Suvendu Adhikari and Sukanta Majumdar: बंगाल बीजेपी में भी वहां के वरिष्ठ नेताओं के सुर एक-दूसरे से अलग दिख रहे हैं. लोकसभा और उसके बाद उपचुनावों में हुए हार की जिम्मेदारी कोई लेता हुआ नहीं दिखता.
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Bengal BJP Poor Performance: इस वीक लखनऊ से लेकर दिल्ली तक हर जगह यूपी बीजेपी में बदलाव की आहट सुनाई दे रही है लेकिन इन सबसे दूर बंगाल में भी पार्टी के भीतर बगावती आवाजें उठ रही हैं. लोकसभा चुनाव में बंगाल में बीजेपी की सीटें 18 से घटकर 12 रह गईं. पिछले हफ्ते हुए तीन विधानसभा उपचुनावों की सीटें भी सीएम ममता बनर्जी की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के खाते में चली गई. लिहाजा बंगाल बीजेपी यूनिट में कार्यकर्ताओं का मनोबल कमजोर हुआ है और खराब प्रदर्शन के लिए जवाबदेही तय करने और संगठन में बदलाव की मांग उठ रही है. यानी सीधे शब्दों में कहा जाए तो प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सुकांत मजूमदार और विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के नेतृत्व पर कहीं न कहीं सवाल उठ रहे हैं.
हालिया चुनावी नतीजों के बाद 17 जुलाई से मंथन के लिए भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी के दो दिवसीय सत्र का आयोजन हो रहा है. इसके पहले दिन इस तरह के बागी तेवर देखने को मिले. कोलकाता के साइंस सिटी सभागार में प्रदेश भाजपा का मंथन सत्र जारी रहने के बीच पार्टी कार्यकर्ताओं के एक समूह ने मध्य कोलकाता में प्रदेश (भाजपा) मुख्यालय के बाहर धरना देकर राज्य के उन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जिन्हें उन्होंने चुनावों में खराब प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार ठहराया है.
वरिष्ठ भाजपा नेता और सांसद सौमित्र खान ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान राज्य संगठन में नेतृत्व परिवर्तन की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा, "हमारे निराशाजनक प्रदर्शन के बाद राज्य संगठन में अधिक जवाबदेही और बदलाव की आवश्यकता है. यह बदलाव जरूरी है, क्योंकि राज्य की जनता ने हमें संदेश दे दिया है."
खान की भावनाओं से सहमति जताते हुए बैरकपुर लोकसभा सीट से हारने वाले पूर्व भाजपा सांसद अर्जुन सिंह ने भी कमियों को स्वीकार किया. उन्होंने कहा, "हमें पार्टी की चुनौतियों को स्वीकार करना चाहिए, चाहे वे संगठनात्मक हों या अन्य, और 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले उनका तेजी से समाधान करना चाहिए."
एक अन्य वरिष्ठ भाजपा नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि निराशाजनक चुनावी नतीजों के बाद राज्य इकाई में आमूलचूल परिवर्तन की तत्काल आवश्यकता है. नेता ने कहा, "अगर हम 2026 के विधानसभा चुनावों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहते हैं, तो हमें जल्द से जल्द खुद को व्यवस्थित करना होगा. राज्य इकाई में बदलाव समय की मांग है. जिन लोगों ने राज्य इकाई की ओर से निर्णय लिए हैं, उन्हें जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए और पद छोड़ देना चाहिए."
संगठनात्मक कौशल की ज्यादा भूमिका नहीं: सुकांत मजूमदार
बैठक के शुरुआती सत्र को संबोधित करते हुए प्रदेश भाजपा प्रमुख एवं केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने कहा, ''लोकसभा चुनाव के नतीजे राज्य में पार्टी की संभावनाओं के संकेतक नहीं हो सकते.'' उन्होंने कहा, ''हम आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे. यह सच है कि हमारी (लोकसभा) सीट संख्या 18 से घटकर 12 हो गई है. हमें यह पता लगाने की जरूरत है कौन सी चीज काम नहीं कर पाईं. हमें कड़ी मेहनत करनी चाहिए और तृणमूल कांग्रेस के कुशासन के खिलाफ लड़ना चाहिए.''
बाद में उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि चुनाव जीतने में संगठनात्मक कौशल की भूमिका ज्यादा नहीं होती. उन्होंने कहा, "जब कोई पार्टी जीतती है, तो हर कोई संगठनात्मक ताकत को श्रेय देता है और अगर वह हार जाती है तो हर कोई संगठनात्मक ताकत को दोष देता है. यह स्वाभाविक है. हालांकि राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार चुनाव जीतने में संगठनात्मक ढांचे की भूमिका सिर्फ 10-25 प्रतिशत है."
मैं संगठन का कामकाज नहीं देखता: शुभेंदु अधिकारी
बैठक में पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने स्पष्ट किया, ''मैं संगठन का कामकाज नहीं देखता.'' उन्होंने कहा, ''मैं पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष का नेता हूं और ऐसा कोई उदाहरण नहीं है जहां मैंने पार्टी के खिलाफ टिप्पणी की हो. दूसरी बात यह कि मैं प्रदेश इकाई के संगठनात्मक कार्यों के लिए किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं हूं.''
हालांकि इस पर सुकांत मजूमदार का कहना है कि शुभेंदु अधिकारी कोर कमेटी के एक प्रमुख सदस्य थे.
इन बयानों से समझा जा सकता है कि जहां एक तरफ पार्टी के भीतर से बदलाव की बात हो रही है वहीं दूसरी तरफ राज्य यूनिट का शीर्ष नेतृत्व इस पर सफाई देता हुआ भी दिखता है और कहीं न कहीं गेंद दूसरे के पाले में डालने का प्रयास भी हो रहा है.