देहरादून: अपने दादा की पेंशन के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा अनाथ पोता, जानें क्या है पूरा मामला
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देहरादून: अपने दादा की पेंशन के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा अनाथ पोता, जानें क्या है पूरा मामला

गरीबी में जी रहा 19 वर्षीय प्रवीन इसी उम्मीद में है कि उसे पेंशन एरियर मिल जाए. प्रवीन नेगी अभी मात्र 19 साल का है. मां बाप का साया पहले ही उसके सिर से उठ चुका है.

देहरादून: अपने दादा की पेंशन के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा अनाथ पोता, जानें क्या है पूरा मामला

देहरादून: जिले के साहिया कस्बे के पास एक गांव सलगा में अपने दादा स्व. नागेन्द्र सिंह के एरियर पेंशन के भुगदान के लिए पिछले 10 सालों से उनका पोता प्रवीन संघर्ष कर रहा है. 1976 में स्व. हवलदार नागेन्द्र सिंह गढ़वाल राइफल से रिटायर हुए और उनकी पेंशन शुरु हो गई. हवलदार नागेन्द्र सिंह की पत्नी नकटी देवी थीं जो जौनसार भाबर में बहु पति विवाह के तहत तीन भाईयों की एक पत्नी थी. रिटायर होने के बाद स्व. नागेन्द्र सिंह ने एक महिला जिसका नाम वैशाली और उसके दो बच्चों को साथ अपने साथ अपने गांव ले गए. 

मात्र 4 साल बाद ही हवलदार नागेंद्र सिंह की 1979 में की मृत्यु हो गई और वैशाली बैंक अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर 1980 से लेकर 2009 तक नकटी देवी बनकर पेंशन लेती रही. 2009 में वैशाली की मौत के बाद ये फर्जीवाड़े का मामला सामने आया उसके बाद बैंक ने नकटी देवी की पेंशन फाइल बंद कर दी जबकि वो जिन्दा थी. डीएम की जांच रिपोर्ट में भी नकटी देवी के जीवित होने की रिपोर्ट दी गई. 2016 में नकवी देवी की भी मौत हो गई जबकि उसके बेटे की पहले ही मौत हो चुकी थी. अब नकटी देवी का पोता प्रवीन सिंह अपने दादा की पेंशन एरियर के लिए बैंकों के चक्कर काट रहा है.

गरीबी में जी रहा 19 वर्षीय प्रवीन इसी उम्मीद में है कि उसे पेंशन एरियर मिल जाए. प्रवीन नेगी अभी मात्र 19 साल का है. मां बाप का साया पहले ही उसके सिर से उठ चुका है. बड़ी बहन की भी शादी हो चुकी है जो मुजफ्फरनगर में रहती है. प्रवीन देहरादून के नालापानी चौक के पास अपने मित्र के साथ अपना गुजारा कर रहा है. प्रवीन कहता है कि अगर उसे पेंशन एरियर का भुगतान मिल जाए तो उसे काफी मदद मिल जाएगी. प्रवीन सरकारी नौकरियों की तैयारी में जुटा है लेकिन पैसों की किल्लत से प्रवीन को काफी मुश्किल हो रही है.

रिटायर्ड मेजर मदन सिंह नेगी लड़ रहे हैं प्रवीन की लड़ाई
नकटी देवी के जिंदा रहते हुए भी पेंशन नहीं मिल पाई लेकिन प्रवीन को पेंशन एरियर का भुगतान मिल जाए इसकी जंग फौज से रिटायर मेजर मदन सिंह नेगी लड़ रहे हैं. प्रवीण को तो मालूम नहीं था कि उनके दादा की पेंशन एरियर का भुगतान होना है. प्रवीन की लड़ाई का जिम्मा पूर्व जिला सैनिक कल्याण अधिकारी रिटायर मेजर मदन सिंह नेगी ने उठाया है. 2013 में जब मेजर नेगी सलगा गांव में गए तो ये प्रकरण सुनकर उनके पैरों तले जमीन खिसक गई.

पहले तो उन्होंने नकटी देवी के जिन्दा होने का प्रमाण पत्र बनवाया. इसके लिए उन्होंने जिले के अधिकारियों के साथ ही गढ़वाल राइफल के रिकॉर्ड आफिस से कई कागज भी मंगवाए. इसके बाद उन्होंने प्रवीन को उसका हक दिलाने की ठानी. प्रवीन के लिए वे कई बार बैंकों में गए. डीएम से लेकर तहसीलदार तक के चक्कर काटे. फौज से भी उन्होंने रिकॉर्ड मंगवाए लेकिन प्रवीन को आज तक उसका हक नहीं मिल पाया. प्रवीन नेगी के पिता सरदार सिंह की मृत्यु 2007 में हुई जबकि मां की मौत 2000 में हुई जब वो मात्र 6 महीने का था. अब 7 साल से वे खुद प्रवीन की जंग लड़ रहे हैं. देहरादून में पंजाब नेशनल बैंक के सर्किल आफिस में अब अधिकारी इस मुद्दे पर कुछ भी बात करने से बच रहे हैं. चीफ मैनेजर संतोष कुमार सिन्हा ने कहा कि जब उनके पास पीपीओ कागज आ जाएगा तब पेंशन एरियर का भुगतान मिल जाएगा.

अब प्रवीन ने सभी कागज पंजाब नेशनल बैंक में जमा कर दिए है. प्रवीन को उम्मीद है उसके दादा की करीब साढ़े 5 लाख की पेंशन एरियर उसे मिल जाए. अभी प्रवीन बेरोजगार है और नौकरी की तलाश कर रहा है. पंजाब नेशनल बैंक पर भी सवाल खड़े होते हैं कि आखिर बिना जांच पड़ताल के 30 सालों तक किसी और महिला को पेंशन कैसी मिलती रही. पीएनबी अधिकारी कुछ कहने से बच रहे हैं. अगर इस मुद्दे पर और भी जांच हुई तो बैंक के कई अधिकारियों की पोल खुल सकती है क्योंकि पेंशन लेने के लिए खुद बैंक में जाना पड़ता है. जब रिकॉर्ड में स्वर्गीय हवलदार नागेन्द्र सिंह की पत्नी नकटी देवी थी तो फिर इतने सालों तक पेंशन किसी और को कैसे मिलती रही. क्या बैंक के अधिकारियों की इसमें मिली भगत थी. इस प्रकरण के बाद बैंक में हड़कंप मचा हुआ है.

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