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नई दिल्ली : प्रदूषण के जो हालात आज हैं उससे भारत में हर 23 सेकेंड में एक व्यक्ति की जान जा रही है। अगर आपकी जान जाने से बच भी जाती है। तो भी आपके और आपके बच्चों के लिए आने वाले भविष्य में ऑक्सीजन की मात्रा बहुत कम होगी। हो सकता है कि कुछ वर्षों के बाद आपको बाज़ार से ऑक्सीजन खरीदनी पड़े और आपको इस ऑक्सीजन का इस्तेमाल करने से पहले गहरा चिंतन करना पड़े। क्योंकि आने वाले समय में ऐसा हो सकता है कि ऑक्सीजन सबसे महंगी और दुर्लभ वस्तुओं में शामिल हो जाए। यानी एक रेयर कमोडिटी में बदल जाए। प्रदूषण की वर्तमान समस्या हमारे भविष्य को कैसे पूरी तरह बदल कर रख देगी इस कल्पना के आधार पर एक Online Startup कंपनी ने एक वीडियो बनाया है।
DNA की शुरुआत में आपको और आपके परिवार को सबसे पहले ये वीडियो देखना चाहिए। इस वीडियो से आपको पता चलेगा कि आपके बच्चों का जीवन 2030 में कैसा होगा? इसके बाद हम इस संवाद को आगे बढ़ाएंगे।
ये वीडियो आपके लिए एक तरह की Shock Therapy है और हम चाहते हैं कि आज आपको Shock लगे, धक्का लगे ताकि आप जागरूक हो जाएं
ये वीडियो देखकर आपको एक बात तो समझ आ गई होगी कि दिल्ली के आसमान पर छाई धुएं की चादर तो देर सवेर छंट जाएगी। लेकिन आपके और आपके बच्चों के भविष्य पर जो प्रदूषण वाला अंधेरा छाया हुआ है। वो वक़्त के साथ और गहरा होने वाला है।
आपने महसूस किया होगा कि सरकारें दिल्ली को पेरिस बनाने के सपने दिखाती हैं। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि दिल्ली, पेरिस नहीं बल्कि London बन रही है। ये बात सोच कर आप खुश हो रहे होंगे कि शायद देश की राजधानी दिल्ली अब London की तरह विकसित होने वाली है। तो हम आपको बता दें कि ऐसा बिल्कुल नहीं है दिल्ली अब London तो बन रही है। लेकिन आज का London नहीं बल्कि 64 साल पुराना London। दिल्ली में प्रदूषण के जो हालात आज हैं ठीक वैसे ही हालात 64 वर्ष पहले ब्रिटेन की राजधानी London में थे। तब उसे The Great Smog कहा गया था। लेकिन ग्रेट स्मॉग में ग्रेट वाली कोई बात नहीं थी। इसमें कोई महानता नहीं छिपी थी बल्कि 1952 में London में प्रदूषण की ज़हरीली हवा ने 4 हज़ार लोगों की जान ले ली थी।
1952 में London में ज़्यादातर जगहों पर प्रदूषण का औसत स्तर 500 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर था और ऐसे ही हालात आजकल दिल्ली में भी है। बस गनीमत ये है कि दिल्ली की हवा में अभी सल्फर डाई ऑक्साइड की मात्रा नियंत्रण में है। लेकिन 64 वर्ष पहले London में जब सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा नियंत्रण से बाहर हो गई थी तो 4000 लोग तत्काल मारे गए थे। ये दो तस्वीरें बता रही हैं कि दिल्ली में पेरिस जैसा विकास तो नहीं हो पा रहा। लेकिन 64 साल पहले जैसे हालात London में थे वैसे ही अब दिल्ली बन रहे हैं।
