दिल्ली में पटाखों पर बैन हटाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, मनोज तिवारी को दी ये नसीहत
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दिल्ली में पटाखों पर बैन हटाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, मनोज तिवारी को दी ये नसीहत

Supreme Court: कोर्ट ने कहा कि आपको अपने समर्थकों को समझाना चाहिए कि वो पटाखे न जलाएं. चुनाव में जीत के बाद होने वाले जुलूस में पटाखे नहीं जलाए जाने जाने चाहिए. जीत के उत्सव मनाने के और भी तरीके हैं.

दिल्ली में पटाखों पर बैन हटाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, मनोज तिवारी को दी ये नसीहत

PIL Of Manoj Tiwari: सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि वो दिल्ली समेत कई राज्यों में पटाखों पर लगी रोक में दखल नहीं देगा. कोर्ट ने कहा कि अगर कोई राज्य सरकार अपने यहां की हालात के मद्देनजर पटाखों पर बैन लगाती है तो वो लगा सकती है. कोर्ट इसमें अपनी ओर से दख़ल नहीं देगा. कोर्ट ने याचिकाकर्ता बीजेपी नेता मनोज तिवारी से कहा कि वो त्यौहार को दूसरे तरीके से मनाइए.

मनोज तिवारी की याचिका
दरसअल, बीजेपी नेता मनोज तिवारी ने कोर्ट में याचिका दायर कर दिल्ली समेत कई राज्यों में पटाखों पर पूरी तरह से लगे बैन को चुनौती दी थी. याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट अपने आदेश में साफ कर चुका है कि पटाखों के इस्तेमाल पर उसकी ओर से कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं है. केवल हानिकारक विस्फोटक वाले पटाखों पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बैन लगाया है. इसके बावजूद दिल्ली समेत कई राज्यों में पटाखों पर पूरी तरह से बैन लगा दिया गया है. जीने का अधिकार का हवाला देकर धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार नहीं छीना जा सकता है.

'जहाँ बैन नहीं, उन राज्यों में पटाखें जलाएं'
बुधवार को मनोज तिवारी की तरफ से वकील शंशाक शेखर झा ने जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच के सामने रखा. वकील शंशाक ने कहा कि कई राज्यों ने पटाखों पर पूरी तरह से बैन लगा दिया है. खासतौर पर दिल्ली एनसीआर में ग्रीन पटाखों की बिक्री पर भी बैन लगा दिया गया है. लेकिन जस्टिस बोपन्ना ने कहा कि अगर किसी सरकार ने बैन लगाया है तो हम इसमे दखल नहीं देंगे. 

ख़ुशी मानने के दूसरे तरीके खोजिए
आगे यह भी कहा गया कि अगर किसी राज्य सरकार को पटाखों के चलते अपने यहां दिक्कत लगती है और वो इसमे पूरी तरह बैन लगाती है तो लगा सकती है. वकील ने दलील दी कि चुनाव परिणाम आने पर भी तो समर्थकों की ओर से पटाखे फोड़े जाते है. इस पर कोर्ट ने कहा कि ख़ुशी मानने के दूसरे तरीके खोजिए. जहां पर सरकार ने बैन लगाया है, वहां हम कुछ नहीं करेंगे. कोर्ट ने यह भी कह दिया कि अगर आप पटाखें छोड़ना ही चाहते है तो ऐसे राज्य में जा सकते है, जहां पटाखों पर बैन नहीं है.

उत्सव दूसरे तरीके से मनाइए
वकील शंशाक शेखर झा ने कहा कि सांसद होने के नाते उनके मुवक्किल भी अपने इलाके की जनता के प्रति उत्तरदायी हैं और ग्रीन पटाखों को सुप्रीम कोर्ट ने ख़ुद इजाज़त दी है. इस पर कोर्ट ने कहा कि आपको अपने समर्थकों को समझना चाहिए कि वो पटाखे न चलाए. चुनाव में जीत के बाद होने वाले जुलूस में पटाखे नहीं चलाये जाने जाने चाहिए. जीत के उत्सव मनाने के और भी तरीके हैं.

दिल्ली में है पटाखो पर बैन
बता दें कि दिल्ली समेत कई राज्यों में पटाखो पर पूरी तरह से बैन के खिलाफ मनोज तिवारी की याचिका अक्टूबर 2022 से लंबित है. इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट कई बार इस बैन को हटाने से इंकार कर चुका है. सरकार ने इस साल भी दिल्ली में पटाखों के निर्माण, स्टोरेज, बिक्री और इस्तेमाल पर पूरी तरह से बैन की घोषणा की है.

दिल्ली पुलिस से भी जवाब मांगा
बुधवार को बेंच के उठते समय वकील गोपाल शंकर नारायणन ने कहा कि दिल्ली में बैन के बावजूद पटाखे फोड़े गए हैं. बैन के बावजूद ऐसे पटाखे दिल्ली पहुंच रहे हैं. इन पटाखों में बेरियम जैसे प्रतिबंधित केमिकल वाले पटाखें भी शामिल हैं. ऐसे में दिल्ली पुलिस और दूसरी एजेंसियों की जिम्मेदारी सुनिश्चित की  जानी चाहिए. इस पर कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहा कि वो कल इस पर भी अपना पक्ष रखें.

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