असम के कामख्या मंदिर के अम्बुवासी मेले की तैयारियां जोरों पर, प्रशासन ने लिया जायजा
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असम के कामख्या मंदिर के अम्बुवासी मेले की तैयारियां जोरों पर, प्रशासन ने लिया जायजा

मेले की तैयारियों की जानकारी लेने के लिए असम की मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल की अध्यक्षता में कामाख्या धाम में एक बैठक भी आयोजित हुई. 

मोहित चंद्र शर्मा ने बताया कि इस दौरान देवालय के सभी द्वार बंद रहेंगे

गुवाहाटी: विश्व प्रसिद्ध शक्ति पीठ, तंत्र मन्त्र का प्राण केंद्र और हिन्दुओं की आस्था का प्रतिक, असम की राजधानी गुवाहाटी के पश्चिम छोर पर कामाख्या रेलवे जंक्शन से मात्र 6 किलोमीटर की दूरी पर नीलाचल पर्वत स्तिथ कामाख्या धाम में आगामी 22 जून से प्रसिद्ध अम्बुवासी मेला शुरू हो रहा है. 

मीडिया को संबोधित करते हुए कामाख्या देवालय समिति के दलै ( प्रमुख पुजारी की उपाधि ) मोहित चंद्र शर्मा ने बताया, 22 जून की रात 1.40 बजे से निवृति के साथ अम्बुवासी मेले का शुभारम्भ हो जाएगा, जो 23 तारीख से 25 जून तक चलेगा.  दलै मोहित चंद्र शर्मा ने साथ ही बताया कि इस दौरान देवालय के सभी द्वार बंद रहेंगे और 26 जून की सुबह 6 बजे पूजा अर्चना के बाद भक्तों के दर्शन के लिए मंदिर का द्वार खोल दिया जायेगा. 

दलै ने अम्बुवासी मेले के दौरान कामाख्या धाम में देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए तमाम तैयारियों की जानकारी सांझा करते हुए जी मीडिया गुवाहाटी सवांददाता से कहा ' देवालय परिसर में पुलिस और अतिरिक्त सुरक्षा बलों के अलावा कामाख्या देवालय समिति के तरफ से 400 स्वयंसेवक, 400 स्काउट एन्ड गॉइड, 140 अर्द्धसुरक्षा, 120 स्थायी सुरक्षाकर्मियों को नियुक्त किया गया हैं, वहीं साफ सफाई के लिए देवालय समिति ने 210 स्थायी और 200 अस्थायी सफाईकर्मियों को तैनात किया है.

मंदिर प्रागण और समूचे नीलाचल पर्वत की सुरक्षा व्यवस्था पर दलै ने जानकारी देते हुए बताया, मंदिर के आस पास की गतिविधियों पर नज़र बनाए रखने के लिए 300 सीसीटीवी कैमरे स्थापित किया गए हैं, साथ ही कहा कि डिफेन्स के लिए दी जाने वाली विशेष टिकट सेवा 21 से 30 जून तक बंद रहेगी.

बता दें, कामाख्या धाम में अम्बुवासी मेले के दौरान हर साल देश विदेश से लाखों की तादाद में श्रद्धालु का भीड़ नीलाचल पर्वत पर उमड़ पड़ता हैं, जिनमें नगा साधु, सन्यासी, तांत्रिक और आम भक्त होते हैं. भारी संख्या में भक्तों की तादाद होने से प्रसाशन को मंदिर के आस पास नीलाचल पर्वत और गुवाहाटी शहर के कई खुले मैदानों में ठहरने, खाने पीने, परिवहन व्यवस्था और स्वास्थ सेवाओं के उचित प्रबंध के लिए अस्थायी शिविर लगाई जाती हैं.   

मेले की तैयारियों की जानकारी लेने के लिए असम की मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल की अध्यक्षता में कामाख्या धाम में एक बैठक भी आयोजित हुई. मुख्यमंत्री ने मेले में देश विदेश से आने वाले धार्मिक पर्यटकों के लिए मेले को आकर्षण का केंद्र बनाने पर बल देते हुए, मेले की सारी तैयारियों का जायजा लिया. मुख्यमंत्री सोनोवाल ने कहा, 'अम्बुवासी मेला केवल राज्य के लिए ही नहीं, देश विदेश से आये लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण मेले के रूप में परिगणित हुआ है और धार्मिक पर्यटक यहां आस्था और विश्वास के साथ ओत प्रोत होते हैं, इसलिए मेले में आये यात्रियों को किसी भी प्रकार की तकलीफ ना हो, इसके लिए हर मुमकिन व्यवस्था प्रशासन हाथ में ले'.

मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने प्रशासन को निर्देश देते हुए कहा, 'मेले में आए धार्मिक पर्यटकों के मन में मेले की यादें साथ ले जाने का मौका मिले, इसके लिए हर जरुरी कदम उठायें'. मुख्यमंत्री के साथ इस दौरान असम की पर्यटन मंत्री चन्दन ब्रह्मा, असम पर्यटन विकास के अध्यक्ष जयंत मल्ला बरुआ, पर्यटन विभाग के प्रधान सचिव राजेश प्रसाद के साथ ही गुवाहाटी कामरूप मेट्रो महानगर पुलिस आयुक्त,  जिलाधीश, मंदिर के दलै समाज और सभी विभागों के शीर्ष अधिकारी मौजूद थे. 

बता दें, हिन्दुओं के 51 शक्ति पीठों में से प्रमुख तंत्र मन्त्र की शक्ति पीठ के रूप में कामरूप कामाख्या मंदिर जानी जाती हैं और ये गुवाहाटी के पश्चिम छोर पर स्थित कामाख्या जंक्शन से केवल 6 किलोमीटर की दूरी पर समुद्री तलहटी से मात्र 800 फ़ीट की ऊंचाई पर नीलाचल पर्वत पर स्तिथ हैं. अम्बुवासी मेले की ये मान्यता हैं कि इस दौरान मां कामाख्या का रक्त स्राव होता है , इसलिए इस दौरान मंदिर का द्वार 3 दिनों तक बंद रखा जाता है. इस बार अम्बुवासी मेला में 25 लाख श्रद्धालुओं की समावेश होने की आस लगाई जा रही है. 

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