Monsoon Session: सांसदों के निलंबन पर बीजेपी सांसद पीयूष गोयल ने कहा कि राज्यसभा से विपक्षी सांसदों को निलंबित करने का निर्णय भारी मन से लिया गया. वे सभापति की अपीलों की अनदेखी करते रहे.
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Suspended MPs: राज्यसभा में विपक्ष के 19 सांसदों को मंगलवार को एक हफ्ते के लिए सदन की कार्यवाही से सस्पेंड कर दिया गया. सांसदों के निलंबन पर बीजेपी नेता पीयूष गोयल ने कहा कि राज्यसभा से विपक्षी सांसदों को निलंबित करने का निर्णय भारी मन से लिया गया. वे सभापति की अपीलों की अनदेखी करते रहे. राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के ठीक होने और संसद में लौटने के बाद सरकार महंगाई पर बहस के लिए तैयार है. इन 19 सांसदों से पहले लोकसभा में कांग्रेस के 4 सांसदों को संस्पेंड किया गया था.
इस कार्रवाई के बाद किसी के भी जहन में सवाल आ सकता है कि विपक्षी सांसदों को ही क्यों निलंबित किया जाता है. क्या सस्पेंशन में उन्हें सैलरी मिलती है. आपके इन सवालों का जवाब हम आपको यहां दे रहे हैं.
संविधान के आर्टिकल 105 (2) के तहत भारत में संसद में किए गए किसी भी व्यवहार के लिए कोई सांसद किसी कोर्ट के प्रति उत्तरदायी नहीं होता है. यानी सदन में कही गई किसी भी बात को कोर्ट में चुनौती नहीं दी सकती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि सांसदों को संसद में कुछ भी करने की छूट मिली है.
सांसद जो कुछ भी कहता है वो राज्यसभा और लोकसभा की रूल बुक से कंट्रोल होता है. इस पर सिर्फ लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा के सभापति ही कार्रवाई कर सकते हैं. यही वजह है कि लोकसभा स्पीकर ने सोमवार को कांग्रेस के 4 सांसदों को मानसून सत्र की शेष अवधि तक के लिए और मंगलवार को राज्यसभा के 19 सांसदों को एक हफ्ते के लिए सस्पेंड कर दिया गया.
लोकसभा की रूल बुक के मुताबिक, सदन को चलाने की जिम्मेदारी स्पीकर की होती है. आमतौर पर सरकार की नीति या किसी कानून के खिलाफ विपक्षी सांसद ही विरोध करते हैं. ऐसे हालत में अगर विरोध में कहे गए किसी कमेंट, व्यवाह या ऐसी चीज जिसे स्पीकर अभद्र मानता है तो स्पीकर उस सांसद को निलंबित कर सकता है. इसी तरह राज्यसभा के सभापति भी रूल बुक के हिसाब से सांसदों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं.
देखा जाए तो ज्यादातर मामलों में विपक्षी सांसदों ही सरकार की नीतियों का विरोध करते हैं. ऐसे में उनपर ही एक्शन का चांस बनता है. संसद के दोनों सदन में हंगामा और कमेंट करने या किसी कार्य में बाधा डालने वाले सांसदों को सस्पेंड किया जा सकता है. अगर लोकसभा स्पीकर को ऐसा लगता है कि कोई सांसद लगातार सदन की कार्यवाही को बाधित कर रहा है तो वह उसे उस दिन के लिए सदन से बाहर कर सकता है, या बाकी बचे पूरे सेशन के लिए भी सस्पेंड कर सकते हैं. स्पीकर रूल 374 और 374 ए के तहत भी कार्रवाई कर सकते हैं.
राज्यसभा में सांसद कैसे निलंबित होते हैं?
लोकसभा स्पीकर की तरह राज्यसभा के सभापति की भी अपनी रूल बुक है. रूल 255 के तहत सभापति किसी भी सदस्य को जिसका व्यवहार सदन के लिए खराब हो और वह जानबूझकर कार्यवाही में बाधा डाल रहा हो, वे उसे तुरंत बाहर जाने के लिए कह सकते हैं.
वहीं रूल 256 के तहत सभापति उस सांसद का नाम दे सकता है जिसने जानबूझकर नियमों की अनदेखी की हो. ऐसी स्थिति में सदन उस सांसद को सस्पेंड करने के लिए एक प्रस्ताव ला सकता है. यह निलंबन चालू सत्र तक के लिए हो सकता है. सदन दूसरे प्रस्ताव के जरिए सांसद के सस्पेंशन को खत्म कर सकता है. निलंबित सांसदों को पूरा वेतन मिलता है. केंद्र में लगातार सरकारों द्वारा ‘काम नहीं, वेतन नहीं’ की नीति दशकों से विचाराधीन है. हालांकि इसे अभी तक पेश नहीं किया गया है.
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