मुंबई को 'आग' से बचाने के लिए तैयार हुआ हाईटेक कंट्रोल रूम, अब ट्रैफिक नहीं होगा बाधा
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मुंबई को 'आग' से बचाने के लिए तैयार हुआ हाईटेक कंट्रोल रूम, अब ट्रैफिक नहीं होगा बाधा

मुंबई में कुल 34 फायर स्टेशन है जो हर वक़्त मुंबईकरों की सेवा करने के लिए तैयार रहते हैं. 

हाल ही में मुंबई फायर ब्रिगेड ने छोटी आग की घटनाओं को बुझाने के लिए फायरबॉल का इस्तेमाल करना शुरू किया है.

अमित कोटेचा/मुंबई: मुंबई में बढ़ती आग की घटनाओं पर तेजी से काबू पाने के लिए मुंबई फायर ब्रिगेड ने एक नया हाई टेक कंट्रोल रूम तैयार किया है. इस कंट्रोल रूम को इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (ICCS) कहा जाता है. मुंबई फायर ब्रिगेड में आग की घटना के दौरान सब चीज़ें पहले मैन्युअली की जाती थी जिस वजह से फायर ब्रिगेड घटनास्थल पर देरी से पहुंचती थी. लेकिन, अब यह नया हाई टेक सिस्टम मुंबई के बाकी सारे फायर स्टेशनों के साथ ताल-मेल रखेगा और घटना स्थल पर दमकल गाड़ियां जल्द से जल्द पहुंच सके इसीलिए फायर इंजिन्स और वाटर टैंकर्स को GPS के ज़रिये रास्ता भी दिखाएगा. मुंबई फायर ब्रिगेड का यह अनुमान है के ICCS के मदद से दमकल गाड़ियां घटनास्थल पर 5 से 6 मिनट जल्दी पहुंच पाएगी. 

मुंबई में कुल 34 फायर स्टेशन है जो हर वक़्त मुंबईकरों की सेवा करने के लिए तैयार रहते हैं. अगर कहीं भी आग लग जाए तो दमकल गाड़ियां तुरंत उस आग को बुझाने के लिए निकल पड़ती हैं. लेकिन, मैन्युअल प्रोसेस होने के कारण आग की घटना कंट्रोल रूम से फायर स्टेशन तक पहुंचने में थोड़ा समय लग जाता था. साथ ही कई बार ट्रैफिक की वजह से दमकल गाड़ियों को घटनास्थल तक पहुंचने में देरी हो जाती थी. इस प्रोसेस से मुंबई महानगर में घटनास्थल पर दमकल गाड़ियों को पहुंचने 20 मिनट तक लग जाते थे और मुंबई उपनगर में 25 मिनट तक लग जाते हैं. 

मुंबई फायर ब्रिगेड के चीफ फायर ऑफिसर प्रभात राहंगदले का कहना है कि इस सिस्टम की वजह से वो तेज़ी से काम कर पाएंगे और सिस्टम की मदद से ट्रैफिक भी देख पाएंगे. इससे वो ट्रैफिक कंट्रोल रूम में भी कह सकते है कि उस रास्ते को दमकल गाड़ियों के लिए खाली रखा जाए. 

कैसे करता है काम
फायर ब्रिगेड के ICCS कंट्रोल रूम में किसी घटना की कॉल आती है तो सबसे पहले घटना की लोकेशन सिस्टम में डाली जाती है. तब ICCS तुरंत बताता है कि घटनास्थल के पास कौन से फायर स्टेशंस हैं. इसके बाद वायर लेस वॉकी-टॉकी के ज़रिये उन सारे फायर स्टेशंस को तैयार होने के लिए बताया जाता है. हर एक फायर स्टेशन की सारी दमकल गाड़ियों में एक टैब रखा गया है. इस टैब पर कर्मचारियों को घटनास्थल और वहां जल्द से जल्द पहुंचने के लिए सबसे कम ट्रैफिक वाला रास्ता भी दिखाई देने लगता है. साथ ही घटनास्थल पर आग बुझाने के लिए और भी साधन की ज़रूरत पड़े तो यह सिस्टम सीधा कंट्रोल रूम को यह बात बताता है ताकि वो उनकी ज़रूरतों को पूरा कर सके. 

2018 में देश की आर्थिक राजधानी मुंबई आग की राजधानी बनता दिखाई दिया था. एक साल में मुंबई फायर ब्रिगेड को तकरीबन 17000 घटनाओं के कॉल आए थे. 2018 में मुंबई में कुल 3722 आग की घटनाएं देखी गईं. इनमें 43 लोगों की जान चली गई थी. हाल ही में मुंबई फायर ब्रिगेड ने छोटी आग की घटनाओं को बुझाने के लिए फायरबॉल का इस्तेमाल करना शुरू किया है. खतरनाक केमिकल और गैस लीकेज से लड़ने के लिए एक HAZMAT वैन भी खरीदी गई है. इसके साथ ही मुंबई फायर ब्रिगेड ने 50 मंजिला इमारत तक जा सकने वाली सीढ़ी भी खरीदी है. 

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