तीर्थ पुरोहित श्रीनिवास पोस्तीए ने बताया कि 26 अप्रैल को डोली ओकांरेश्वर से वाहन के जरिए गौरीकुंड लाई जाएगी. जहां से आगे डोली को पैदल ले जाया जाएगा. डोली 27 मार्च को लिनचैली पहुंचेगी और 28 को केदारनाथ धाम पहुंचेगी.
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रुद्रप्रयाग: कोरोना के बढ़ते संक्रमण और देश में जारी लॉकडाउन का असर केदारनाथ यात्रा पर भी पड़ा है. ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग भगवान केदारनाथ के कपाट 29 अप्रैल को सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर खुलेंगे, लेकिन इस बार श्रद्धालु मौजूद नहीं होंगे. ऐसा केदारनाथ यात्रा के इतिहास में तीसरी बार होगा, जब बाबा केदार की डोली भी गाड़ी से ले जाई जाएगी.
तीर्थ पुरोहित श्रीनिवास पोस्तीए ने बताया कि 26 अप्रैल को डोली ओकांरेश्वर से वाहन के जरिए गौरीकुंड लाई जाएगी. जहां से आगे डोली को पैदल ले जाया जाएगा. डोली 27 मार्च को लिनचैली पहुंचेगी और 28 को केदारनाथ धाम पहुंचेगी.
लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए इस बार डोली के बाहर निकालने पर मुख्य लोग ही मौजूद रहेंगे. जबकि डोली के साथ 16 लोग ही जा पाएंगे. इस बार डोली यात्रा पड़ावों पर नहीं रूकेगी.
1977 में दो बार वाहन से डोली गौरीकुंड तक लाई गई
तीर्थ पुरोहित ने बताया कि 1977 में दो बार आपातकाल के समय ऐसे हालात पैदा हुए कि बाबा केदार की डोली को वाहन से शीतकालीन गद्दीस्थल से बाहर निकालकर सीधे गौरीकुंड ले जाया गया और वापसी में भी डोली को गौरीकुंड से ऊखीमठ वाहन में ही लाया गया. इसके बाद तत्कालीन विधायक प्रताप सिंह पुष्पवाण ने इसका विरोध किया और डोली को पुनः पैदल ले जाने की परम्परा शुरू की गई. यह तीसरी बार है जब केदार बाबा की डोली वाहन से जायेगी.