जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बल ड्रोन और PTZ कैमरा जैसे उच्च तकनीक वाले उपकरणों का उपयोग आतंकवाद विरोधी संचालन में कर रहे हैं और अब भारतीय सेना के डॉग स्क्वाड के कुत्तों को ऑपरेशन के दौरान GoPro कैमरों से लेस किया जाता है और उन्हें कमांड देने के लिए वॉकी टॉकी इस्तेमाल किए जाते हैं.
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Special Dogs in Indian Army: क्या आप जानते हैं कि जम्मू-कश्मीर में हर आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन में, भारतीय सेना की डॉग स्क्वाड की डॉग टीम इन ऑपरेशनों में पहले रेसपोंडेर होते हैं. इन अभियानों की सफलता ज्यादातर भारतीय सेना की डॉग स्क्वाड यूनिट के उच्च प्रशिक्षित कुत्तों पर निर्भर करती है.
कुछ ऐसे काम करती है डॉग स्क्वाड यूनिट
जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बल ड्रोन और PTZ कैमरा जैसे उच्च तकनीक वाले उपकरणों का उपयोग आतंकवाद विरोधी संचालन में कर रहे हैं और अब भारतीय सेना के डॉग स्क्वाड के कुत्तों को ऑपरेशन के दौरान GoPro कैमरों से लेस किया जाता है और उन्हें कमांड देने के लिए वॉकी टॉकी इस्तेमाल किए जाते हैं. यह आतंक विरोधी ऑपरेशन को सुरक्षित तरीके से अंजाम देने के लिए का एक मुख्य कारणों में से एक साबित हुआ है. यूनिट के कुत्तों को सबसे पहले आतंकी ठिकाने का पता लगाने के लिए भेजा जाता है. इसके साथ यह कुत्ते छुपे आतंकवादियों की संख्या और हथियारों और गोला-बारूद का पता लगाने के लिए आतंकवादी के ठिकानों में चुप चाप पहुंचता है. इन कुत्तों पर लगे कैमरों की निगरानी एक नियंत्रण कक्ष के माध्यम से की जाती है जहां आतंकी ठिकाने की सब हरकत पता चलती हैं. इन कुत्तों को आतंकवादियों द्वारा देखे बिना छुपे आतंकवादियों के स्थान में प्रवेश करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है. कुत्तों को इन ऑपरेशनों के दौरान ना भौंकने के लिए भी प्रशिक्षित किया जाता है.
खास परिस्थितिओं के लिए ट्रेन्ड होते हैं कुत्ते
इस मामले में लेफ्टिनेंट कर्नल, डॉग स्क्वाड इंचार्ज अभय खोखर ने कहा, 'कैमरा फिटेड डॉग्स का इस्तेमाल ज्यादातर हमले और कई अन्य ऑपरेशनों के लिए किया जाता है. आमतौर पर इंसानों के लिए एक जगह तक पहुंचना मुश्किल होता है और हम इन कुत्तों के ऊपर कैमरे फिट करते हैं ताकि वे जगह तक पहुंच सकें. हम ऑपरेशन करने के लिए कैमरों की रिकॉर्डिंग देखते हैं.' अगर इन कुत्तों को छिपे हुए आतंकवादियों द्वारा देखा जाता है तो आतंकियों पर हमला किया जाता है, इसके लिए भी इन कुत्तों को प्रशिक्षित किया जाता है. कुत्ते का हैंडलर हमेशा सतर्कता रखता है ताकि हर स्थिति से निपटा जाए.
खोखर ने बताया कि हमारे कुत्ते सेना के साथ-साथ शहर के क्षेत्रों में नागरिक आबादी के लिए अद्भुत सेवा कर रहे हैं. वे बड़े पैमाने पर आरओपी के समय विस्फोटक पहचान के लिए उपयोग में लाए जाते हैं. किसी भी वीआईपी क्षेत्र, या किसी भी शक वाले क्षेत्रों की सैनिटाइजिंग के लिए भी यह इस्तेमाल होते हैं. साथ ही उन इलाकों की रखवाली भी करते हैं जो असुरक्षित होते हैं. वे सक्रिय रूप से ऑपरेशन में पहले रेसपोंडेरस के रूप में भी उपयोग में लाए जाते हैं.
इन जगहों पर काम आते हैं ये ट्रेन्ड डॉग्स
भारतीय सेना के पास पूरे भारत में कुत्ते की इकाइयों में कुत्तों की विभिन्न नस्लें हैं. इनमें लैब्राडोर्स, जर्मन शेफर्ड, बेल्जियम मालिंसिन और ग्रेट माउंटेन स्विस डॉग शामिल हैं और भारतीय नस्लों के बीच, मुधोल हाउंड इन इकाइयों का भी हिस्सा है. इन कुत्तों का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है, जैसे गार्ड ड्यूटी, गश्त, सूंघने वाले विस्फोटक सहित इंप्रूव्ड एक्सप्लोसिव डिवाइसेस (IEDs), माइन डिटेक्शन, ड्रग्स सहित कंट्राबैंड आइटम सूंघना और लक्ष्य पर हमला करना आदि.
