इकलौता लड़का मां-बाप को करता था परेशान, कोर्ट ने उसे फ्लैट खाली करने का दिया आदेश
Advertisement
trendingNow1988367

इकलौता लड़का मां-बाप को करता था परेशान, कोर्ट ने उसे फ्लैट खाली करने का दिया आदेश

मुंबई में एक व्यक्ति और उसकी पत्नी अपने बुजुर्ग माता-पिता को परेशान करते थे. उनसे तंग आकर बुजुर्ग माता-पिता ने अदालत का दरवाजा खटखटाया. इसके बाद कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए एक महीने के भीतर बेटे बहू को घर खाली करने का आदेश दिया है.

बुजुर्गों को परेशान करने वाले बेटे-बहू को हाइ कोर्ट ने घर से निकाला (सांकेतिक तस्वीर)

मुंबई: मुंबई हाई कोर्ट ने एक व्यक्ति और उसकी पत्नी को अपने बुजुर्ग माता-पिता का घर एक महीने के भीतर खाली करने आदेश दिया है. यह व्यक्ति बुजुर्गों को परेशान करता था और उसने घर खाली करने से मना कर दिया था.अदालत ने आशीष दलाल नाम के व्यक्ति और उसके परिवार को अपने बुजुर्ग माता-पिता का फ्लैट खाली करने का आदेश दिया है. अदालत ने यह पाया कि 90 वर्षीय पिता और 89 साल की मां का इकलौता पुत्र और उसकी पत्नी उन्हें परेशान कर रहे हैं. इस फ्लैट का मालिकाना हक बुजुर्ग दंपति के पास है. 

  1. बुजुर्गों को परेशान करते थे बेटे-बहू
  2. अदालत ने पति-पत्‍नी को घर खाली का दिया आदेश
  3. जज ने कहा, 'बुजुर्गों को जीने दें सामान्य जीवन'

'बेटियां सदा के लिए हैं'

दलाल को फ्लैट खाली करने का निर्देश देते वक्त हाई कोर्ट ने इस बात पर दुख व्यक्त किया कि माता-पिता को अपने अधिकारों को सुरक्षित करने और अपने ही बेटे-बहुओं द्वारा किए गए उत्पीड़न से खुद को बचाने के लिए अदालतों का दरवाजा खटखटाना पड़ता है. अदालत ने कहा कि यह एक ऐसा मामला है, जहां बुजुर्ग माता-पिता अपने इकलौते बेटे के हाथों ही पीड़ित हैं और ऐसा लगता है कि इस कहावत में कुछ न कुछ सच्चाई है कि 'बेटियां सदा के लिये हैं' और बेटे तभी तक बेटा है जब तक उसकी शादी नहीं हो जाती.

यह भी पढ़ें: समंदर में दो बच्‍चों के साथ फंसी, यूरिन पीकर बच्‍चों को कराई फीडिंग; लेकिन...

बुजुर्गों को जीने दें सामान्य जीवन

जज ने कहा कि वरिष्ठ नागरिक अधिनियम (Senior Citizens Act) में यह प्रावधान अनिवार्य किया गया है कि वरिष्ठ नागरिकों की संतानें अथवा रिश्तेदार यह सुनिश्चित करें कि बुजुर्ग उत्पीड़न और परेशानी मुक्त होकर सामान्य जीवन व्यतीत कर सकें. अदालत ने यह भी कहा कि मौजूदा मामला बेहद दुखद है, जहां व्यक्ति जानबूझ कर अपने माता पिता को वृद्धावस्था में सामान्य जीवन जीने से रोक रहा है.

आशीष दलाल ने दी थी अधिकरण के फैसले को चुनौती

अदालत आशीष दलाल की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उसने वरिष्ठ नागिरक अधिकरण (Tribunal) के फैसले को चुनौती दी थी. इस अधिकरण ने दलाल और उसकी पत्नी को फ्लैट खाली करने का आदेश दिया था. मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने पाया कि दलाल के पास नवी मुंबई एवं दहिसर इलाके में तीन आवासीय परिसर हैं, फिर भी वह माता-पिता के साथ रहने पर जोर दे रहा है. पीठ ने दलाल की याचिका खारिज करते हुए उसे 30 दिन के भीतर फ्लैट खाली करने का आदेश दिया.

LIVE TV

Trending news