उत्तर प्रदेश विधान परिषद में मंगलवार को संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (यूपीकोका) और सहकारी समिति (संशोधन) विधेयक पर प्रवर समिति के प्रतिवेदनों को ध्वनिमत से नामंजूर कर दिया गया.
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधान परिषद में मंगलवार को संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (यूपीकोका) और सहकारी समिति (संशोधन) विधेयक पर प्रवर समिति के प्रतिवेदनों को ध्वनिमत से नामंजूर कर दिया गया. यह राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए झटका माना जा रहा है. विधान परिषद में लंच के बाद शुरू हुई कार्रवाई में नेता सदन उप मुख्यमंत्री डाक्टर दिनेश शर्मा ने यूपीकोका पर गठित सदन की प्रवर समिति द्वारा गत पांच मार्च को दिये गये प्रतिवेदन पर विचार का प्रस्ताव रखा, जिसे विपक्ष की एकजुटता के बीच ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया गया.
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प्रवर समिति की बैठक में कोई भी संशोधन नहीं आया
नियमानुसार यूपीकोका सम्बन्धी विधेयक को फिर से विधानसभा में भेजा जाएगा. विधानसभा से पारित होने के बाद इसे फिर विधान परिषद में रखा जाएगा. अगर एक महीने के अंदर यह उच्च सदन में पारित नहीं होता है, तो सरकार उसे राज्यपाल के पास भेज सकती है. मामले पर चर्चा के दौरान नेता सदन ने कहा कि प्रवर समिति की बैठक में कोई भी संशोधन नहीं आया था, लिहाजा इस प्रस्ताव को पारित किया जाए. वहीं एसपी सदस्य नरेश उत्तम ने कहा कि सरकार यूपीकोका का गलत इस्तेमाल करेगी, लिहाजा इसे पारित नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रवर समिति की बैठक वाले दिन बीएसपी नेता एवं समिति के सदस्य सुनील चित्तौड़ के पिता का देहान्त हो गया था और अनुरोध के बावजूद सरकार ने बैठक की तारीख आगे नहीं बढ़ाई. सरकार इसे पारित करने के लिये उतावली दिखी.
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विधान परिषद की प्रवर समिति के 11 में से नौ सदस्य थे बैठक में मौजूद
इस पर नेता सदन ने कहा कि विधान परिषद की प्रवर समिति के 11 में से नौ सदस्य बैठक में मौजूद थे, लिहाजा उसकी मान्यता को चुनौती नहीं दी जा सकती. इस दौरान कोई संशोधन नहीं पेश किया गया. नेता विपक्ष अहमद हसन ने कहा कि प्रवर समिति के अध्यक्ष मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद अपने प्रतिवेदन में कहा है कि संशोधन पेश किए गए. चर्चा के दौरान बीएसपी दल के नेता सुनील सिंह चित्तौड़, सपा सदस्य शतरुद्र प्रकाश, बीजेपी सदस्य यज्ञदत्त शर्मा और देवेन्द्र प्रताप सिंह ने भी अपने विचार रखे. बाद में प्रतिवेदन पर विचार का प्रस्ताव ध्वनिमत से नामंजूर कर दिया गया.
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सहकारी समिति विधेयक भी सदन में नामंजूर
गौरतलब है कि यूपीकोका विधेयक को विधानसभा में पहले ही पारित किया जा चुका है. इसके पूर्व, सरकार को एक और झटका तब लगा, जब उत्तर प्रदेश सहकारी समिति (संशोधन) विधेयक पर भी प्रवर समिति का प्रतिवेदन सदन में नामंजूर हो गया. सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी ने प्रतिवेदन पर विचार प्रस्ताव किया. प्रस्ताव के विरोध में नेता विपक्ष अहमद हसन और सपा सदस्य शतरूद्र प्रकाश एवं राजपाल कश्यप ने, जबकि पक्ष में नेता सदन शर्मा एवं मंत्री महेन्द्र सिंह ने नियमों का हवाला देते हुए अपने विचार व्यक्त किए.
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