दिल्ली में इस वक्त प्रदूषण का आपातकाल लागू हो चुका है। रविवार को दिल्ली में इस मौसम का सबसे प्रदूषित दिन था। दिल्ली के आसमान पर छाई प्रदूषण की चादर इतनी मोटी हो गई थी कि 200 मीटर की दूरी तक देखना भी मुश्किल था। दिल्ली के सभी स्कूल बुधवार तक बंद कर दिए गये है। Indian Medical Association ने सलाह दी है कि भारत के दूसरे इलाक़ों के लोग अगले 1 हफ्ते तक दिल्ली में ना आएं।
चुनावों से पहले वादों की बारिश करने वाली दिल्ली की केजरीवाल सरकार अब Artificial Rain यानी कृत्रिम वर्षा कराना चाहती है। ताकि प्रदूषण को कुछ हद तक काबू में किया जा सके। दिल्ली सरकार ने 5 दिनों तक दिल्ली में किसी भी तरह के निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है। हालांकि दिल्ली सरकार ने जागने में बहुत देर कर दी है। अरविंद केजरीवाल PM के बारे में तो खूब सोचते हैं लेकिन PM 2.5 उनकी प्राथमिकताओं की लिस्ट में काफी नीचे है। Pm 2.5 और Pm 10 कणों के प्रदूषण का स्तर आज सुबह भी दिल्ली में कई स्थानों पर सामान्य से 15 गुना तक ज्यादा था। और ये एक चिंताजनक आंकड़ा है।
हमारे देश में इन दिनों अभिव्यक्ति की आज़ादी को लेकर बहस छिड़ी हुई है। कुछ लोगों ने TV न्यूज़ को न्यूज़ का रंगमंच बना दिया है। लेकिन सच ये है कि अगर ठीक से सांस ना आ रही हो तो इंसान ठीक से खड़ा भी नहीं हो पाता.. भाव भंगिमाएं बनाना तो बहुत दूर की बात है। प्रदूषण के खतरे से बचने के लिए लोग अब Mask का इस्तेमाल कर रहे हैं लेकिन ये Mask पहनकर अपनी बात को अभिव्यक्त करना आसान नहीं होता। सही मायनों में ये ही असली एमरजेंसी है। ऐसे हालात होने के बाद भी किसी का ध्यान प्रदूषण की एमरजेंसी की तरफ नहीं जा रहा है। लोग बेकार के मुद्दों पर शोर मचा रहे हैं, राजनीति कर रहे हैं लेकिन प्रदूषण को दूर करने की दिशा में कोई काम नहीं कर रहे। ऐसे लोगों को खुद से ये सवाल पूछना चाहिए कि जब सांस लेने के लिए साफ हवा ही नहीं बचेगी तो वो राजनीति कैसे करेंगे?
प्रदूषण ना सिर्फ हमारे शरीर और हमारे फेफड़ों के नुकसान पहुंचा रहा है। बल्कि हमारे दिमाग के अंदर भी कई तरह की परेशानियां पैदा कर रहा है। DNA में हमने आपको दिखाया था कि कैसे प्रदूषण के बारीक कण सांस के ज़रिए दिमाग तक पहुंच रहे हैं और एक तरह से लोगों का दिमाग खराब कर रहे हैं। आप सोचिए जब हमारे पूरे शरीर और शरीर के हर महत्वपूर्ण अंग पर प्रदूषण का कब्ज़ा हो जाएगा तो अभिव्यक्ति की आज़ादी किस काम की रहेगी?
