ZEE जानकारीः पश्चिम बंगाल में आज रसगुल्ला दिवस मनाया गया है
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ZEE जानकारीः पश्चिम बंगाल में आज रसगुल्ला दिवस मनाया गया है

पहला रसगुल्ला कहां बना और किसने बनाया ? इसे लेकर अलग-अलग दावे किए जाते हैं . कुछ लोग मानते हैं कि रसगुल्ला पहली बार ओडिशा में तैयार किया गया. 

ZEE जानकारीः पश्चिम बंगाल में आज रसगुल्ला दिवस मनाया गया है

अब हम आपको रसगुल्ले की जन्मभूमि पश्चिम बंगाल में लेकर चलेंगे और आपको रसगुल्ले की आत्मकथा दिखाएंगे. रसगुल्ला, भारत के लोगों की प्रिय मिठाई है . ये एक ऐसी मिठाई है जिसे खाने में सबसे कम मेहनत करनी पड़ती है. 

रसगुल्ला, मुंह में डालते ही, इसकी मिठास घुल जाती है . आज हम रसगुल्ले की महिमा का विश्लेषण इसलिए कर रहे हैं क्योंकि पश्चिम बंगाल में आज रसगुल्ला दिवस मनाया गया है . ये पश्चिम बंगाल का ही नहीं पूरे भारत का पहला आधिकारिक रसगुल्ला दिवस है. इसलिए आज हमने सोचा कि आपको 150 वर्ष पुरानी इस मिठाई के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए . रसगुल्ले के जन्म की कहानी बहुत दिलचस्प है, लेकिन उससे पहले आपको ये जानना चाहिए कि आज रसगुल्ला दिवस क्यों मनाया जा रहा है ? इसकी वजह ये है कि 14 नवंबर 2017 को पश्चिम बंगाल को बंगाल के रॉशोगोल्ला का GI Tag मिला था . GI Tag का मतलब है... Geographical Indication Tag, 

GI Tag, World Trade Organisation द्वारा प्रदान किया जाता है . WTO के सदस्य के रूप में भारत ने 15 सितंबर 2003 को Geographical Indications of Goods Registration and Protection Act, 1999 को लागू किया था . इसके तहत खाने-पीने की प्रसिद्ध चीज़ों को एक भौगोलिक पहचान दी गई. वर्ष 2004 में भारत में सबसे पहला GI Tag दार्जिलिंग की चाय को दिया गया था . और इसी तरह पश्चिम बंगाल के रसगुल्ले को भी अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिली.

पहला रसगुल्ला कहां बना और किसने बनाया ? इसे लेकर अलग-अलग दावे किए जाते हैं . कुछ लोग मानते हैं कि रसगुल्ला पहली बार ओडिशा में तैयार किया गया . और कुछ लोग ये मानते हैं कि पश्चिम बंगाल में रसगुल्ले का आविष्कार हुआ . लेकिन Oxford University Press की एक किताब के मुताबिक ज़्यादातर लोगों का मानना है कि रसगुल्ले की खोज कोलकाता में नोबीन चंद्र दास ने वर्ष 1868 में की थी . पूरी दुनिया की मिठाईयों का इतिहास बताने वाली एक किताब, The Oxford Companion to Sugar and Sweets के Page Number 580 पर रसगुल्ले का इतिहास लिखा गया है . 

बंगाल में मिठाई बनाने वालों को मोइरा कहा जाता है . नोबीन मोइरा नामक व्यक्ति का पुश्तैनी काम चीनी बनाना था. वर्ष 1868 में नोबीन मोइरा ने उत्तरी Kolkata के बाग़ बाज़ार में एक मिठाई की दुकान खोली थी . उस वक्त बंगाल में दो तरह की मिठाइयां प्रचलित थीं . संदेश और दाल से बनने वाली मिठाई . लेकिन नोबीन मोइरा कुछ अलग तरह की मिठाई बनाना चाहते थे. उन्होंने दूध के छेने के छोटे गोले बनाकर मीठी चाशनी में उबाला और इस तरह रसगुल्ले का जन्म हुआ.

माना जाता है कि उस दौर के एक प्रसिद्ध व्यापारी भगवान दास बागला, अपनी घोड़ा गाड़ी से नोबीन मोइरा की मिठाई की दुकान के सामने से गुज़रे . भगवान दास बागला के एक बच्चे को प्यास लगी थी . नोबीन मोइरा ने बच्चे को पानी के साथ रसगुल्ला भी दिया . इसके बाद सेठ भगवान दास बागला ने भी रसगुल्ला खाया . उन्हें ये बहुत पसंद आया. इसके बाद भगवान दास बागला, नोबीन मोइरा के नियमित ग्राहक बन गए . और यहीं से रसगुल्ले की प्रसिद्धि पूरे बंगाल में फैल गई . अपने स्वाद की वजह से ये धीरे-धीरे पूरे देश में प्रसिद्ध हो गया . 

ये कल्पना करना भी मुश्किल है कि वर्ष 1868 से पहले दुनिया के लोग बिना रसगुल्ले के कैसे जी रहे थे. भारत हमेशा से पूरी दुनिया के आकर्षण का केंद्र था . भारत में चीन, यूरोप और मध्य एशिया के बहुत सारे यात्री और इतिहासकार आए . ज्यादातर विदेशी यात्रियों ने बंगाल का दौरा भी किया था . इन सभी ने बंगाल के खान-पान की काफी प्रशंसा की है . लेकिन बंगाल के रसगुल्ले का कोई ऐतिहासिक विवरण, इससे पहले नहीं मिलता है . रसगुल्ले से ओडिशा की पौराणिक मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं . ओडिशा में ये दावा किया जाता है कि सदियों से जगन्नाथ यात्रा के 9वें दिन, देवी महालक्ष्मी को रसगुल्ले का भोग लगाया जाता है . 

सबसे पहले वर्ष 2013 में पश्चिम बंगाल की तरफ से रसगुल्ले पर GI Tag के लिए आवेदन किया गया था . लेकिन ओडिशा ने भी रसगुल्ले पर GI Tag के लिए दावा किया . इसके बाद भारत की GI Court में ढाई वर्ष तक इस बात पर बहस हुई कि आखिर रसगुल्ले पर किसका दावा मजबूत है ? इसके बाद पिछले वर्ष पश्चिम बंगाल को रसगुल्ले के लिए GI Tag मिल गया था . लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात ये भी है कि पश्चिम बंगाल को बंगाल के रौशोगोल्ला का GI Tag मिला है जो कि रसगुल्ले का एक प्रकार है. ओडिशा के लोग भी रसगुल्ले पर अपना दावा करते हैं और अब भी उनका दावा मज़बूत है . रसगुल्ले पूरे देश में बनाए जाते हैं लेकिन बंगाल के रसगुल्ले का स्वाद सबसे अच्छा माना जाता है .

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