जो लोग आज सेना की अभिव्यक्ति को छीनने का प्रयास कर रहे हैं ये लोग उसी सबूत गैंग का हिस्सा हैं जिसने सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगे थे और बालाकोट में हुई एयरस्ट्राइक के भी सबूत मांगे थे .
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हमारे देश में राजनीति का स्तर अब हर रोज़ गिर रहा है . कल हमने आपको दिखाया था कि किस प्रकार टुकड़े-टुकड़े गैंग सोशल मीडिया पर Zee News को निशाना बना रहा है. आज उसी गैंग ने देश की सेना पर अपनी राष्ट्रविरोधी विचारों वाली बंदूक तान दी है. ये सोशल मीडिया की Troll Army है जो Real Army यानी असली सेना के खिलाफ दुष्प्रचार की कोशिश कर रही है.
इस कोशिश में ये Troll Army लगातार विचारों की घुसपैठ कर रही है. और नैतिकता की सीमाओं का उल्लंघन कर रही है. ये टुकड़े टुकड़े गैंग की अनैतिक परंपरा का एक और अध्याय है. जो लोग आज सेना की अभिव्यक्ति को छीनने का प्रयास कर रहे हैं ये लोग उसी सबूत गैंग का हिस्सा हैं जिसने सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगे थे और बालाकोट में हुई एयरस्ट्राइक के भी सबूत मांगे थे .
आज सेनाध्यक्ष जेनरल बिपिन रावत ने कहा कि नेता वो होते हैं जो सही दिशा में लोगों का नेतृत्व करते हैं...लेकिन जिस तरह से लोग कॉलेज और यूनिवर्सिटी में हिंसक विरोध प्रदर्शन करवा रहे हैं उसे सही मायने में नेतृत्व नहीं कहा जा सकता है .
इस बयान के बाद टुकड़े टुकड़े गैंग और इसका समर्थन करने वाले नेता अब जनरल बिपिन रावत पर सियासी पत्थरबाजी कर रहे हैं. एक तरफ तो हमारे देश का टुकड़े-टुकड़े गैंग नागरिकता कानून के विरोध में हो रहे हिंसक प्रदर्शन को अभिव्यक्ति की आजादी मानता है. लेकिन देश के 135 करोड़ लोगों की सुरक्षा
करने वाली सेना अगर शांति संदेश भी दे तो टुकड़े-टुकड़े गैंग उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक लगाने की कोशिश करता है. इसलिए आज हम देश के असली नायक यानी सेना के खिलाफ हो रहे इस षडयंत्र का एक विश्लेषण करेंगे.
सबसे पहले आप समझिए कि भारतीय सेना... देश के लिए क्या क्या करती है . यही सेना है जो देश के किसी हिस्से में बाढ़ आने पर मदद करती है... जम्मू-कश्मीर में अगर बर्फबारी में लोग फंसते हैं तो उनकी जान बचाती है, भूकंप होने पर राहत का काम करती है, सियाचिन से लेकर लद्दाख तक माइनस 50 डिग्री के जमा देने वाले ठंड में भी सीमाओं की रक्षा करती है और
आतंकवादियों से लड़ते लड़ते शहीद भी हो जाती है. सेना अपनी जिम्मेदारियों के अलावा ऐसे काम इसलिए करती है ताकि आपकी जिंदगी सुरक्षित रहे. लेकिन अगर हमारी सेना के अध्यक्ष देश में हो रहे हिंसक प्रदर्शन पर अभिव्यक्ति की आजादी का इस्तेमाल करें तो राष्ट्रविरोधी विचारधारा रखने वालों को समस्या होने लगती है. सबसे पहले आप जनरल बिपिन रावत की बातें सुनिए और फिर ये सोचिए कि ऐसे बयानों से कुछ खास नेताओं को दिक्कत क्यों हो रही है.
हमारे देश के लोकतंत्र में सभी को विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार दिया गया है लेकिन हिंसा करने की छूट नहीं दी गई है. और आज सेनाध्यक्ष ने हिंसा और छात्रों के नेतृत्व पर सवाल उठाया है. जो छात्र नागरिकता कानून पर सरकार से सवाल पूछ रहे हैं उन्हें प्रदर्शन के दौरान अपने नेता से भी सवाल पूछने चाहिए क्योंकि उनका नेतृत्व ही उनको गलत दिशा में ले जा रहा है.