देर से जागी दिल्ली सरकार
NGT यानी National Green Tribunal लगातार प्रदूषण के मसले पर सुनवाई कर रहा है और ये कह चुका है कि दिल्ली और आसपास के इलाक़ों में Emergency के हालात हैं। NGT ने ये टिप्पणी प्रदूषण के संदर्भ में की है। NGT ने दिल्ली, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा की सरकारों से पूछा है कि वो प्रदूषण रोकने के लिए क्या कदम उठा रही हैं? दिल्ली सरकार लगातार ये कह रही है कि हरियाणा पंजाब और राजस्थान जैसे राज्य फसलों के अवशेष जला रहे हैं। जिन्हे स्थानीय भाषा में पराली कहा जाता है। दिल्ली सरकार का तर्क है कि इसी पराली की वजह से दिल्ली में प्रदूषण के हालात बिगड़े हैं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल प्रदूषण पर किसी भी तरह की सर्जिकल स्ट्राइक करने में नाकाम रहे हैं। लोग सवाल पूछ रहे हैं कि दिल्ली में प्रदूषण के हलात इतने Odd यानी विषम कैसे हो गए? दिल्ली समेत सभी राज्यों के साथ केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की पिछले एक वर्ष में 9 बैठकें हो चुकी हैं। सवाल ये है कि इन बैठकों में दिल्ली सरकार को क्या सलाह दी गई थी? और इसका जवाब ये है कि दिल्ली सरकार को 42 बिंदुओं पर काम करने के लिए कहा गया था। जिनमें निर्माण कार्यों पर नज़र रखना और 10 साल पुराने डीज़ल वाहनों को सड़क से हटाना शामिल है। लेकिन दिल्ली सरकार ये काम निष्ठा के साथ नहीं कर पाई। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अब पड़ोसी राज्यों को इसके लिए जिम्मेदार बता रहे हैं। आम बोलचाल की भाषा में इसे टोपी ट्रांसफर करना भी कहते हैं।
हालांकि, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय का मानना है कि दिल्ली के प्रदूषण में पड़ोसी राज्यों की भूमिका सिर्फ 20 प्रतिशत है। जबकि 80 प्रतिशत जिम्मेदारी दिल्ली सरकार की है। यानी अपनी ज़िम्मेदारी दूसरे पर डालने का दौर जारी है और चाहे केंद्र सरकार हो या दिल्ली की सरकार किसी का ध्यान प्रदूषण की समस्या पर नहीं है।
सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाने वाले अरविंद केजरीवाल कल तक कह रहे थे कि दिल्ली में प्रदूषण के लिए दूसरे राज्य जिम्मेदार है लेकिन NGT की फटकार के बाद अब दिल्ली सरकार ने Pollution से लड़ने का Action Plan तैयार किया है। लेकिन आज की सच्चाई यही है कि दिल्ली अब सांस लेने लायक नहीं रह गई है। आपको ये जानकर दुख होगा कि वायु प्रदूषण के मामले में एक साल पहले तक चीन की राजधानी बीजिंग से दिल्ली का बेहद रोमांचक मुकाबला चल रहा था, वायु प्रदूषण के मामले में कभी दिल्ली दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बन जाती थी। तो कभी बीजिंग की हवा खराब हो जाती थी। लेकिन 1 साल से भी कम वक्त में दिल्ली ये मुकाबला जीत गई है। और ये एक ऐसी हार है जिसे चीन खुशी खुशी स्वीकार करना चाहेगा। प्रदूषण के मामले में दिल्ली World Champion बनकर उभरी है और ये दिल्ली ही नहीं पूरे देश के लिए शर्म की बात है। कहने के लिए हम देश की राजधानी दिल्ली को World Class City बनाने का सपना देख रहे हैं लेकिन फिलहाल ये शहर Gas Chamber बन गया है।
वायु प्रदूषण को कम करने के लिए चीन ने किए ठोस उपाय
