मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिता के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि पूज्य पिताजी के कैलाशवासी होने पर मुझे भारी दुख एवं शोक है.
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लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दिन-रात एक कर उत्तर प्रदेश को कोरोना संकट से उबारने में जुटे हुए हैं. मुश्किल की घड़ी में कर्तव्यों को ऊपर रखकर वो अपने पिता के अंतिम दर्शन में भी नहीं जा पाए. आज उनके पिता आनंद सिंह बिष्ट का 89 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. उन्होंने दिल्ली के एम्स में अंतिम सांस ली.
अधिकारियों के साथ की मीटिंग
वक्त करीब सुबह के 10.30 बजे का था. लोकभवन की जगह सोमवार को टीम 11 की मीटिंग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सरकारी आवास (5 कालीदास, मार्ग) पर होनी थी. लेकिन अधिकारियों और मीडिया से जुड़े लोगों के मन में ये सवाल बार-बार उठ रहा था कि क्या मुख्यमंत्री मीटिंग करेंगे. क्योंकि बीती रात से योगी के पिता के स्वास्थ्य को लेकर सोशल मीडिया पर अफवाहें चल रही थीं. खैर रोज की तरह समयानुसार मीटिंग के लिए मुख्यमंत्री हॉल में आए, लेकिन आज साफ झलक रहा था कि वो अपने पिता के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं.
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उदासी और आंखों में नमीं दिख रही थी
मीटिंग में मौजूद अधिकारियों की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक अमूमन मुख्यमंत्री मीटिंग के दौरान चेहरे पर लगे मास्क को नीचे रखते हैं, लेकिन आज ऐसा नहीं हुआ. इससे चेहरे का भाव भले कुछ हद तक छिप जा रहा था, पर आंखों की उदासी, उनकी नमीं बता रही थीं कि सब कुछ ठीक नहीं है. बावजूद इसके राजधर्म का पालन पहली प्राथमिकता पर रखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समयानुसार मीटिंग शुरू हुई. टीम-11 के अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श और कोरोना को लेकर प्रदेश की हालात पर चर्चा और अधिकारियों को निर्देश देते रहे.
मीटिंग में आया वो वक्त जब योगी शांत हो गए
करीब 10 बजकट 44 मिनट पर योगी आदित्यनाथ के करीबी बल्लू राय का आना हुआ, जो अमूमन मीटिंग के दौरान नहीं आते दिखते थे. बल्लू के चेहरे पर दुख का भाव झलक रहा था. बल्लू ने एक पर्ची मुख्यमंत्री को दी. जिसे पढ़कर मुख्यमंत्री ने किसी से बात कराने का निर्देश बल्लू राय को दिया. बल्लू ने फोन लगा कर सीएम योगी को दिया और बात करने लगे. बात महज एक मिनट की रही होगी और मुख्यमंत्री ने फोन पर कहा कि वह मीटिंग के बाद फिर बात करेंगे. इसके बाद बल्लू राय चले गये और मुख्यमंत्री कुछ सेकंड के लिए शांत हो गए. लेकिन फिर उन्होंने मीटिंग में अधिकारियों से सवाल-जवाब करना शुरू कर दिया. मीटिंग ठीक वैसे ही चलती रही जैसे रोजाना चलती थी.
23 करोड़ जनता की चिंता
बैठक में मौजूद अधिकारियों ने बताया कि इस बीच सबने देखा कि मुख्यमंत्री योगी की आंखें नम हो गई. शायद उन्हें पिता के निधन का समाचार मिला था, लेकिन देश के सबसे बड़े सूबे का मुख्यमंत्री होने के नाते उन्होंने प्रदेश की जनता की सेवा सर्वोपरि रखी और कोविड-19 से लड़ने की रणनीति बनाने की मीटिंग करते रहे.
सभी को पता है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री होने से पहले वो एक संन्यासी हैं, गोरक्षपीठाधीश्वर हैं. लेकिन पिता के निधन का समाचार मिलने के बाद भी मुख्यमंत्री की कार्यशैली ठीक वैसे ही चलती रही. एक तरफ जहां आंखों में नमी उनके दुख का सबूत था तो दूसरी तरफ 23 करोड़ जनता की सुरक्षा की चिंता का फर्ज. अपने पिता के निधन के बावजूद उन्होंने राजधर्म को प्राथमिकता दी और उसे निभाया. योगी आदित्यनाथ पहले भी सबसे ऊपर राजधर्म और यूपी की 23 करोड़ जनता का हित देखने को सर्वोपरि मानते रहे हैं. पिता की मृत्यु भी उन्हें अपने इस पथ से विचलित नहीं कर सकी.
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अंतिम संस्कार में शामिल न होने के साथ-साथ दिया बड़ा संदेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिता के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि पूज्य पिताजी के कैलाशवासी होने पर मुझे भारी दुख एवं शोक है. वे मेरे पूर्वाश्रम के जन्मदाता हैं. जीवन में ईमानदारी, कठोर परिश्रम एवं निस्वार्थ भाव से लोक मंगल के लिए समर्पित भाव के साथ कार्य करने का संस्कार बचपन में उन्होंने मुझे दिया. अंतिम क्षणों में उनके दर्शन की हार्दिक इच्छा थी, लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के खिलाफ देश की लड़ाई को उत्तर प्रदेश की 23 करोड़ जनता के हित में आगे बढ़ाने का कर्तव्यबोध के कारण मैं न कर सका. 21 अप्रैल को अंतिम संस्कार के कार्यक्रम में लॉकडाउन की सफलता और महामारी कोरोना को परास्त करने की रणनीति के कारण भाग नहीं ले पा रहा हूं. पूजनीया मां, पूर्वाश्रम से जुड़े सभी सदस्यों से भी अपील है कि वे लॉकडाउन का पालन करते हुए कम से कम लोग अंतिम संस्कार के कार्यक्रम में रहें. पूज्य पिताजी की स्मृतियों को कोटि-कोटि नमन करते हुए उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा हूं. लॉकडाउन के बाद दर्शनार्थ आऊंगा.