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गाजियाबाद : एक फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन बजट पेश करेंगी. गाजियाबाद में उद्योगपतियों को भी केंद्रीय बजट से खासी उम्मीद है. गाजियाबाद कवि नगर इंडस्ट्रियल फेडरेशन के अध्यक्ष कैलाश अरोड़ा के मुताबिक गाजियाबाद में ज्यादातर इंडस्ट्री सीएनजी और बायो फ्यूल पर चलने लगी है जो कि काफी महंगा और खर्चीला पड़ता है. एनजीटी और बाकी अन्य संस्थाओं द्वारा प्रदूषण के चलते अन्य ईंधन पर रोक लगा रखी है. ऐसे में सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए. इंडस्ट्री के लिए सस्ता ईधन उपलब्ध कराना चाहिए.
गाजियाबाद इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के सचिव जितेंद्र त्यागी के अनुसार बजट में सरकार को एमएसएमई के लिए सस्ती दरों पर ऋण उपलब्ध कराना चाहिए अभी नौ फीसदी की दर से ऋण उपलब्ध कराया जाता है जो कि काफी महंगा पड़ता है. गाजियाबाद इंडस्ट्री फेडरेशन के उपाध्यक्ष सुनील दत्त ने कहा कि सरकार द्वारा कोई सुझाव बजट के लिए एमएसएमई उद्योगपतियों द्वारा नहीं लिए जाते हैं. बड़ी इंडस्ट्री को ध्यान में रखते हुए ही बजट बनाया जाता है, ऐसे में अगर एमएसएमई की तरफ से भी सुझाव लिए जाए तो यह बेहतर कदम होगा.
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गाजियाबाद इंडस्ट्रियल फेडरेशन के अध्यक्ष अरुण कुमार के मुताबिक गाजियाबाद में लगभग 35 हजार के करीब इंडस्ट्रीज हैं. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इन्वेस्टर सम्मिट का आयोजन भी किया जा रहा है. गाजियाबाद को 50 हजार करोड़ का लक्ष्य दिया गया था. गाजियाबाद में उस से बढ़कर एक लाख करोड़ के इन्वेस्टमेंट लक्ष्य को पार किया है तो ऐसे में गाजियाबाद के उद्यमियों की बहुत सारी अपेक्षाएं बजट से है. गाजियाबाद इतना बड़ा इंडस्ट्रियल हब होने के बावजूद यहां इंडस्ट्री के रखरखाव के लिए कोई सुख सुविधा या कोई अलग से फंड जारी नहीं किया जाता है. नगर निगम भी फंड की कमी के चलते हाथ खड़े कर देता है. ऐसे में यदि बेहतर सड़कें और रखरखाव मुहैया कराया जाए तो गाजियाबाद इंडस्ट्री और अच्छा कार्य करके दिखा सकती है. इसके साथ में जीएसटी रिफंड टैक्स स्लैब को लेकर भी समस्या है.
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