शिवसेना ने सामना के जरिए किया 'मॉनसून का स्वागत!' BMC कर्मचारियों को सराहा
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शिवसेना ने सामना के जरिए किया 'मॉनसून का स्वागत!' BMC कर्मचारियों को सराहा

 'जोरदार बरसात में ‘ब्रेकिंग न्यूज’ वाले निश्चित दो-चार जगहों पर ही पहुंचते हैं और अपना गला फाड़ने लगते हैं. देश में सबसे ज्यादा बरसात झेलनेवाले इस महानगर में जिस प्रकार इकट्ठे पानी की कम-से-कम समय में निकासी की जाती है.'

शिवसेना ने सामना के जरिए किया 'मॉनसून का स्वागत!' BMC कर्मचारियों को सराहा

मुंबईः मायानगरी मुंबई में पिछले दो दिनों से जारी भारी बारिश के चलते हाहाकार मचा हुआ है. शहर में हर तरफ पानी ही पानी है. बारिश के चलते मुंबई और उसके आसपास दीवार गिरने से अब तक 22 लोगों की मौत हो चुकी है. मुंबई की बारिश ने रेलवे, हवाई मार्ग और सड़क मार्ग को रोक दिया है. पूरा शहर मानो थम सा गया है. राज्य के मुख्यमंत्री ने भी लोगों से घरों में रहने की अपील कर डाली है. ऐसे में मुंबई महानगरपालिका में पिछले कई सालों से सत्ता में रहने वाली शिवसेना बीएमसी की तारीफ की है. 

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए मीडिया पर निशाना साधते हुए बीएमसपी के कर्मचारियों की तारीफ करते हुए लिखा है, 'शनिवार(29 जून) को एक ही दिन में 234 एमएम बरसात रिकॉर्ड की गई. गत 10 वर्षों का यह दूसरा रिकॉर्ड है. लगातार बरसात होने पर प्रकृति के नियमों के अनुसार निचले भागों में पानी भर ही जाता है और बरसात का जोर कम होते ही पानी कम होने लगता है. हालांकि जोरदार बरसात में ‘ब्रेकिंग न्यूज’ वाले निश्चित दो-चार जगहों पर ही पहुंचते हैं और अपना गला फाड़ने लगते हैं. देश में सबसे ज्यादा बरसात झेलनेवाले इस महानगर में जिस प्रकार इकट्ठे पानी की कम-से-कम समय में निकासी की जाती है और उसके लिए मनपा कर्मचारी जिस प्रकार मेहनत करते हैं, इसका ‘सीधा प्रसारण’ मीडिया कभी नहीं दिखाती.'

'मॉनसून का स्वागत!'
शिवसेना ने 'मॉनसून का स्वागत!' शीर्षक से लिखा है, 'महाराष्ट्र के हर क्षेत्र में मॉनसून अब सक्रिय हो चुका है. 3 सप्ताह देरी से ही सही लेकिन मॉनसून के बादल अब महाराष्ट्र के सभी जिलों पर छा गए हैं. कोकण, मुंबई और ठाणे में मूसलाधार बरसात हो रही है. हालांकि राज्य के अन्य क्षेत्रों में बरसात का जोर थोड़ा कम है. विशेषत: मराठवाडा, विदर्भ और उत्तर महाराष्ट्र में बरसात कमजोर है. कभी-कभार हल्की और मध्यम बौछारें पड़ती हैं तथा जमीन को भिगोकर आधे घंटे में ही गायब हो जाती हैं. मतलब जिस प्रकार विकास के संदर्भ में व्यवस्था पर प्रादेशिक भेदभाव की टिप्पणी की जाती है उसी के अनुसार प्रकृति ने भी बरसात के मामले में प्रादेशिक असंतुलन का दुष्चक्र जारी रखा है, ऐसा ही कहना पड़ेगा.'

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शिवसेना ने लिखा, 'मुंबई में बरसात की ऐसी अनिश्चितता कभी नहीं रहती. उस पर कोकण और मुंबई की बारिश का ठाठ कुछ और ही होता है. समुद्र के किनारे होने के कारण बरसात पहले यहीं हाजिरी लगाती है. एक बार शुरू हुई तो बरसात रुकती नहीं. अब भी वैसा ही हुआ. महीने भर प्रतीक्षा करवानेवाली बरसात मुंबई और कोकण में ऐसी बरसी की एक ही दिन में कोकण के नदी-नालों में बाढ़ आ गई. तपती गर्मी और बढ़ती उमस से परेशान मुंबईकरों को मॉनसून ने पहली बरसात में ही तृप्त कर दिया. सच कहें तो मॉनसून के पहले महीने के शुरुआती 25 दिन सूखा रहने के कारण मुंबईकर बरसात के लिए लालायित थे. जून महीने की शुरुआत में ‘वायु’ तूफान से मुंबई तो बच गई लेकिन इस तूफान के चलते मुंबई और महाराष्ट्र में मॉनसून आगे सरक गया.

मॉनसून में विलंब के कारण मुंबई में पहली बार जलसंकट पैदा हो गया था. शुक्रवार रात से शुरू पहली बारिश ने कोकण और मुंबई को भिगोकर रख दिया. बरसात के साथ ही समुद्र में तूफान और तेज उठती लहरों का समुद्री किनारों से टकराना मुंबईकरों के लिए ही नहीं बल्कि देश के लिए आकर्षण का केंद्र हैं. मुंबई जैसी बारिश के लिए मराठवाडा जैसा कम बरसात वाला अकालग्रस्त क्षेत्र तरसता है. गत चार दिनों से कोकण के किनारे, मुंबई और ठाणे में घनघोर बरसात हो रही है. 

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शिवसेना ने लिखा है, 'मुंबई और कोकण में झरने की तरह बरसनेवाली बरसात की महाराष्ट्र के अन्य क्षेत्रों में प्रतीक्षा है. मॉनसून की बरसात सभी जिलों में भले ही पहुंच गई हो लेकिन अभी भी सौ प्रतिशत बुआई के लिए पर्याप्त नहीं है. जमीन का पानी जैसे का तैसा ही है. मराठवाडा सहित राज्य के कई जिलों में टैंकरों की संख्या बरसात में भी बढ़ती जा रही है. मुंबई और कोकण में आई बरसात का स्वागत करते हुए अकालग्रस्त मराठवाडा और राज्य के सभी क्षेत्रों में मॉनसून खूब बरसे और राज्य के किसान खुशहाल हों, वरुण राजा से यही प्रार्थना!'

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