केंद्रीय बिजली प्राधिकरण (CEA) की रिपोर्ट के मुताबिक 22 फरवरी 2018 तक 6 पावर प्लांट्स पर एक भी दिन का कोयला नहीं बचा है, जबकि 8 प्लांट्स पर सिर्फ एक दिन का कोयला ही बचा है.
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नई दिल्लीः बिजली कंपनियां पर कोयला कंपनियों की उधारी आने वाली गर्मियों में कई राज्यों में लोगों के पसीने छुड़ा सकती है. बिजली कंपनियां पिछले करीब एक साल से कोल इंडिया के कोयले का पैसा चुकाने में देरी कर रही हैं. इसके कारण बिजली कंपनियों पर कोल इंडिया की करीब 10 हज़ार करोड़ रुपये की उधारी हो गई है. इस उधारी की वजह से हो सकता है कि बिजली कंपनियों कोयले की सप्लाई में कमी आ सकती है. इससे गर्मियों में कई राज्यों ख़ासकर उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, राजस्थान और तमिलनाडू में पावर कट बढ़ जाएं.
सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गई अपनी प्रोग्रेस रिपोर्ट में पहली बार कोयला कंपनियों ख़ासकर कोल इंडिया ने अपनी उधारी का जिक्र किया है. इससे पहले भी बिजली कंपनियों पर कोल इंडिया का बकाया होता था. लेकिन इस बार जनवरी के अंत तक बढ़कर करीब 9815 करोड़ रुपये हो गया है. इसमें से करीब 1500 करोड़ रुपये के बकाये पर बिजली कंपनियों और कोल इंडिया के बीच में मतभेद है. लेकिन 8300 करोड़ रुपये की रकम तो बिजली कंपनियों ने चुकानी ही है.
इस बारे में कोल इंडिया के एक अधिकारी ने बताया कि अगर ये रकम समय पर नहीं चुकाई जाती तो बिजली कंपनियों को कोयले की सप्लाई में कमी की जा सकती है. जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, हरियाणा और तमिलनाडू जैसे राज्यों ने समय पर बिजली कंपनियों को बिल नहीं चुकाया है. इसके कारण से कोल इंडिया को भी बिजली कंपनियों से पैसे नहीं मिल रहे हैं और ये उधारी 10 हज़ार करोड़ रुपये के आसपास पहुंच गई है. गर्मियां अभी शुरू हो रही हैं और फिलहाल देश में 46 थर्मल प्लांट्स पर कोल सप्लाई की भारी कमी हैं.
केंद्रीय बिजली प्राधिकरण (CEA) की रिपोर्ट के मुताबिक 22 फरवरी 2018 तक 6 पावर प्लांट्स पर एक भी दिन का कोयला नहीं बचा है, जबकि 8 प्लांट्स पर सिर्फ एक दिन का कोयला ही बचा है. ऐसे में इस बड़ी उधारी की वजह से कोल इंडिया अगर कोयला सप्लाई कम करता है तो कुछ राज्यों में बिजली की भारी किल्लत हो सकती है.