अभय खोखर, के अनुसार हमारे पास भारतीय सेना में सेना के कुत्तों की 8 प्रमुख विशेषताएं हैं, उनका उपयोग विस्फोटक पहचान, विस्फोटक का पता लगाने, खोज ट्रैकिंग, और बचाव कार्यों, हिमस्खलन बचाव मिशन और कई अन्य विशिष्टताओं के लिए किया जाता है, जो आवश्यकता के अनुसार होता है. हम भारतीय सेना की आवश्यकताओं के अनुसार कुत्तों को प्रशिक्षित करते हैं.
इतने साल सेवाएं देते हैं ये कुत्ते
हर भारतीय सेना के कुत्ते के पास दैनिक आधार पर कुत्ते को प्रशिक्षित करने और मार्गदर्शन करने के लिए एक हैंडलर रहता है. सेना के कुत्तों का मुख्य प्रशिक्षण मेरठ में स्थित रिमाउंट और वेटरनरी कॉर्प्स सेंटर और स्कूल में किया जाता है. इन कुत्तों को ट्रेनिंग केंद्र में 9 महीने से अधिक और बाद में जमीन पर तीन महीने तक प्रशिक्षित किया जाता है. सेना कुत्तों के स्वास्थ्य के आधार पर इन कुत्तों को लगभग 7-8 वर्षों तक रखती है. इन कुत्तों को स्वस्थ और सक्रिय रखने के लिए विशेष भोजन और पोषण प्रदान किया जाता है.
खोखर ने बताया कि इन सभी सेना के कुत्तों को मेरठ में आरवीसी केंद्र और कॉलेज में प्रशिक्षित किया जाता है. जहां हमारे पास कुत्ते के प्रशिक्षण के लिए एक उचित सुविधा है. वहां एक कुत्ता प्रशिक्षण संकाय है. ये सभी कुत्ते पैदा होते हैं और प्रशिक्षित होते हैं. प्रशिक्षण में लगभग एक वर्ष का समय लगता है और फिर इन कुत्तों को कुत्ते की इकाइयों में शामिल किया जाता है जो ज्यादातर क्षेत्र में होते हैं. हम उन्हें परिचालन क्षेत्रों में आवश्यकता के अनुसार और जहां वे तैनात किए जाते हैं, उन्हें प्रशिक्षित करते रहते हैं. उन्हें एक संतुलित आहार दिया जा रहा है जिसमें चावल, दूध, मांस की सब्जियां, कुत्ते के बिस्कुट और अन्यपूरक भी शामिल हैं.
भारतीय सेना के पास कुत्तों के लिए उनकी बहादुरी के लिए विशेष पुरस्कार हैं. चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ कमेंडेशन कार्ड, वाइस चीफ ऑफ स्टाफ कमेंडेशन कार्ड और जीओसी इन चीफ कमेंडेशन कार्ड से, इन कुत्तों को विभिन्न कार्यों के दौरान उनके प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया जाता है. भारतीय सेना ने हाल ही में जम्मू और कश्मीर में एक ऑपरेशन में एक्सल नामक एक कुत्ते को खो दिया. उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले में आतंकवादियों द्वारा एक्सल की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. स्वतंत्रता दिवस पर भारत सरकार द्वारा दो वर्षीय एक्सल को वीरता पुरस्कार दिया गया.
अभय खोखर,ने कहा 'एक्सल एक असॉल्ट कुत्ता था, उसे हाल ही में सम्मानित किया गया था. हमारे पास विभिन्न विशिष्टता वाले कुत्ते हैं और वे अपना काम बहुत परिश्रम से करते हैं. हम उनके स्वास्थ्य की बहुत देखभाल करते हैं. प्रशिक्षण हर रोज जारी है. संचालन में बटालियन के साथ तैनात डॉग टीमें बहुत महत्वपूर्ण हैं. हम कुछ कार्यों को करने के लिए कुत्ते की प्राकृतिक शक्तियों का उपयोग करते हैं. कुत्तों के लिए कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है और उनका काम अनुकरणीय है.' भारतीय सेना की देशभर में 27 से अधिक कुत्ते इकाइयां हैं. लगभग 24 कुत्ते एक इकाई का हिस्सा हैं. कुछ कुत्ते आरवीसी केंद्र में पैदा होते हैं और उनमें से कुछ बाहर से लाए जाते हैं. भारतीय सेना सबसे अच्छे का चयन करती है और कई मापदंडों की जांच करने के बाद उन्हें प्रशिक्षित करती है जैसे कि कुत्ते पर्यावरण आदि के लिए अनुकूल हैं.
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