विज्ञान के युग में इंसान को वरदान से ज़्यादा अभिशाप मिले हैं। प्रदूषण भी एक ऐसा ही अभिशाप है, जिसका जन्म विज्ञान की कोख से हुआ, लेकिन इंसान ने इस शाप को और भी ज़हरीला बना दिया। देश की राजधानी दिल्ली के लोग पिछले 8 दिनों से इसी ज़हर में घुट-घुट कर जीने पर मजबूर हैं। अगर आप दिल्ली में नहीं रहते हैं तो ज़्यादा खुश होने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि प्रदूषण का राक्षस भारत के हर शहर में अपना अड्डा बना चुका है।
आपको याद दिला दें कि दुनिया के 20 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में 10 शहर भारत के हैं। PM 2.5 कणों के प्रदूषण के मामले में भारत के 4 शहर यानी ग्वालियर, इलाहाबाद, पटना और रायपुर दुनिया के दस सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हैं।
-आपको शायद इस बात की जानकारी नहीं होगी, कि हवा में मौजूद PM यानी पार्टिकुलेट मैटर के अंश सांस लेने के दौरान शरीर में पहुंचते हैं।
-PM-2.5 और PM-10 नामक ये कण फेफड़ों में पहुंच जाते हैं। ये हवा में मौजूद जहरीले कैमिकल्स को शरीर में पहुंचाते हैं।
-जिसकी वजह से फेफड़े और हृदय को नुकसान पहुंचता है।
-एक अनुमान के मुताबिक, वायु प्रदूषण से भारत में करीब 5 लाख लोगों की समय से पहले ही मौत हो जाती है।
-सूक्ष्म कण PM 2.5 की पहुंच में आने से इंसान की औसत उम्र करीब साढ़े 3 साल कम हो जाती है।
-एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में वायु प्रदूषण इतना ज़्यादा है, कि इस शहर में रहने वाले लोगों की जिंदगी के क़रीब साढ़े 6 साल कम हो जाते हैं।
-Organisation for Economic Co-operation and Development के मुताबिक, वर्ष 2060 में वायु प्रदूषण से दुनिया को 135 लाख करोड़ रुपए का नुकसान होगा। ये राशि हमारे मौजूदा GDP के लगभग बराबर है। भारत का GDP करीब 138 लाख करोड़ रुपये है
-OECD का ये भी मानना है, कि ये नुकसान बीमारी की वजह से होने वाली छुट्टियों, इलाज में होने वाले खर्च और खेती में कम उत्पादन के रूप में होगा।
-OECD की रिपोर्ट के मुताबिक चीन, Russia और भारत इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। प्रदूषण की वजह से चीन और भारत में सबसे ज्यादा लोगों की समय से पहले मौत होंगी।
हालांकि, प्रदूषण सिर्फ भारत की समस्या नहीं है बल्कि प्रदूषण के बादल पूरी दुनिया पर छाए हुए हैं। बढ़ते प्रदूषण के माहौल में हर कोई साफ और स्वच्छ हवा में सांस लेना चाहता है, इसलिए आज आपको ये जानकारी होनी चाहिए, कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में किस तरह SMOG यानी काले धुएं और धुंध के खतरनाक मिश्रण के ख़िलाफ युद्ध छेड़ा गया है।
ज्यादा पुरानी बात नहीं है जब चीन की राजधानी बीजिंग चौबीस घंटे प्रदूषण की चादर से ढकी रहती थी। 7 और 18 दिसम्बर 2015 को चीन में पहला Pollution Red Alert जारी किया गया था। चीन में जब प्रदूषण का स्तर लगातार तीन दिनों तक ख़तरनाक स्तर पर रहता है, तो वहां Red Alert जारी किया जाता है। हालांकि, अब बीजिंग में प्रदूषण के बादल तेजी से छंटने लगे हैं। ये सब बीजिंग में हवा की क्वालिटी सुधारने के लिए वर्ष 2013 में लागू हुई पंचवर्षीय योजना की वजह से हुआ है जिसके तहत वर्ष 2013 के दौरान, बीजिंग में वायु प्रदूषण तीन फीसदी कम हो गया था इसके लिए चीन ने प्रदूषण फैलाने वालीं 288 फैक्ट्रियों को ग्रीन एनर्जी फर्म से Replace कर दिया। 3 लाख 66 हज़ार पेट्रोल और डीजल वाहनों को सड़क से हटा दिया गया।
