भारत सरकार ने बांग्लादेश की लेखिका तस्लीमा नसरीन को देश में रहने की अनुमति अवधि फिर एक साल के लिए बढ़ा दी है.
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नई दिल्ली: भारत सरकार ने बांग्लादेश की लेखिका तस्लीमा नसरीन को देश में रहने की अनुमति अवधि फिर एक साल के लिए बढ़ा दी है. एक अधिकारी ने रविवार को कहा कि स्वीडेन की नागरिक लेखिका के भारत में रहने की अनुमति अवधि शनिवार को जुलाई, 2020 तक के लिए बढ़ा दी गई. 56 वर्षीय लेखिका, फिजिशियन, नारीवादी और मानवाधिकार कार्यकर्ता के भारत में प्रवास का परमिट वर्ष 2004 से लगातार बढ़ाया जा रहा है. तस्लीमा ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से अनुरोध किया था. इसके अगले दिन 17 जुलाई को परमिट और तीन महीने के लिए बढ़ा दिया गया.
बाद में तस्लीमा ने ट्विटर पर शाह से फिर अनुरोध किया. इसके बाद गृह मंत्रालय ने परमिट एक साल के लिए बढ़ा दिया. तस्लीमा ने 17 जुलाई को ट्वीट किया, "माननीय अमित शाह जी, मेरे निवास परमिट को बढ़ाने के लिए आपका धन्यवाद. लेकिन मैं इस बात से आश्चर्यचकित हूं कि मुझे केवल तीन माह का निवास परमिट दिया गया."
Twitter is so powerful!On July16 I tweeted my residence permit wasn't extended.On July17 it was extended,but only for 3months. So many Twitter friends requested MHA to extend it for longer period. It's extended for 1yr today.Thanks MHA to change decision. Love my Twitter friends
— taslima nasreen (@taslimanasreen) July 20, 2019
उन्होंने आगे लिखा, "मैंने पांच साल के लिए आवेदन किया था, लेकिन मुझे एक साल का विस्तार मिला. माननीय राजनाथ सिंह जी ने मुझे भरोसा दिलाया था कि मुझे 50 साल का विस्तार मिलेगा. भारत ही मेरा एकमात्र घर है. मुझे उम्मीद है कि आप मुझे इस परेशानी से बाहर निकाल लेंगे."
Hon'ble @amitshah ji,I sincerely thank u for extending my residence permit. But I'm surprised it's only for 3M. I apply for 5yrs but I've been getting 1yr extension.Hon'ble Rajnathji assured me I wd get an extension for 50yrs.India is my only home.I'm sure u'll come to my rescue.
— taslima nasreen (@taslimanasreen) July 17, 2019
निवास परमिट के विस्तार के बाद तस्लीमा नसरीन और उनके ट्विटर मित्रों ने गृहमंत्री का धन्यवाद किया. कथित इस्लाम विरोधी विचार रखने के कारण कट्टरपंथी संगठनों से धमकियां मिलने के बाद तस्लीमा ने साल 1994 में बांग्लादेश छोड़ दिया था. तब से लेकर अब तक वह निर्वासन का जीवन व्यतीत कर रही हैं.
लेखिका ने भारत की नागरिकता के लिए आवेदन किया है
लेखिका ने भारत की नागरिकता के लिए आवेदन किया है, लेकिन गृहमंत्रालय द्वारा इस बाबत कोई विचार नहीं किया गया है. उनके कार्यो को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन के बाद उन्हें साल 2007 में कोलकाता भी छोड़ना पड़ा था.