सेनाध्यक्ष ने आज देश के भविष्य यानी छात्रों को सही रास्ते पर ले जाने वाले नेतृत्व को चुनने का संदेश दिया. हमारे देश के कुछ डिज़ाइनर नेताओं को, सेना प्रमुख का कड़ा संदेश अच्छा नहीं लग रहा है. ऐसे नेता अब Active हो गए हैं जो देश को ये बताने की कोशिश कर रहे हैं, कि सेना प्रमुख को ऐसा बयान नहीं देना चाहिए था.
आप खुद सोचिए कि क्या सेनाध्यक्ष ने कोई राजनैतिक टिप्पणीं की है?... उन्होंने ना तो नागरिकता कानून और ना ही NRC पर कोई बात कही है ... उन्होंने सिर्फ सही और गलत नेतृत्व में अंतर बताया है. और ऐसा करते हुए उन्होंने देश के या फिर भारतीय सेना के किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया है.
आर्मी एक्ट 21 के मुताबिक सेनाध्यक्ष समेत कोई भी सैनिक या अधिकारी... सेवा के दौरान किसी राजनीतिक पार्टी के कार्यक्रम में हिस्सा नहीं ले सकता है. और किसी भी ट्रेड यूनियन का हिस्सा नहीं बन सकता है.
शालीन भाषा में सेनाध्यक्ष द्वारा कही गई ये बातें, भारत के कुछ बुद्धिजीवियों, टुकड़े-टुकड़े गैंग के समर्थकों, डिज़ाइनर पत्रकारों और डिज़ाइनर नेताओं को अच्छी नहीं लगी. और इसलिए आज सोशल मीडिया पर दिन भर इस बयान की चर्चा होती रही.
ये एक विडंबना ही है, कि अब सेना प्रमुख की बातों का भी 'राजनीतिकरण' किया जा रहा है. लेकिन ये कोई पहला मौका नहीं है जब सेनाध्यक्ष को निशाना बनाया गया है. सितंबर 2018 में मैंने सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत का एक इंटरव्यू किया था. और उस इंटरव्यू में सेनाध्यक्ष ने उनको निशाना बनाने वालों को एक जवाब दिया था. इसे आप सेनाध्यक्ष पर सवाल उठाने वाले गैंग को दिया गया जवाब भी कह सकते हैं.
सेना के चार्टर के मुताबिक, जब भी देश में अशांति हो और देश के किसी हिस्से में प्रशासन को जरूरत पड़े तो उनकी मदद करना भी सेना का प्रमुख दायित्व है. और इन परिस्थितियों में काम करने के लिए सेना प्रमुख के 10 Commandments नामक नियम हैं... जो सैनिकों और अधिकारियों को तब ध्यान में रखने होते हैं जब वो किसी बाहरी दुश्मन से नहीं... बल्कि अपने ही देश में होने वाली हिंसा या अशांति से लड़ने के लिए तैनात किए जाते हैं. तब सेना प्रमुख के 10 नियम सबसे मुश्किल हालात में भी सेना को सही रास्ता दिखाते हैं.
इनमें से 10वां नियम सबसे महत्वपूर्ण है- ये नियम है सिर्फ ईश्वर से डरो और हमेशा धर्म का पालन करो, लेकिन यहां धर्म का अर्थ है नैतिक रास्ते पर यानी सच्चाई के रास्ते पर चलना .
भारतीय सेना बहुत लंबे अरसे से जम्मू कश्मीर और नॉर्थ ईस्ट में आतंकवाद का सामना कर रही है. आप अक्सर देखते होंगे कि जम्मू कश्मीर में सेना की गाड़ियों पर पत्थर बरसाये जा रहे हैं लेकिन सेना बर्दाश्त कर रही है. आपने ऐसे वीडियो भी देखे होंगे जब सेना के घेरे में आए आतंकवादी से भी सेना हथियार डालने की अपील कर रही है... ये सब इसलिए किया जाता है ताकि
सेना को किसी भारतीय नौजवान का खून ना बहाना पड़े . जनरल रावत ने आज देश के युवाओं को यही सीख दी है कि वो सच के रास्ते पर चलें... हिंसा ना करें ताकि सुरक्षाबलों को भविष्य में कभी उनके ऊपर बल प्रयोग करने के लिए मजबूर ना होना पड़े .
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