Aligarh Christ church: उत्तर भारत का सबसे पुराना चर्च अलीगढ़ में है. अलीगढ़ के नकवी पार्क में बने चर्च का निर्माण 19वीं शताब्दी में हुआ था. यह चर्च अलीगढ़ के एक प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है और इसका ऐतिहासिक महत्व भी बहुत अधिक है.
Trending Photos
Christmas 2024: क्रिसमस के स्वागत के लिए तैयारियां शुरू हो गई है. लोग इशु के आगमन का इंतजार कर रहे हैं.आज हम आपको यूपी के अलीगढ़ के एक ऐसे चर्च के बारे में बताने जा रहे हैं जो देश के सबसे पुराने और शानदार चर्च में आता है.हर साल क्रिसमस यहां शानदार तरीके से मनाया जाता है.
19वीं शताब्दी में चर्च का निर्माण
अलीगढ़ के नकवी पार्क में बने चर्च का निर्माण 19वीं शताब्दी में हुआ था. यह चर्च अलीगढ़ के एक प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है और इसका ऐतिहासिक महत्व भी बहुत अधिक है. इस चर्च का निर्माण ब्रिटिश सरकार द्वारा करवाया गया था, जब अलीगढ़ में ब्रिटिश साम्राज्य का शासन था. चर्च का डिज़ाइन एक पारंपरिक ईसाई चर्च की तरह है, जिसमें एक बड़ा हॉल, एक अल्टार और एक घंटाघर है.
बिशप विल्सन ने बनवाया था चर्च
नकवी पार्क स्थित क्राइस्ट चर्च को देश में इंग्लैंड से आए बिशप विल्सन ने बनवाया था. यह उत्तर भारत में सबसे पुराना चर्चों में शुमार है. एएमयू सर्किल के निकट इस चर्च के 100 मीटर की दूरी तक हरियाली व खुला आसमान है. नकवी पार्क इसकी खूबसूरती में चार चांद लगता है. चर्च के निर्माण में भले ही फ्रांस आर्किटेक्ट का पुट है, लेकिन क्रॉस के पास प्रभु यीशु उनकी मां मरियम व उनके तीन परम शिष्यों की तस्वीर श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है. ये रंगीन ग्लास 182 साल बाद भी इस चर्च की खूबसूरती में चार चांद लगा रहा है. चर्च के निर्माण में पत्थर, ईंटें और लकड़ी शामिल हैं. चर्च की दीवारों पर ईसाई धर्म से जुड़े चित्र और मूर्तियाँ लगी हुई हैं.
शहर का पहला चर्च
बिशप विल्सन ने इस चर्च का निर्माण कराया था. क्रिश्चियन प्रोफेसर यहां आते थे. विदेशी छात्र-छात्राओं का तो 25 साल पहले तक बड़ा जमावड़ा रहता था. यह शहर का पहला चर्च है, जहां हर रविवार को अंग्रेजी में प्रार्थना होती है.
अलीगढ़ में कितने चर्च
अलीगढ़ में कुल आठ चर्च हैं. इनमें ऐतिहासिक चर्च चार ही हैं, जिनमें से केवल क्राइस्ट चर्च में ही इंग्लैंड फादर हुआ करते थे. वे देश के आजाद होने के 13 साल (वर्ष1960) तक यहां रहे. इसी चर्च में फ्रांस और अंग्रेजी फौज के जवान प्रार्थना करते थे. वो दौर मराठा शासन का था.
एएमयू संस्थापक को लगाव
एएमयू संस्थापक सर सैयद का इससे विशेष लगाव था. सर सैयद अहमद खां अंग्रेज अफसरों से यहीं मुलाकात करते थे. इसमें प्रोफेसर अंग्रेज भी थे, जो चर्च में आते रहते थे. एएमयू के 13 वें कुलपति नवाब अली यावर जंग (1965- 68) भी यहां प्रार्थना के लिए आते थे.
मदर टेरेसा आईं थीं अलीगढ़
1982 में मदर टेरेसा अलीगढ़ आईं थीं. तब वह शहर के जमालपुर स्थित अनाथालय में रुकीं थी. चर्च के फादर ने चर्च आने के लिए न्योता भेजा था. चर्च का इतिहास सुनकर मदर टेरेसा ने काफी तारीफ की, लेकिन व्यस्तता के चलते चर्च नहीं आ सकीं.
डिस्क्लेमर
लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि स्वयं करें. एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.