यूपी में इस बार बढ़े मुस्लिम विधायक, फिर भी बसपा-कांग्रेस के हाथ क्यों खाली?
Advertisement
trendingNow11122433

यूपी में इस बार बढ़े मुस्लिम विधायक, फिर भी बसपा-कांग्रेस के हाथ क्यों खाली?

उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में बीजेपी ने पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की है. लेकिन इस चुनाव में पहले से ज्यादा मुस्लिम उम्मीदवारों को जीत मिली है और विधान सभा में 34 मुस्लिम विधायक पहुंच रहे हैं.  

यूपी में जीते 34 मुस्लिम उम्मीदवार

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधान सभा में इस बार मुस्लिम उम्मीदवारों की संख्या पिछली बार के मुकाबले थोड़ी बढ़ गई है. पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार 10 मुस्लिम प्रत्याशी ज्यादा जीते और जीतने वाले मुस्लिम प्रत्याशियों की कुल संख्या 34 है. सभी चुने गये विधायक समाजवादी पार्टी गठबंधन के हैं. पिछले विधान सभा चुनाव में 24 मुस्लिम विधायक सदन में जीत कर आए थे.

  1. यूपी में इस बार जीते 34 मुस्लिम प्रत्याशी
  2. सपा और RLD के खाते में आई जीत
  3. AIMIM का हर चुनावी दांव रहा फेल

पश्चिमी यूपी में जीते ये विधायक

निर्वाचन आयोग की वेबसाइट के मुताबिक इस बार सपा से जीतने वाले विधायकों में अमरोहा से महबूब अली, बहेड़ी से अता उर रहमान, बेहट से उमर अली खान, भदोही से जाहिद, भोजीपुरा से शहजिल इस्लाम, बिलारी से मो. फहीम, चमरौआ से नसीर अहमद, गोपालपुर से नफीस अहमद, इसौली से मो. ताहिर खान शामिल हैं.

वहीं, कैराना से नाहिद हसन, कानपुर कैंट से मो. हसन, कांठ से कमाल अख्तर, किठौर से शाहिद मंजूर, कुंदरकी से जिया उर रहमान, लखनऊ पश्चिम से अरमान खान, मटेरा से मारिया, मेरठ से रफीक अंसारी, मोहमदाबाद से सुहेब उर्फ मन्नू अंसारी, मुरादाबाद ग्रामीण से मो. नासिर सपा की टिकट पर चुनाव जीते.

आजम खान को मिली जीत

इसके अलावा, नजीबाबाद से तस्लीम अहमद, निजामाबाद से आलम बदी, पटियाली से नादिरा सुल्तान, राम नगर से फरीद महफूज किदवई, रामपुर से मो. आजम खान, संभल से इकबाल महमूद, सिंकदरपुर से जिया उद्दीन रिजवी, सीसामऊ से हाजी इरफान सोलंकी, स्वार से मो. अब्दुल्ला आजम, ठाकुरद्वारा से नवाब जान, डुमरियागंज से सैय्यदा खातून, सहारनपुर से आशु मलिक भी सपा से विधायक चुने गए हैं.

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) से माफिया मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी मऊ सीट से जीतकर विधान सभा पहुंचे हैं. वहीं, राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के टिकट पर सिवालखास से गुलाम मोहम्मद और थानाभवन सीट से अशरफ अली चुनाव जीत कर विधायक बने हैं.

बसपा-कांग्रेस के हाथ खाली

इसके अलावा, बहुजन समाज पार्टी (बसपा), कांग्रेस और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने भी काफी संख्या में मुस्लिम उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा था, लेकिन एक भी उम्मीदवार जीतने में कामयाब नहीं रहा.

बीजेपी नेतृत्व वाले गठबंधन की सहयोगी पार्टी अपना दल (सुहेलदेव) ने स्वार सीट से हैदर अली खान को चुनाव मैदान में उतारा था, लेकिन उन्हें सपा नेता आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम ने करीब 61 हजार वोट से शिकस्त दी.

सिर्फ मुस्लिम वोट नहीं जिता सकता

पिछली बार से इस बार ज्यादा मुस्लिम प्रत्याशियों के जीतने के सवाल पर राजनीतिक विश्लेषक राजेंद्र द्विवेदी बताते हैं, ‘जिस पार्टी का आधार वोट बैंक मजबूत होता है, उसी पार्टी का मुस्लिम प्रत्याशी चुनाव में जीतता है.’ उन्होंने कहा, ‘कोई भी मुस्लिम प्रत्याशी केवल मुस्लिम मतदाताओं के वोट के सहारे नहीं जीत सकता, बल्कि उसे पार्टी का आधार वोट बैंक भी चाहिए. जैसे सपा का आधार वोट बैंक यादव है. अगर किसी मुस्लिम बाहुल्य सीट पर प्रत्याशी को यादव वोट भी मिल जाए तो वह मुस्लिम-यादव गठजोड़ से चुनाव जीत जाता है.’

यह पूछे जाने पर कि बसपा और कांग्रेस ने भी मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में उतारे थे तो वह क्यों नहीं जीत पाए. इस पर, द्विवेदी ने कहा कि बसपा के साथ इस चुनाव में केवल बहुत कम दलित वोट थे और बसपा के मुस्लिम प्रत्याशी जीताऊ उम्मीदवार नहीं थे इसलिए उन्होंने बसपा को वोट नहीं दिया. दूसरे, इस बार मुस्लिमों ने एकजुट होकर केवल सपा को वोट दिया क्योंकि उन्हें लगता था कि अगर भाजपा को हराना है तो उसका मुकाबला केवल सपा ही कर सकती है.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी की बात करें तो उसका अपना कोई वोट बैंक ही नहीं है तो उसके मुस्लिम उम्मीदवार के जीतने की कोई उम्मीद ही नहीं थी.

AIMIM क्यों रह गई फिसड्डी?

मुसलमानों का रहनुमा होने का दावा करने वाली एआईएमआईएम के उम्मीदवारों के चुनाव में बुरी तरह से नाकामयाब होने के सवाल पर ‘जदीद मरकज’ अखबार के संपादक हिसाम सिद्दीकी ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश के मुसलमानों को यह अच्छी तरह से मालूम है कि सिर्फ मुस्लिम वोट के सहारे कोई भी चुनाव नहीं जीत सकता, इसलिए वे AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी की बातों में नहीं आए और उनकी पार्टी के उम्मीदवारों को बिल्कुल नजरअंदाज कर दिया.’

सिद्दीकी ने कहा कि मुसलमान उनकी चुनावी रैलियों में खूब जमा हुए लेकिन यह भीड़ वोट में तब्दील नहीं हो पाई, जिसका नतीजा है कि उत्तर प्रदेश में इस बार के विधान सभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी को केवल 0.49 प्रतिशत ही वोट मिला है.

LIVE TV

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news