के साथ स्कूल के समक्ष आवेदन कर सकेंगे जिस पर स्कूल प्रबंधन सहानुभूतिपूर्वक विचार कर फीस में छूट देने का निर्णय लेगा.
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