सूरत: सूरत में एयर पॉल्यूशन को नियंत्रित करने के लिए चीन की तर्ज पर एक एयर प्यूरीफायर टॉवर  बनाने का काम शुरू किया गया है. सूरत के उद्योग और एसवीएनआईटी के सयुंक्त के तहत चल रही संस्थान क्लीन एनवायरनमेंट रिसर्च सेंटर, आईआईटी दिल्ली इसके लिए तैयारी कर रही है. कुछ दिन पहले सूरत में प्रदूषण नियंत्रित करने के मामले में एक वर्कशॉप का आयोजन किया गया था. जिसमे साउथ गुजरात टेक्सटाइल प्रोसेसिंग एसोसिएशन ने एयर प्यूरीफायर टॉवर के फायदे, उसे लगाने का खर्च और उसकी तकनीक के बारे में जानकारी दी थी.


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सूरत के पांडेसरा, सचिन, पालसाणा जैसे औधोगिक इलाकों में पीएम 10 की मात्रा पहले से ही 160 से ज्यादा दर्ज की गई है. जो 60 से नीचे होनी चाहिए. प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए पहले से ही सूरत के पांडेसरा इंडस्ट्रियल एरिया में एमीशन ट्रेडिंग (पॉल्युशन कंट्रोल करने वाला मैनेजमेंट) शुरू किया गया है.



ऐसे तो प्रदूषित शहरों में दूसरे कई शहर सूरत से भी आगे है लेकिन सूरत को इसके लिए चुनने के पीछे यहाँ के उद्योग के द्वारा प्रदूषण रोकने के लिए उठाए गए कदम जिम्मेदार है. एयर प्यूरीफायर टॉवर  रोज़ 30 हज़ार क्यूबिक जितनी हवा शुद्ध करेगा. इस टावर को सूरत ने करीबन 500 मीटर की जगह में बनाया जायगा जो 10 मीटर चौड़ा और 24 मीटर ऊंचा होगा जिसमे 25 हॉर्स पावर की मशीन होगी.


टॉवर की साइज और ऊंचाई शहर के एयर पॉल्यूशन की मात्रा और जगह का निरिक्षण करने के बाद फाइनल किया गया है. एयर प्यूरीफायर टॉवर हवा में पार्टिकुलेट मैटर को नियंत्रित करता है. इसका मतलब वे चारों तरफ से प्रदूषित हवा खींच कर शुद्ध करता है. सबसे छोटा टावर करीबन 1.50 करोड़ के खर्च से बनता है.


ये टॉवर दूषित हवा को अपनी तरफ खींचता है जिसके बाद हवा को गरम करता है और आखिर में अलग अलग लेवल पर फ़िल्टर करता है. ये टॉवर 30 हजार क्यूबिक मीटर यानी की शहर के 24 इलाकों की हवा को ये शुद्ध करेगा जिसका एक लाख लोगों को लाभ मिलेगा.