बीजिंग में वायु प्रदूषण कम करने के लिए बिजली उत्पादन में कोयले के इस्तेमाल को कम किया गया। बिजली बनाने के लिए कोयले की खपत को 230 करोड़ टन से घटाकर वर्ष 2017 तक 100 करोड़ टन करने का लक्ष्य तय किया गया है। आपको बता दूं, कि चीन ने वर्ष 2017 तक कोयले के इस्तेमाल में 70 फीसदी कटौती करने के अलावा, 2020 तक कोयला मुक्त होने का लक्ष्य रखा है। इसके अलावा चीन ने Cloud Seeding पर ज़ोर दिया। ये तकनीक कृत्रिम वर्षा के लिए इस्तेमाल होती है। वर्ष 2013 में सिंगापुर में भी वायु प्रदूषण का स्तर आज की दिल्ली जैसा ही था।
जिसके बाद वहां की सरकार ने, स्कूली बच्चों और कर्मचारियों के लिए कई Guidelines तैयार कीं। इसके लिए सभी के लिए Mask का इंतज़ाम किया गया। और Air Purifiers Install किए गए। सिंगापुर में प्रदूषण का स्तर बढ़ने पर किसी भी कंपनी की ये ज़िम्मेदारी होती है कि वो अपने कर्मचारियों को Mask उपलब्ध कराए। और उन्हें प्रदूषण से बचाने की कोशिश करे। इसके लिए Job rotation और Indoor Breaks देने की भी गाइडलाइन्स हैं। इसी तरह स्कूलों की भी ज़िम्मेदारी होती है कि वो बच्चों को Outdoor Activities के लिए बाहर ना भेजें
हाल ही में अमेरिकी विशेषज्ञों की एक रिपोर्ट में ये कहा गया था, कि दिल्ली में वायु प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह कूड़े का जलाया जाना है।
अमेरिका की University of Minnesota और Georgia Institute of Technology के रिसर्च में ये पाया गया, कि दिल्ली में प्रतिदिन 190 से 246 टन कूड़ा जलाया जाता है। हालांकि, अगर कोई यही काम सिंगापुर में करता है, तो वहां दोषी पाए जाने पर क़रीब साढ़े 9 करोड़ रूपये के जुर्माने का प्रावधान है।
जर्काता में ऐसे इलाकों की Aerial Monitoring की जाती है, ताकि जैसे ही आग का पता लगे, उसे आसमान से पानी का छिड़काव करके या Artificial Rain की मदद से बुझाया जा सके।
प्रदूषित हवा को साफ करता है नीदरलैंड्स का स्मॉग फ्री टावर
कहते हैं, समाज का भला करने के लिए अच्छी नीयत होनी ज़रूरी है। लेकिन हमारे देश के नेता अपना क़ीमती वक्त उन मुद्दों पर बर्बाद करते हैं, जिनका आम जनता के स्वच्छ और सुरक्षित जीवन से कोई लेना-देना नहीं होता। एक साफ सुथरी सोच कैसे लोगों का जीवन बदल सकती है, इसे समझाने के लिए मैं आपको नीदरलैंड्स का उदाहरण देना चाहता हूं।
नीदरलैंड्स के Rotterdam शहर को उसके ऐतिहासिक Architecture के लिए पहचाना जाता है।
हालांकि, किसी ज़माने में Rotterdam दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक था। और आज भी इस शहर में प्रदूषण का स्तर European Union के तय मानकों पर खरा नहीं उतरता। लेकिन, Award-Winning Dutch Designer और Innovator, डान रोज़गार्ड ने 'काले धुएं' से मुक्ति पाने के लिए जो Design तैयार किया है, वो भारत सहित कई देशों की फिज़ाओं को 'शुद्ध हवाओं' वाला वातावरण दे सकता है।
अभी आप अपनी टीवी स्क्रीन पर जो Tower देख रहे हैं, वो दुनिया का पहला Smog-Free Tower है। जिसे पिछले वर्ष नीदरलैंड्स के Rotterdam शहर में Install किया गया है। Ozone Free ION Technology पर आधारित ये Tower, प्रति घंटे 30 हज़ार क्यूबिक मीटर प्रदूषित हवा को साफ करता है।
7 मीटर ऊंचे Smog-Free Tower को इस तरह Design किया गया है, ताकि वो गंदी हवा को किसी Vacuum Cleaner की तरह अपने अंदर खींच सके।
इसके बाद ये Tower गंदी हवा को Filter करता है, और Smog Free Air को बाहर निकालता है। नीदरलैंड्स में हुए Outdoor Test के दौरान ये पाया गया, कि Smog-Free Tower की मदद से, 60 फीसदी प्रदूषित हवा को शुद्ध करने में क़ामयाबी मिली। जब इस Tower को एक पार्किंग Garage के अंदर लगाया गया, तो इसने वहां की 70 फीसदी प्रदूषित हवा को शुद्ध कर दिया।
