विकास दुबे एनकाउंटर केस की जांच के लिए गठित आयोग नहीं होगा भंग, SC से याचिका खारिज
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विकास दुबे एनकाउंटर केस की जांच के लिए गठित आयोग नहीं होगा भंग, SC से याचिका खारिज

याचिकाकर्ता ने जांच आयोग के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस बीएस चौहान पर सवाल खड़े किए थे. उन्होंने कहा था कि रिटायर्ड जज के कई रिश्तेदार BJP में हैं और उत्तर प्रदेश में भी बीजेपी की सरकार है, ऐसे में जांच निष्पक्ष तरीके से नहीं हो सकती है.

सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त को ही अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

नई दिल्ली: गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर केस की जांच के लिए गठित आयोग को भंग करने की अर्जी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है. वकील घनश्याम उपाध्याय ने आयोग से रिटायर्ड जस्टिस बीएस चौहान को हटाने की मांग की थी, जिस पर कोर्ट ने 11 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. याचिकाकर्ता ने जांच आयोग के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस बीएस चौहान पर सवाल खड़े किए थे. उन्होंने कहा था कि रिटायर्ड जज के कई रिश्तेदार BJP में हैं और उत्तर प्रदेश में भी बीजेपी सरकार है, ऐसे में जांच निष्पक्ष तरीके से नहीं हो सकती है.

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जिस पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) ने फैसला सुरक्षित रखते वक्त कहा था कि जब बीएस चौहान जज थे, तब कोई समस्या नहीं थी? अब सवाल कर रहे हैं. चीफ जस्टिस ने पूछा था कि आखिर जस्टिस चौहान निष्पक्ष क्यों नहीं हो सकते? बहुत से ऐसे जज हैं, जिनके पिता सांसद रहे हैं, कई जजों के रिश्तेदार अभी-अभी संसद में हैं, क्या वे निष्पक्ष जज नहीं हैं? क्या किसी राजनीतिक दल से संबंध रखना गैर कानूनी है?

गौरतलब है कि इससे पहले जांच आयोग से जस्टिस शशिकांत अग्रवाल और पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता को हटाने वाली याचिका भी सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो चुकी है. तब SC ने कहा था कि जब सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज कमीशन में शामिल हैं, तो फिर चिंता की क्या बात है.

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बता दें कि कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों के हत्यारे गैंगस्टर विकास दुबे का एनकाउंटर हुआ था. जिसको लेकर कई तरह के सवाल उठे थे, एनकाउंटर को लेकर जांच की मांग उठ रही थी. इसके बाद मामले की जांच के लिए एक समिति बनाई गई थी. कमेटी में पूर्व जस्टिस बीएस चौहान के अलावा, हाईकोर्ट के पूर्व जज शशिकांत अग्रवाल और यूपी के पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता शामिल हैं.

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