गोरखपुर जोन के एडीजी पद पर तैनात 1991 बैच के आईपीएस अधिकारी शेरपा वीआरएस को लेकर हंगामा पनपा है. गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2009 में पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में हुए विधानसभा चुनावों में शेरपा वीआरएस का लड़ना लगभग तय हो गया था.
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गोरखपुर : उत्तर प्रदेश में अधिकारियों की तैनाती को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. ताजा घटनाक्रम में गोरखपुर जोन के एडीजी पद पर तैनात 1991 बैच के आईपीएस अधिकारी शेरपा वीआरएस को लेकर हंगामा पनपा है. गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2009 में पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में हुए विधानसभा चुनावों में शेरपा वीआरएस का लड़ना लगभग तय हो गया था. शेरपा वीआरएस ने वर्ष 2008 में विधिवत रूप से बीजेपी को ज्वाइन भी कर लिया था और अब उन्हें बीजेपी की सरकार ने गोरखपुर जोन का एडीजी पद पर तैनात किया है.
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सवंत सिंह को मिला शेरपा वीआरएस के स्थान पर टिकट
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वर्ष 2009 में बीजेपी ने शेरपा वीआरएस के स्थान पर जसवंत सिंह को चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया था. बीजेपी से टिकट नहीं मिलने के बाद दावा शेरपा अखिल भारतीय गोरखा लीग के सदस्य के रूप में काम करना शुरू किया और फिर पार्टी के संयोजक भी बनें. हालांकि ज्यादा दिनों तक उन्हें राजनीति रास नहीं आई और दार्जिलिंग की राजनीति में तमाम कोशिशें करने के बाद जब वह जगह बनाने में नाकामयाब रहे तो उन्होंने वापस घर लौटने का ठाना. यूपी लौटने के बाद उन्हें प्रदेश में अपना स्थान बनाने के लिए काफी संघर्ष का सामना करना पड़ा और आखिरकार उन्होंने वर्ष 2012 में दोबारा डीआईजी का कार्यभार सौंपा गया.
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योगी सरकार ने दी एडीजी ज़ोन गोरखपुर जिम्मेदारी
अब शेरपा को योगी सरकार ने दोबारा नई जिम्मेदारी देते हुए एडीजी ज़ोन गोरखपुर की का जिम्मा सौंपा है. 4 साल तक अपनी सेवा से बाहर रहने वाले अधिकारी की दोबारा नियुक्ति करने के बाद विपक्षी पार्टियां सरकार पर हावी हो गई हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कुछ पार्टियों ने आरोप लगाया है कि योगी सरकार बड़े पदो पर सिर्फ अपने जानकारों की ही तैनाती कर रही है, ताकि अपने वर्चस्व को कायम रख सके.