यूपी में फिल्मसिटी भोजपुरी इंडस्ट्री के लिए वरदान साबित होगी. फिल्मसिटी बनने से न सिर्फ स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे बल्कि फिल्मों का बजट भी काफी कम हो जाएगा.
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लखनऊ: सीएम योगी आदित्यनाथ की ओर से उत्तर प्रदेश में फिल्म सिटी बनाने के ऐलान के बाद से भोजपुरी इंडस्ट्री को उड़ान मिलने की संभावना नजर आ रही है. भोजपुरी फिल्मों की दुनिया में काम कर रहे बिहार और पूर्वांचल के तमाम कलाकरों और निर्माताओं में उम्मीदें जगने लगी हैं. यूपी बिहार और झारखंड समेत सभी हिन्दी राज्यों में भोजपुरी सिनेमा का खास क्रेज है. उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में भोजपुरी फिल्में बनती हैं. स्टूडियो से लेकर तमाम तकनीकी काम के लिए यहां के निर्माताओं को मुंबई पर निर्भर रहना पड़ता है. लिहाजा भोजपुरी फिल्म निर्माताओं की फिल्म का बजट भी बढ़ जाता है. अगर नोएडा में फिल्मसिटी बन गई तो फिल्म निर्माताओं की दिकक्तें खत्म हो जाएंगी और बजट भी घट जाएगा.
भोजपुरी इंडस्ट्री को मिलेगा सपोर्ट
आपको बता दें कि तकरीबन 70 फीसदी भोजपुरी फिल्मों की शूटिंग यूपी में हो रही है. यूपी में फिल्मसिटी बनने से इंडस्ट्री को अच्छा सपोर्ट मिल जाएगा. अभी मुबंई में लोकेशन के लिए काफी पैसा खर्च करना पड़ता है. फिल्मसिटी में जेल, होटल, अस्पताल सब एक जगह मिल जाएंगे. एक छत के नीचे सारी सुविधाएं मिलने से बहुत सारी राह असान होंगी. मुंबई आने जाने में जो खर्च होता है वह बच जाएगा. टाइम और पैसा दोंनों बचेगा.
लोकल कलाकारों को मिलेगा मौका
यूपी में फिल्म सिटी बनने से लोकल कलाकारों को मौके मिलेंगे. भोजपुरी सिनेमा की भाषा में पकड़ रखने वाले अच्छे लोग मिल जाएंगे. जो अपने शहर को छोड़कर दूर नहीं जाना चाहते हैं. इससे फिल्में अच्छी बनेंगी. जैसे मुंबई की फिल्म सिटी में क्षेत्रीय भाषाओं को बहुत सारी सुविधाएं मिलती है, वैसे ही यूपी में फिल्म सिटी बनने से बहुत सारा लाभ मिलेगा. क्षेत्रीय भाषा की फिल्मों को बढ़ावा मिलेगा. यूपी में स्टूडियो, डबिंग, मिक्सिंग गानों की रिकार्डिंग की जो सुविधा मिलेगी यह भोजपुरी दुनिया के लिए वारदान होगा.
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