भारतीय छात्रों (Indian Students) ने यूक्रेन के सुरक्षाकर्मियों (Ukrainian Security Personnels) की पोल खोल दी. भारतीय छात्रों ने बताया कि यूक्रेनी सुरक्षाकर्मी उन्हें ट्रेन (Train) में नहीं चढ़ने दे रहे और उनकी पिटाई कर रहे हैं.
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नई दिल्ली: कीव रेलवे स्टेशन (Kyiv Railway Station) पर पहुंचने में सफल रहे एक भारतीय छात्र ने सोमवार को कहा कि यूक्रेन (Ukraine) के सुरक्षाकर्मी छात्रों को रेलगाड़ियों में चढ़ने नहीं दे रहे हैं और लोगों की पिटाई भी कर रहे हैं. इस छात्र ने भारतीय दूतावास (Indian Embassy) से अपील की कि वह भारतीय छात्रों को जल्द से जल्द यूक्रेन से निकालें. छात्र अंश पंडिता ने पीटीआई-भाषा से कहा, 'हमारे लिए यहां रहना मुश्किल हो रहा है.'
अंश पंडिता ने यह बात तब कही जब बड़ी संख्या में भारतीय छात्र, जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं, कीव (Kyiv) में भीड़भाड़ वाले वोकजल रेलवे स्टेशन पर एक साथ बैठे दिखे. वे एक बड़ा तिरंगा पकड़े हुए थे ताकि उन्हें भीड़ में पहचाना जा सके और समूह से कोई भी भारतीय (Indians) बिछड़ न जाए. करीब 100 छात्रों का समूह स्टेशन पहुंचने में कामयाब रहा लेकिन कोई ट्रेन (Train) में नहीं चढ़ सका.
कीव (Kyiv) में तारास शेवचेंको राष्ट्रीय चिकित्सा विश्वविद्यालय के छात्र पंडिता ने स्टेशन से फोन पर कहा, ‘यूक्रेनी सैनिक (Ukrainian Soldiers) हमें हंगरी के लिए ट्रेन में नहीं चढ़ने दे रहे हैं. वास्तव में वे किसी भी अंतरराष्ट्रीय निवासी को बाहर नहीं निकलने दे रहे हैं.’ उन्होंने कहा, 'हमने उनसे अनुरोध किया कि कम से कम लड़कियों को जाने की अनुमति दें लेकिन वह अनुरोध भी अनसुना कर दिया गया.'
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इससे पहले सुबह के समय यूक्रेन स्थित भारतीय दूतावास (Indian Embassy) ने कीव में फंसे सभी भारतीय छात्रों (Indian Students) को स्टेशन पहुंचने की सलाह दी ताकि वे सीमावर्ती देशों (Border Countries) में पहुंच सकें और फिर घर जा सकें. पंडिता ने कहा, 'आखिरकार, हम रेलवे स्टेशन पर आ गए. भारतीय दूतावास ने हमें यहां जल्दी आने को कहा. यूक्रेन (Ukraine) के सुरक्षाकर्मी किसी को सवार नहीं होने दे रहे हैं. लोगों को पीटा जा रहा है. यह जगह बहुत भीड़भाड़ वाली है. लोग डरे हुए हैं. हम अपने झंडे के साथ बैठे हैं.'
छात्रों ने एक वीडियो अपील (Video Appeal) भी जारी की. गाजियाबाद में रहने वाले पंडिता ने वीडियो में कहा, 'भारतीय दूतावास हम आपसे जल्द से जल्द हमें निकालने का अनुरोध करते हैं.' 20 वर्षीय पंडिता, जिनकी जुड़वा बहन आशना भी यूक्रेन (Ukraine) में पढ़ती है, ने कहा कि घर पर परिवार तनाव में है और घर के लोग उनका बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.
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घर पर परिवार और दोस्तों को भेजे गए वीडियो में आशना ने बंद दरवाजों और बंद खिड़कियों वाली ट्रेन (Train) दिखाई. उन्होंने कहा, 'इस ट्रेन में हमें अंदर नहीं जाने दिया गया. उन्होंने हमारे चेहरे पर दरवाजा बंद कर दिया और हमें बाहर धकेल दिया. हम सब यहां इंतजार कर रहे हैं.'
(इनपुट - भाषा)
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