Supreme Court News: मजदूर के बेटे को IIT में नहीं मिल पाया था एडमिशन, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- परेशान मत हो, कुछ करते हैं!
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Supreme Court News: मजदूर के बेटे को IIT में नहीं मिल पाया था एडमिशन, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- परेशान मत हो, कुछ करते हैं!

Supreme Court News in Hindi: मुजफ्फरनगर में एक मजदूर के बेटे ने आईआईटी का एंट्रेंस एग्जाम क्रैक तो कर लिया लेकिन उसकी गरीबी दाखिले की राह में आकर खड़ी हो गई. फीस न दे पाने पर उसका एडमिशन कैंसल हो गया. अब सुप्रीम कोर्ट ने उसे ढाढस बंधाया है.

Supreme Court News: मजदूर के बेटे को IIT में नहीं मिल पाया था एडमिशन, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- परेशान मत हो, कुछ करते हैं!

Supreme Court IIT Admission Hearing Case: एक दिहाडी मजदूर के बेटे ने मेहनत करके आईआईटी का एंट्रेंस एग्जाम क्रैक कर लिया. इसके बाद उसे आईआईटी की सीट अलॉट की गई लेकिन मजदूर फीस के लिए 17 हजार 500 रुपये का इंतजाम नहीं कर पाया. इसके चलते उसकी सीट कैंसल कर दी गई. उसने पहले झारखंड के कानूनी सेवा प्राधिरकरण में याचिका डाली लेकिन उसने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर बताते हुए हाथ खड़े कर दिए. अब छात्र ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की है, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उसे हिम्मत बंधाते हुए कहा कि परेशान मत हो, कुछ करते हैं!

मजदूर के बेटे ने क्लियर किया आईआईटी का एग्जाम

बार एंड बेच वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक दिहाड़ी मजदूर के बेटे की अर्जी पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने याचिकाकर्ता ने बताया कि वह यूपी के मुजफ्फरनगर जिले का रहने वाला है. उसके पिता दिहाड़ी मजदूर का काम करते हैं. छात्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने आईआईटी एंट्रेंस एग्जाम क्लियर कर लिया था, जिसके बाद उसे झारखंड के आईआईटी धनबाद में सीट अलॉट की गई.

फीस का इंतजाम न कर पाने से कैंसल हो गई सीट

छात्र ने बताया कि उसे संस्थान में फीस के लिए 17 हजार 500 रुपये देने थे, लेकिन उसके पिता इस फीस का इंतजाम नहीं कर पाए. सिस्टम में तकनीकी खराबी और फीस का इंतजाम न कर पाने की वजह से 24 जून को एडमिशन लिस्ट से उसका नाम काट दिया गया. इसके बाद उसने झारखंड में कानूनी सेवा प्राधिकरण से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन वहां से कोई मदद नहीं मिल सकी.

झारखंड कानूनी प्राधिकरण ने मदद से खड़े कर दिए हाथ

बकौल छात्र, प्राधिकरण ने कहा कि चूंकि परीक्षा आईआईटी मद्रास ने आयोजित करवाई थी. इसलिए वह वहीं पर जाकर याचिका दायर करे. झारखंड से चेन्नई जाकर कोर्ट में अर्जी दायर करना उसके बस में नहीं था. उसके पास न तो इतने पैसे थे और नह समय बचा था. इसलिए वह चाहकर भी अपने लिए कुछ नहीं कर पाया. 

चीफ जस्टिस बोले- चिंता मत करो, हम कुछ करते हैं

याचिका दायर करने वाले छात्र की दास्तान सुनकर चीफ जस्टिस चंद्रचूड ने उससे सहानुभूति जताई. चीफ जस्टिस ने कहा कि उसकी आईआईटी की कक्षाएं 3 महीने पहले शुरू हो चुकी हैं लेकिन वो चिंता न करे. इस बारे में वे कुछ करते हैं. उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता की सामाजिक पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए, हम नोटिस जारी करना और उसके प्रवेश का ध्यान रखना उचित समझते हैं. अब इस मामले की अगली सुनवाई सोमवार को होगी. 

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