सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया राजस्थान HC का आदेश, नाबालिग बेटी से रेप के आरोपी को दी ये सजा
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सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया राजस्थान HC का आदेश, नाबालिग बेटी से रेप के आरोपी को दी ये सजा

नाबालिग बेटी से रेप के आरोपी को जमानत देने वाले राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया है और आरोपी को तय समय में संबंधित कोर्ट में सरेंडर करने के आदेश दिए हैं.

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो).

नई दिल्ली: अपनी नाबालिग बेटी के साथ दुष्कर्म करने के आरोपी शख्स को जमानत देने के राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने रोक लगा दी है. अदालत ने कहा कि इस मामले में कम से कम अभियोजन पक्ष (Prosecutors) के गवाहों के बयान दर्ज होने तक न्याय के हित में आरोपी का जेल में रहना जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को एक सप्ताह के अंदर सक्षम अदालत के समक्ष समर्पण (Surrender) करने का निर्देश दिया. 

  1. सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया राजस्थान HC का फैसला
  2. नाबालिग बेटी से रेप के आरोपी को वापस भेजा जेल
  3. जज बोले- गवाह के बयान होने तक जमानत सही नहीं

'बयान दर्ज होने तक जेल में रहे आरोपी'

दरअसल, कोर्ट ने पीड़िता के पिता को जमानत देने के हाई कोर्ट के पिछले साल सितंबर में दिए गए आदेश को चुनौती देने वाली लड़की की याचिका पर आदेश सुनाया. जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की पीठ ने कहा कि राज्य की ओर से पक्ष रख रहे वकील ने कहा है कि मामले में इस साल सितंबर में सुनवाई शुरू होगी और इसे जल्द से जल्द पूरा करने का हरसंभव प्रयास किया जाएगा. पीठ ने 16 अगस्त के अपने आदेश में कहा, ‘इसलिए हमारा विचार है कि न्याय के हित में तथा कानून के अनुसार प्रतिवादी संख्या 2 (आरोपी) का कम से कम तब तक कैद में रहना जरूरी है जब तक अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयान दर्ज नहीं हो जाते.’

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पिछले साल दर्ज हुआ था मुकदमा

आरोपी के खिलाफ पिछले साल अप्रैल में भारतीय दंड संहिता और पॉक्सो कानून के तहत FIR दर्ज कराई गई थी. लड़की ने आरोप लगाया था कि जब वह अपनी 4th क्लास की परीक्षा देने जा रही थी तो आरोपी ने उसका यौन उत्पीड़न किया और यह सिलसिला जारी रहा. शीर्ष अदालत ने कहा कि हाई कोर्ट ने जमानत देने के अपने आदेश में केवल इस पहलू पर गौर किया कि मामले में सुनवाई काफी लंबे समय तक चलेगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘हालांकि, यह इन निर्देशों के विरोधाभासी होगा कि पॉक्सो कानून के तहत मामलों को प्राथमिकता से निपटाना होगा. अन्य कोई कारण नहीं दिया गया.’

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