Smog Free Tower, वातावरण में मौजूद PM 2.5 और PM10 जैसे खतरनाक कणों के 75 फीसदी अंश को अपने अंदर खींच लेता है। इसके बाद शुद्ध हवा Tower के चारों तरफ फैल जाती है।
आपको ये जानकर भी हैरानी होगी, कि जब Smog Free Tower प्रदूषित हवा को अपने अंदर खींचता है, तो वो हवा में मौजूद कार्बन के कणों को भी जमा कर लेता है। जिसकी मदद से कार्बन की अंगूठियां बनाई जाती है। आपको जानकारी दे दें, कि हीरा असल में कार्बन के परमाणुओं से ही मिलकर बना होता है। इसलिए इन अंगूठियों की तुलना हीरे से भी की जा रही है।
इस Smog-Free Tower को दुनिया का सबसे बड़ा Air-Purifier कहा जा रहा है, जिसे हाल ही में चीन की राजधानी बीजिंग में प्रदर्शन के लिए लगाया गया था। Smog-Free Tower को चीन के अलग-अलग शहरों में भी Install करने की बात चल रही है।
इस Smog Free Tower में लगे फिल्टर्स की क़ीमत 11 लाख रूपये से लेकर 87 लाख रूपये तक हो सकती है, हालांकि अभी इसकी क़ीमत को सार्वजनिक नहीं किया गया है।
आपने तमाम नेताओं और अधिकारियों के बारे में सुना होगा कि वो विदेशों में Study Tour पर जाते रहते हैं, लेकिन वो विदेश में शॉपिंग करके और छुट्टी मनाकर वापस आ जाते हैं.. वहां से कुछ सीखकर नहीं आते। हमें लगता है, कि अलग-अलग विषयों पर Study Tour पर जाने वाले ऐसे नेताओं और मंत्रियों को, नीदरलैंड्स जाकर Smog Free Tower पर भी Study करनी चाहिए... बल्कि हम तो कहेंगे कि Netherlands जाने की भी ज़रूरत नहीं है.. वो DNA देखकर अपना ज्ञानवर्धन कर सकते हैं और देश के Taxpayers का पैसा बचा सकते हैं।
प्रदूषण से खुद को इस तरह बचाएं
यहां पर आपको कुछ ज़रूरी टिप्स देना भी, हम अपनी ज़िम्मेदारी समझते हैं, ताकि आप प्रदूषण के इस आपातकाल में सुरक्षित रह सकें।
आपके लिए सबसे पहली सलाह यही है, कि 5 रुपये वाला Disposable Mask मत खरीदिए ये आपको प्रदूषण के कणों से नहीं बचाएगा। आपको ऐसे मास्क की ज़रूरत है, जिसमें कार्बन फिल्टर लेयर हो। ऐसे मास्क की कीमत 70 रुपये से लेकर 400 रुपये तक है, साथ ही ये मास्क Online भी उपलब्ध है।
आप जितनी देर तक घर से बाहर रहेंगे उतना ही प्रदूषण आपके शरीर में जाएगा। इसलिए जबतक हालात सामान्य नहीं हो जाते, बाहर मत निकलिए। खासतौर पर बच्चों और बुज़ुर्गों को घर में ही रहना चाहिए अगर संभव हो, तो घर पर एयर प्यूरीफायर लगवाइए। ये प्यूरीफायर वैक्यूम की तरह काम करते हैं, और हवा में मौजूद ख़तरनाक कणों को Filter कर देते हैं।
बड़ों की तुलना में बच्चे, ज़्यादा तेज़ी से सांस लेते हैं जिससे उनके लिए प्रदूषण का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए बच्चों का ख़ास ख्याल रखें और कम से कम घर के अंदर के वातावरण को प्रदूषण मुक्त रखें। दिन के मुकाबले रात में प्रदूषण का ख़तरा ज़्यादा होता है। तापमान जितना कम और मौसम जितना ठंडा होगा, हवा में मौजूद प्रदूषण के ज़हर की मारक क्षमता उतनी ही ज़्यादा होगी, इसलिए रात में बाहर जाने से बचें।
घर के अंदर लगाए जाने वाले कुछ पौधे ज़हरीली हवा को साफ करने में मददगार साबित होते हैं। उदाहरण के तौर पर Weeping fig, Peace lily, Devil's Ivy, और Flamingo Flower, ये सारे ही पौधे Indoor Plants हैं। 5 से 6 बड़े गमलों में इन पौधों को लगा कर आप अपने घर के अंदर के प्रदूषण में 50 प्रतिशत तक की कमी ला सकते हैं।