गिलोय एक प्रकार का जंगली झांड होता है. जो भारत के सभी राज्यों में असानी से मिल जाता है. ऋृषी-मुनियों के समय से ही गिलोय का इस्तेमाल भारत में औषधी के रूप में किया जाता रहा है. भारत में कोविड-19 की लहर आने के बाद गिलोय का उपयोग ग्रामीण क्षेत्र से लेकर शहरी इलाके में काफी ज्यादा होने लगा है.
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नई दिल्ली: कोरोना वायरस की दूसरी लहर भारत में आ चुकी है. कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रह है. ऐसे में आपको अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत रखने की जरूरत है. रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में गिलोय (Tinospora Cordifolia) अहम भूमिका निभाता है. इसलिए आज हम आपको गिलोय के फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं.
गिलोय क्या है?
गिलोय एक प्रकार का जंगली झांड होता है. जो भारत के सभी राज्यों में असानी से मिल जाता है. ऋृषी-मुनियों के समय से ही गिलोय का इस्तेमाल भारत में औषधी के रूप में किया जाता रहा है. भारत में कोविड-19 की लहर आने के बाद गिलोय का उपयोग ग्रामीण क्षेत्र से लेकर शहरी इलाके में काफी ज्यादा होने लगा है.
गिलोय की पहचान कैसे करें?
गिलोय की पहचान वर्तमान समय में भी अधिकांश लोग अच्छे से नहीं कर पाते हैं. गिलोय की पत्तियां पान के पत्तों की तरह होता है. पान के पत्तों और गिलोय के पत्तियों में रंग का फर्क होता है. गिलोय की पत्तियों का रंग ज्यादा गाढ़ा होता है. यह ज्यादातर जंगली इलाकों में पाया जाता है.
गिलोय के पांच फायदे ..
इम्युनिटी को करता है बूस्ट
गिलोय को इम्युनिटी बूस्टर भी कहा जाता है. यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करता है. वायरस से होने वाली बीमारियों में आपके शरीर की रक्षा करता है. इसमें पाएं जाने वाले औषधीय गुण आपको सर्दी-जुकाम से भी बचाते हैं. अगर आपको सर्दी-जुकाम हो गया है तो आप तुलसी के पत्तों के साथ गिलोय के डंठल को पानी के साथ किसी बर्तन में गर्म कर लें. ऐसा करने से सर्दी-खांसी में आराम मिलता है.
डेंगू से करता है रक्षा
कोरोना से पहले गिलोय का उपयोग डेंगू के मरीज किया करते थे. डेंगू के दौरान रोगी का शरीर तपने लगता है. गिलोय में मौजूद एंटीपायरेटिक तत्व बुखार के मरीज के लिए काफी लाभदायक होते हैं. साथ ही इम्युनिटी को बुस्ट भी करता है. जिससे डेंगू के मरीज को जल्दी ही आराम मिल जाता है. डेंगू के मरीज पहले गिलोय के हरे तने को पहले काट लें. इसके बाद उसको अच्छे से धो लें और किसी बर्तन में तने को तबतक उबाले जबतक पानी का रंग हरा नहीं हो जाए. इसके बाद कप में पानी को छान लें. फिर इसका सेवन करें.
पीलिया के रोगियों के लिए है फायदेमंद
पीलिया (Jaundice) के रोगियों के लिए गिलोय काफी फायदेमंद साबित हो सकता है. पिलिया से परेशान लोगों को गिलोय के पत्तों का रस पिलाने से आराम मिलता है. गिलोय के सेवन से पीलिया में होने वाले बुखार और दर्द से भी आराम मिलता है. पालिया के मरीज सबसे पहले गिलोय की पत्तियों का तोड़ लें. इसके बाद मिक्सर में पत्तियों को अच्छे से पीसे लें. इसके बाद उसका सेवन करें.
अस्थमा के रोगियों के लिए है वरदान
गिलोय में भारी मात्रा में एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व पाएं जाते हैं. एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व सांसों से संबंधित समस्याओं में राहत दिलाता है. गिलोय अनचाहे कफ पर लगाम लगाने का काम करता है. साथ ही फेंफड़े को साफ रखने में भी सहायक होता है. फेंफड़े को स्वस्थ रखने का काम करता है. इसलिए अस्थमा के रोगियों को गिलोय के सुखे डंठल का इस्तेमाल करना चाहिए.
खून की कमी को करता है दूर
गिलोय में ग्लूकोसाइड और टीनोस्पोरिन, पामेरिन एवं टीनोस्पोरिक एसिड भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं. यह गुण शरीर में खून की कमी को दूर करने में सहायक होते हैं. इसलिए एनीमिया के रोगियों को गिलोय का सेवन लगातार करते रहना चाहिए. गिलोय का रस शरीर में टीनोस्पोरिक एसिड की कमी को पूरा करता है. इसलिए आपको गिलोय के हरे डंठल को जूसर में पिस कर सेवन करना चाहिए.
बता दें कि गिलोय का नियमित रूप से सेवन करने से आप कोरोना वायरस के कहर से भी खुद की रक्षा कर सकते हैं. गिलोय ग्रामीण इलाकों में आसानी से मिल जाता है. बस आपको इसके डंठल को काटना होगा. इसके बाद डंठल के उपरी परत को हटा दें. इसके बाद सिलवट पर गिलोय के डंठल को पिस लें. फिर उसको पानी के साथ गर्म करें. जब पानी का रंग हरा हो जाए. उसको छान लें. फिर उसका सेवन करें. गिलोय का स्वाद काफी कड़वा होता है. लेकिन पेट में जाने के बाद यह आपको काफी एक्टिव कर देता है.
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