प्राइवेट कंपनी को किसने दिया 'लगान-वसूली' का लाइसेंस, 1870 का है किस्‍सा
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प्राइवेट कंपनी को किसने दिया 'लगान-वसूली' का लाइसेंस, 1870 का है किस्‍सा

The Estate Investment Company: मुंबई से सटे ठाणे जिले में एक प्राइवेट कंपनी The Estate Investment Compan लोगों से अपनी ही जमीन पर घर बनाने के लिए लगान वसूल करती है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि अवैध लगान वसूली का ये धंधा शुरु कब और कैसे हुआ?

प्राइवेट कंपनी को किसने दिया 'लगान-वसूली' का लाइसेंस, 1870 का है किस्‍सा

The Estate Investment Company History: आजादी के 75 साल बाद भी लोगों को अपनी जमीन पर लगान देना पड़ रहा है और यह देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से सटे ठाणे जिले में हो रहा है, जहां एक प्राइवेट कंपनी The Estate Investment Compan लोगों से अपनी ही जमीन पर घर बनाने के लिए लगान वसूल करती है. आपको जानकर हैरानी होगी कि मीरा-भयंदर इलाके में जितनी भी जमीन है, उस पर इसी प्राइवेट कंपनी का मालिकाना हक है. ये आजाद भारत का सबसे बड़ा Land Fraud है. लेकिन, लेकिन, क्या आप जानते हैं कि अवैध लगान वसूली का ये धंधा शुरु कब और कैसे हुआ? इसे समझने के लिए आपको आज से 154 साल पीछे जाना पड़ेगा.

अवैध लगान वसूली का ये धंधा शुरु कब और कैसे हुआ?

154 साल पहले जब मीरा रोड और भयंदर के आसपास समंदर हुआ करता था, जिसका खारा पानी.. इन इलाकों में घुस आया करता था और फसलें खराब हो जाती थीं. इस समस्या को दूर करने के लिए साल 1870 में अंग्रेजों ने रामचंद्र लक्ष्मणजी नाम के जमींदार से एक सौदा किया. इस Agreement में तय हुआ था कि इस इलाके के आसपास एक एक बांध जैसा Structure बनाया जाएगा, जो भयंदर से होते हुए मीरा रोड और फिर घोडबंदर रोड तक जाएगा जिससे इन इलाकों में समुद्र का खारा पानी नहीं घुस सके. इसके बदले में रामचंद्र लक्ष्मण जी इस इलाके के किसानों से अगले नौ सौ निन्यान्वे (999) साल तक यहां उगने वाली फसल का एक तिहाई हिस्सा..लगान के तौर पर वसूलेंगे.

यानी तब से भारत को आजाद होने तक और फिर आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के बाद अबतक मीरा-भयंदर के लोगों से ये लगान वसूला जा रहा है. ये अपने आप में बेहद हैरानी की बात है कि अंग्रेजों के जमाने का लगान लोगों को आजतक भरना पड़ रहा है और ऐसा भी नहीं है कि इसके खिलाफ कोई आवाज नहीं उठाता, लेकिन हर आवाज को दबा दिया जाता है.

The Estate Investment Company को कैसे मिला लाइसेंस?

अब सवाल ये है कि The Estate Investment Company को ये लगान वसूलने का लाइसेंस कब और कैसे मिला? दरअसल, अंग्रेजों ने जिस जमींदार रामचंद्र लक्ष्मणजी को लगान वसूलने का हक दिया था, उन्होंने बाद में लगान वसूलने का काम जयाबेन भद्रसेन नाम की महिला को दे दिया. इसके बाद जयाबेन भद्रसेन ने वर्ष 1943 में लगान वसूलने का काम तीन लोगों को सौंप दिया. इन तीन लोगों को नाम थे - गोविंदराम ...रामनारायण श्रीलाल और चिंरंजीलाल श्रीलाल. इन तीनों की कंपनी का नाम था - गोविंदराम ब्रदर्स.

वर्ष 1945 में गोविंदराम ब्रदर्स ने लगान वसूलने का काम एक कंपनी को दिया, जिसका नाम है - The Estate Investment Company. ज़ी न्यूज़ के पास 1945 के अग्रीमेंट की भी कॉपी है, जिसमें गोविंदराम ब्रदर्स ने The Estate Investment Company को मीरा-भयंदर के इलाके में लोगों से लगान वसूलने का ठेका देने का सौदा किया. तब से लेकर अबतक यही प्राइवेट कंपनी मीरा-भयंदर के लोगों से इस लगान की वसूली कर रही है.

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