मुंबईः शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में कश्मीर के नेता फारूख अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को लेकर निशाना साधा है. शिवसेना ने लिखा है कश्मीर में व्यापार-उद्योग बढ़ाना होगा तो कानून बदलना होगा और उसके लिए धारा-370 हटानी होगी. देश की संसद द्वारा लागू किया गया कानून जम्मू-कश्मीर में नहीं चलता. यह हमारी संसद का अपमान है. संसद सर्वोच्च है. देश की हर इंच भूमि पर संसद का अधिकार है लेकिन जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को छोड़कर! संविधान का यह तमाशा रोकना होगा तो धारा-370 हटाना ही एकमात्र रास्ता है और गृहमंत्री ने वैसे संकेत दिए हैं.


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सामना में आगे लिखा है, 'कश्मीर में डॉ. फारूक अब्दुल्ला जैसे नेता देश पर बोझ बन गए हैं. अब्दुल्ला जैसे नेता ना सिर्फ कश्मीर से 370 हटाने का विरोध करते हैं बल्कि ऐसा होने पर कश्मीर को अलग करने की धमकी भी देते हैं. फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि अगर धारा 370 तात्कालिक है तो कश्मीर में भारत का विलय भी तात्कालिक समझो. इनका दूसरा अर्थ यह है कि अगर धारा 370 हटाई तो याद रखना!'


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लेख में आगे महबूबा मुफ्ती के बारे में लिखा गया है, 'महबूब मुफ्ती के मन में तो हिंदुस्थान के प्रति द्वेष उफान मारता ही रहता है. इस महिला ने विश्वकप क्रिकेट प्रतियोगिता में अपनी जो कुछ भी अक्ल दौड़ाई उससे यह साबित होता है. महबूबा मुफ्ती को लगता है कि हिंदुस्तान की टीम ने भगवा रंग की ‘जर्सी’ पहनी थी जिसके कारण इंग्लैंड ने उन्हें हरा दिया, ऐसा विषैला बयान इस महिला ने दिया है. उसे दुख है कि हिंदुस्तान की हार के कारण पाकिस्तान की टीम विश्वकप से बाहर हो गई.'


शिवसेना ने सामना के जरिए महबूबा से पूछा है, 'हिंदुस्तानी टीम के भगवा रंग को छोड़िए लेकिन पाकिस्तानी टीम ने तो हरे रंग की ‘जर्सी’ पहनकर मैदान पर मुल्लागीरी की, तो फिर उन्हें क्यों मुंह की खानी पड़ी?'


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सामना में लिखा है कि महबूबा जैसे नेता ही कश्मीरी जनता के दुश्मन हैं. कश्मीर को असली खतरा पाकिस्तान से नहीं बल्कि इन नेताओं से है. पाकिस्तानी सांप के फन को मोदी ने कुचल दिया है. अब बिच्छुओं के डंक को तोड़ो!